पाकिस्तान में भी महाशिवरात्रि की धूम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 18-02-2023
पाकिस्तान में भी महाशिवरात्रि की धूम
पाकिस्तान में भी महाशिवरात्रि की धूम

 

अमरीक                                       

महाशिवरात्रि का पर्व हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी धूमधाम से मनाया जाता है. पाकिस्तान में बेशुमार ऐसे मंदिर हैं जिनमें शिव-पूजा होती है. इनमें वहां का श्री कटासराज मंदिर प्रमुख है. महाशिवरात्रि मनाने हिंदुस्तान से भी लोग पाकिस्तान जाते हैं. वीरवार को हिंदू श्रद्धालुओं का एक जत्था अमृतसर की अटारी सीमा के जरिए पाकिस्तान के लिए रवाना हुआ. 

दुर्गियाना मंदिर कमेटी, अमृतसर की अध्यक्ष और पूर्व विधायक एवं मंत्री लक्ष्मीकांता चावला के मुताबिक करीब 115 हिंदू तीर्थ यात्रियों ने वीजा अर्जियां लगाईं थीं लेकिन जाने की इजाजत 55 श्रद्धालुओं को दी गई. ये तमाम श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित श्री कटासराज मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाएंगे.           पाकिस्तान के पंजाब में स्थित श्री कटासराज मंदिर को सबसे बड़ा शिव मंदिर माना जाता है.

यह मंदिर तकरीबन 900 साल पुराना है. बंटवारे के वक्त पाकिस्तान रह गए हिंदू और सिख इस मंदिर में लगातार जाते हैं और देखभाल करते हैं. मुस्लिम समुदाय का एक तबका भी इसमें उनका सहयोग करता है. श्री कटासराज मंदिर की बाबत कई पौराणिक कथाएं हिंदुस्तान और पाकिस्तान में प्रचलित हैं. लाहौर सिख साम्राज्य के आखिरी राजा महाराजा रंजीत सिंह की राजधानी था.

 

तब वह विशेष रुप से इस मंदिर में जाया करते थे और आए साल सरकारी खजाने से इसे महाशिवरात्रि पर सजाया-संवारा आता था. इतिहास के पन्नों में यह भी दर्ज है कि धर्मनिरपेक्षता के लिए मकबूल मुगल सम्राट अकबर भी इस मंदिर में अक्सर जाया करते थे. कई मुस्लिम पीर-फकीर भी श्री कटासराज मंदिर के दर्शनार्थ वहां जाते थे. मुगल सम्राट अकबर ने श्री कटासराज मंदिर में बने ऐतिहासिक सरोवर में स्नान भी किया था.             

हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त दोनों मुल्कों में जबरदस्त उत्पाद हुआ था. कई मंदिरों और मस्जिदों को भी निशाना बनाया गया था. लेकिन श्री कटासराज मंदिर महफूज रहा बल्कि तब कई मुस्लिम परिवारों ने भी इस मंदिर में पनाह ली थी. महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में लाजवाब दीपमाला की जाती है और हासिल जानकारी के मुताबिक यह काम ज्यादातर मुस्लिम कारीगर करते हैं. महाशिवरात्रि को मुस्लिम भी वहां जाते हैं.

कभी पाकिस्तान के मकबूल और सबसे भरोसेमंद समझे जाने वाले अखबार 'डॉन' ने इस मंदिर पर पूरा एक परिशिष्ट निकाला था. श्री कटासराज मंदिर के अलावा भी पाकिस्तान में कई ऐसे प्रमुख मंदिर हैं जहां महाशिवरात्रि पर विशेष उत्सव होते हैं. पाकिस्तान के सिंध प्रांत के उमरकोट में भी महाशिवरात्रि की धूम रहती है. यह मंदिर तकरीबन एक हजार साल पुराना है. ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण दसवीं सदी के आसपास हुआ था.

उसी दौरान हिंदुस्तान में प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर का निर्माण हुआ था. इस मंदिर के निर्माण में वही कारीगर कार्यरत हुए थे, जिन्होंने खजुराहो मंदिर बनाया था. इस मंदिर की वास्तु कला भी बेमिसाल मानी जाती है. इसी मानिंद पाकिस्तान का तेजा सिंह मंदिर है, वहां भी महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. पाकिस्तान के कराची शहर में डेढ़ सौ साल पुराना विशाल शिव मंदिर भी उल्लेखनीय है. इस मंदिर को रत्नेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है और यहां तमाम हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं. हर रविवार को यहां विशेष भंडारा होता है जिसमें पाकिस्तान के अल्पसंख्यक बड़ी तादाद में मुल्क के कोने-कोने से पहुंचते हैं. पाकिस्तान का चित्ती गट्टी शिव मंदिर भी जगप्रसिद्ध है.

यह मंदिर तकरीबन 2000 साल पुराना बताया जाता है. अमूमन इसके द्वार महाशिवरात्रि पर खोले जाते हैं. पूरी दुनिया से श्रद्धालु पाकिस्तान विशेष रुप से महाशिवरात्रि पर इस मंदिर के दर्शनार्थ आते हैं.

इस मंदिर में देवी दुर्गा की गुफा भी काफी मशहूर है. पाकिस्तान स्थित जोही मंदिर भी 200 साल पुराना है. इस मंदिर की वास्तु कला भी नायाब है और इसमें खासतौर पर शिव पूजन होता है और मंदिर को महाशिवरात्रि पर सजाया जाता है.

उपरोक्त तमाम मंदिर ऐतिहासिक हैं. इसकी पुष्टि इतिहास की किताबें बखूबी करती हैं. सरहद पार से हासिल जानकारी के मुताबिक हर साल की तरह इस साल भी महाशिवरात्रि के आयोजन पाकिस्तान स्थित तमाम मंदिरों में शुरू हो चुके हैं.

प्रोफेसर लक्ष्मीकांता चावला कहती हैं, "पाकिस्तान स्थित मंदिरों के दर्शनों के लिए जाने वाले हिंदू और सिख श्रद्धालुओं को रियायत के साथ ज्यादा संख्या में वीजा दिया जाए.