विंबलडन में एक खिलाड़ी की 'अकेलेपन' की पीड़ा ने फिर छेड़ी मानसिक स्वास्थ्य की बहस

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 03-07-2025
A player's 'loneliness' at Wimbledon has once again sparked a debate on mental health
A player's 'loneliness' at Wimbledon has once again sparked a debate on mental health

 

लंदन

जब 2021 के फ्रेंच ओपन में जापानी स्टार नाओमी ओसाका ने अपने बेहद निजी मानसिक संघर्षों – चिंता और अवसाद – को सार्वजनिक किया, तो उस वक्त से खेलों में ही नहीं, बल्कि समाज में भी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक नई बहस की शुरुआत हुई।

उसके बाद कई खिलाड़ियों ने अपने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर खुलकर बात की और मदद लेने की बात को अब धीरे-धीरे एक सामान्य विषय के तौर पर स्वीकार किया जाने लगा है।

लेकिन तीन बार के ग्रैंड स्लैम फाइनलिस्ट और दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों में शुमार अलेक्जेंडर ज्वेरेव द्वारा विंबलडन से पहले दौर में बाहर होने के बाद अपने मानसिक हालात पर जो बातें कहीं, उन्होंने इस बातचीत को फिर से ज़ोरों पर ला खड़ा किया है।

"मैं खुद को बहुत अकेला महसूस करता हूँ": ज्वेरेव

ज्वेरेव ने हार के बाद मीडिया से बातचीत में कहा,

"मैं खुद को वहां (कोर्ट पर) बहुत अकेला महसूस करता हूं। मैं मानसिक रूप से जूझ रहा हूं। … मैं इससे बाहर निकलने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन बार-बार उसी गड्ढे में गिर जाता हूं।"

जनवरी में ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में पहुंचने वाले ज्वेरेव के पास इस साल नंबर 1 रैंकिंग पाने का मौका था, लेकिन उसके बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट आई।

उन्होंने कहा,

"सच कहूं तो, मैं जीवन में खुद को काफी अकेला महसूस करता हूं, और यह बहुत अच्छा एहसास नहीं है। यह केवल कोर्ट तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़िंदगी के स्तर पर भी ऐसा है।"

खिलाड़ियों ने जताई सहानुभूति, साझा किए अनुभव

बुधवार को ऑल इंग्लैंड क्लब में कई खिलाड़ियों से जब ज्वेरेव के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो कुछ ने सहानुभूति जताई, तो कुछ ने मदद लेने की सलाह दी।

अमांडा अनीसिमोवा:

2019 में फ्रेंच ओपन की सेमीफाइनलिस्ट और दो साल पहले मेंटल बर्नआउट के कारण ब्रेक लेने वाली अनीसिमोवा ने कहा:

"हर किसी की ज़िंदगी में ऐसा वक्त आता है जब हम कुछ मुश्किलों से गुजरते हैं। मेरे लिए सबसे अहम था — ऐसे लोगों को ढूंढ़ना जिन पर मैं भरोसा कर सकूं और जिनसे खुलकर बात कर सकूं।"

उन्होंने कहा कि टूर से ब्रेक लेने से उन्हें बहुत फायदा हुआ और अब वह बेहतर मानसिक स्थिति में हैं।

आर्यना सबालेंका:

तीन ग्रैंड स्लैम जीत चुकीं विश्व नंबर-1 आर्यना सबालेंका ने बताया कि वह पांच साल तक थेरेपिस्ट से सलाह लेती रहीं।

"अपने भीतर की बातें दूसरों से साझा करना बहुत जरूरी है। अगर आप सब कुछ अपने अंदर दबाकर रखेंगे, तो वह आपको अंदर से तोड़ देगा। मुझे लगता है कि ज्वेरेव के साथ भी ऐसा ही हो रहा है," उन्होंने कहा।

मैडिसन कीज़:

ऑस्ट्रेलियन ओपन की चैंपियन मैडिसन कीज़ ने कहा कि थेरेपी ने उन्हें न केवल खेल में बल्कि जीवन में भी अधिक खुश रहने में मदद की है।

"कई बार हम अपनी पहचान पूरी तरह टेनिस खिलाड़ी के तौर पर देखने लगते हैं, और जब हार का सिलसिला चलता है, तो उससे हमारा आत्म-मूल्य भी प्रभावित होता है।"

उन्होंने कहा कि खुद को टेनिस से अलग एक पूर्ण इंसान के रूप में समझना मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

“शायद पहली बार मुझे थेरेपी की जरूरत है”: ज्वेरेव

जब एक पत्रकार ने ज्वेरेव से पूछा कि क्या वह थेरेपी लेने पर विचार कर रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया:

“शायद पहली बार ज़िंदगी में मुझे इसकी ज़रूरत है।”

अपने वर्तमान मानसिक स्थिति को बताते हुए उन्होंने कहा:

"मैंने इससे पहले कभी खुद को इतना खाली महसूस नहीं किया। न टेनिस में, न ही टेनिस के बाहर — किसी भी चीज़ में खुशी नहीं मिल रही।”

एंड्री रूबलेव:

10 बार ग्रैंड स्लैम क्वार्टरफाइनल तक पहुंच चुके रूसी खिलाड़ी एंड्री रूबलेव ने कहा:

"टेनिस सिर्फ एक ट्रिगर है, असल में परेशानी अंदर है। उससे भागने के बजाय उसका सामना करना होगा।"

विंबलडन के इस सप्ताह एक खिलाड़ी की भावनात्मक स्वीकारोक्ति ने फिर से यह दिखाया कि खिलाड़ियों की चमकदार बाहरी दुनिया के पीछे कई बार गहरा अकेलापन और संघर्ष छिपा होता है।

इसने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या खेल जगत – और समाज – मानसिक स्वास्थ्य को उतनी ही प्राथमिकता दे रहा है, जितनी शारीरिक फिटनेस को देता है?