एशियाई खेल : भारत ने घुड़सवारी में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 27-09-2023
Asian Games: India created history by winning gold medal in horse riding
Asian Games: India created history by winning gold medal in horse riding

 

हांग्जो.

इंटीरियर में रुचि रखने वाले व्यवसायी विपुल छेदा को घुड़सवारी खेल या ड्रेसेज प्रतियोगिता का कोई तकनीकी ज्ञान नहीं है. घोड़ों और घुड़सवारों का अनुसरण करने का एकमात्र कारण यह है कि उनका बेटा हृदय एक घुड़सवारी खिलाड़ी है और एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है.

चीन रवाना होने से पहले 20 सितंबर की रात मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज हवाईअड्डे पर चेक-इन काउंटर पर जाने के लिए कतार में इंतजार करते हुए विपुल छेदा ने कहा, "मेरी बात याद रखें, मेरा बेटा एशियाई खेलों में पदक जीतेगा." उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई और हृदय ने टीम के साथी अनूष अग्रवाल, सुदीप्ति हाजेला और दिव्यकृति सिंह के साथ मिलकर इतिहास रच दिया.

जब उन्होंने ड्रेसेज टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता - ड्रेसेज में पहला स्वर्ण पदक और चार दशकों में ड्रेसेज में पहला पदक. भारत ने 1982 में ड्रेसेज टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था जब इस खेल ने नई दिल्ली में एशियाई खेलों की शुरुआत की थी।.

टीम की स्वर्णिम जीत में अहम भूमिका निभाने के बाद हृदय ने मंगलवार को कहा, "मेरे पिता आशावादी हैं, उन्हें घुड़सवारी या ड्रेसेज की तकनीक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है." 25 वर्षीय हृदय ने कहा, "सभी माता-पिता की तरह वह हमेशा मेरा भला चाहते हैं और इसीलिए उन्होंने ऐसा कहा.

यह एक बहुत कठिन और बहुत चुनौतीपूर्ण कार्यक्रम था और हम चारों ने इसे संभव बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिया." हृदय कहते हैं कि पिता विपुल उस दिन से उनके सबसे प्रबल समर्थक रहे हैं, जब उन्होंने घुड़सवारी को अपने पेशे के रूप में अपनाने का फैसला किया था.

हृदय ने कहा, "मेरे पिता ने पहले दिन से ही हमेशा मेरा 100% समर्थन किया है. घुड़सवारी एक बहुत महंगा खेल है और आप अपने परिवार के समर्थन के बिना ऐसा नहीं कर सकते। उन्होंने मेरे घुड़सवारी करने पर कभी आपत्ति नहीं जताई, उन्हें घोड़ों में रुचि रही है.

मेरे लिए मुश्किल था, यूरोप में रहने, घोड़ों के साथ काम करने, ड्रेसेज सीखने और वहां प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्धा करने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की जरूरत थी.'' मंगलवार को अपनी स्वर्णिम जीत पर हृदय ने कहा कि वे सभी अच्छे प्रदर्शन के प्रति आश्‍वस्त थे और सुबह के पहले राइडर से उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.

उन्होंने कहा, "हमारा पहला राइडर सुबह 8 बजे के बाद बाहर निकला और उसके बाद हर किसी का ध्यान अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर केंद्रित रहा. 42 साल बाद यह पदक जीतना हम सभी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है." उन्होंने कहा, "पहले सुदीप्ति बाहर गईं और फिर दिव्यकृति, उसके बाद अनुष और मैं. 25 साल की उम्र में, मैं उनमें सबसे बड़ा हूं और मुझे पता है कि हम चारों ने कितनी मेहनत की है."