गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र: राज बब्बर क्यों, आफताब अहमद क्यों नहीं ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 03-05-2024
Gurugram Lok Sabha constituency: Why Raj Babbar, why not Aftab Ahmed?
Gurugram Lok Sabha constituency: Why Raj Babbar, why not Aftab Ahmed?

 

मलिक असगर हाशमी
 
दिल्ली-एनसीआर की मिलेनियम सिटी गुरुग्राम से कांग्रेस ने लंबे मंथन के बाद एक्टर से नेता बने राज बब्बर को उतारा है. इसके साथ ही यह सवाल भी पूछा जाने लगा है कि गुरुग्राम से राज बब्बर ही क्यों आफताब अहमद क्यों नहीं ? दरअसल, जाहिरी तौर पर राजबब्बर के पक्ष में गुरुग्राम से कांग्रेस का चुनावी समीकरण बैठता नहीं दिख रहा. चूंकि  राज बब्बर का गुरुग्राम से खास नाता नहीं है, इसलिए उन्हें ‘बाहरी’ और ‘पैराशूट’ उम्मीद बताकर विरोध शुरू हो गया है. मगर क्या यही सच है ?

इस सवाल पर आने से पहले बात कर ली जाए चुनावी समीकरण की. ग्रुरूग्राम लोकसभा क्षेत्र में सुरक्षित बावल, रेवाड़ी, सुरक्षित पटौदी, बादशाहपुर, ग्रुरूग्राम, सोहना, नंूह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना यानी कुल आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं.गुरूग्राम लोकसभा क्षेत्र में कुल 25,46,916 मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 13,47,521 और महिला मतदाताओं की संख्या 11,99,317 है.

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इस लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी संख्या यादव-अहीर मतदाता है. इनका प्रप्रतिशत 17.5 है, जबकि एससी-एसएसटी 13, पंजाबी, 7.6, जाट 7, ब्रह्रमण 4.4, गुर्जर 4.2, राजपूत 4.2 और बनिया 2.8 प्रतिशत हैं.मगर इस सीट पर निर्णायक भूमिका हमेशा मुस्लिम वोटरों की रही है. ऐसे में इस सीट से किसी भी पार्टी का उम्मीदवार जीत दर्ज करे,बगैर मेवाती मुसलमानों के वोट के यह संभव नहीं.

तत्कालीन केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह लगातार 2009 से गुरुग्राम सीट से जीत दर्ज कर रहे हैं . उनकी जीत में भी मेवात के चार विधानसभा क्षेत्रों सोहना, नूंह, झिरका और पुनहाना के मुस्लिम मतदाताओं की अहम योगदान है. राव इंद्रजीत की मेवात क्षेत्र पर अच्छी पकड़ है. हाल में नूंह दंगे के दौरान राव इंद्रजीत सिंह का जैसा रोल रहा, उससे मेवात में उनकी स्थिति और मजबूत हुई है.

राव इंद्रजीत चौथी बार बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर गुरुग्राम से चुनाव मैदान में हैं. उनकी स्थिति इस बार भी मजबूत मानी जा रही है. ऐसे में उन्हें टक्कर देने के लिए विपक्ष को मजबूत उम्मीदवार की तलाश थी. पिछले चुनाव में कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव उनके मुकाबले में थे, पर मेवात में उन्हें भरपूर समर्थन नहीं मिलने से राव इंद्रजीत सिंह ने करीब चार लाख मतों से पटखनी दे दी थी.

कांग्रेस की टिकट की दौड़ में कैप्टन अजय यादव इस बार भी थे. इनके अलावा नंूह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद और अभिनेता से नेता बने राजबब्बर ने भी दावेदारी ठोंक रखी थी.आफताब अहमद ने आवाज द वाॅयस से बातचीत में कहा, ‘‘ ग्रुरुग्राम से टिकट के लिए उन्होंने भी आवेदन किया था. उनका यहां से टिकट का अधिकार बनता है. इस नाते कांग्रेस के बड़े नेताओं को आवेदन देने के अलावा उनसे मुलाकात भी की थी, पर टिकट उन्हें न देकर राजबब्बर को दे दिया गया.

भाजपा नेता और गुरूग्राम के वार्ड नंबर 10 के पूर्व पाशर््द मंगत राम बागड़ी कहते हैं, ‘‘ यंू तो बीजेपी के लिए हर विपक्षी उम्मीदवार चुनौती है, पर आफताब अहमद उम्मीदवार होते तो षायद यह चुनौती बढ़ जाती.’’मंगत राम बागड़ी के ऐसा कहने के पीछे कई तर्क हंै.

आफताब दूसरी बार नूंह से विधायक होने के अलावा विधानसभा में कांग्रेस के उप-नेता भी हैं. वह प्रदेश में परिवहन मंत्री रह चुके हैं. जबकि उनके पिता चौधरी खुर्शीद अहमद सांसद और सूबे में मंत्री रह चुके हैं. सूबे की सियासत में चौधरी खुर्शीद का खासा दखल रहा है.

हरियाणा में जाट समुदाय के तीन परिवारों का खासा प्रभाव है. एक, चोधरी वीरेंद्र सिंह, दूसरा भूपेंद्र हुड्डा और तीसरा, देवीलाल परिवार. दिलचस्प बात यह है कि चैधरी खुर्शीद के तीनों ही जाट परिवारों से अच्छे रिश्ते थे. आफताब की भी हुड्डा और चौधरी वीरेंद्र सिंह से अच्छी पटती है.

इसके अलावा कैप्टन अजय यादव और राव इंद्रजीत से भी खुर्शीद परिवार का अच्छा रिश्ता रहा है. चुनाव लड़ने पर जाट और यादवों के वोटरों का एक बड़ा हिस्सा आफताब की झोली में गिर सकता था.आफताब अहमद गुरूग्राम और पटौदी के कार्यक्रमों में भी सक्रिय रहते हैं.

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मेवात के लोग चौधरी खुर्शीद को विकास पुरुष मानते हैं. आफताब ने भी मंत्री रहते मेवात क्षेत्र में बेहतर विकास कार्य किए हैं.ऐसे में आम समझ है कि कांग्रेस का टिकट आफताब को मिलने पर राव इंद्रजीत को कड़ी टिक्कर मिल सकती थी. मेवात, जाट और अहीर वोट का एक बड़ा हिस्सा उनकी जीत में भरपूर मदद कर सकता था.

मगर मेवात के वरिष्ठ पत्रकार यूनुस अलवी ऐसा नहीं मानते. उनका तर्क है कि राजबब्बर राव इंद्रजीत को कड़ी टक्कर देंगे. वे गुरूग्राम में रहते हैं और पिछले तीन महीने से अंदरखाने चुनाव को लेकर सक्रिय थे.यूनुस अल्वी का कहना है कि क्षेत्र में मुस्लिम वोटर्स जितनी संख्या में हैं पंजाबियों की तादाद भी लगभग उतनी ही है.

मनोहर लाल खटटर को मुख्यमंत्री पद से हटाने और सूबे के बड़े नेता अनिल विज को सैनी मंत्रिमंडल में जगह नहीं देने से अंदरखाने पंजाबी बिरादरी बीजेपी से नाराज है. राज बब्बर पंजाबी हैं. ऐसे में पंजाबियों को समर्थन उन्हें मिल सकता है. जबकि मेवात और हुड्डा के करीब होने का लाभ भी राज बब्बर को मिलने वाला है. गुरूग्राम संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा में से चार पर कांग्रेस के विधायक हैं. इनमें से तीन मेवात क्षेत्र में हैं.