सदियों में एक बार मिलता है तमिल कवि सुब्रह्मण्य भारती जैसा व्यक्तित्व : पीएम मोदी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 11-12-2024
Narendra Modi
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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रह्मण्य भारती की 143वीं जयंती पर उनकी संपूर्ण रचनाओं का संग्रह जारी किया. इस संग्रह का शीर्षक ‘कालवरिसैयिल् भरतियार् पडैप्पुगळ्' है और यह कालानुक्रमिक क्रम में 21 खंडों में महाकवि भरतियार की संपूर्ण संग्रहित रचनाएं हैं. इसे सीनी विश्वनाथन ने संकलित किया है.

दिल्ली में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कवि सुब्रह्मण्य भारती को मां भारती की सेवा के लिए समर्पित एक गहन विचारक के रूप में याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी और देश के भविष्य के लिए उनके दूरदर्शी विचारों की सराहना की. साथ ही युवा और महिला सशक्तिकरण, विज्ञान एवं नवाचार में विश्वास और संचार के माध्यम से राष्ट्र के एकीकरण पर जोर दिया.

पीएम मोदी ने कहा, "...मैं इस महान कवि को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनकी विरासत को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. आज का दिन भारत की सांस्कृतिक विरासत, साहित्यिक विरासत और उसके स्वतंत्रता संग्राम की यादों के साथ-साथ तमिलनाडु के गौरव का भी महत्वपूर्ण अवसर है. महाकवि सुब्रह्मण्य भारती की रचनाओं का प्रकाशन उनके प्रति एक उल्लेखनीय श्रद्धांजलि है."

उन्होंने कहा कि महाकवि सुब्रह्मण्य भारती के कार्यों का, उनकी रचनाओं का प्रकाशन एक बहुत बड़ा सेवायज्ञ और बहुत बड़ी साधना है. और आज उसकी पूर्णाहुति हो रही है. हमारे देश में शब्दों को केवल अभिव्यक्ति ही नहीं माना गया है. हम उस संस्कृति का हिस्सा हैं, जो "शब्द ब्रह्म" की बात करती है, शब्द के असीम सामर्थ्य की बात करती है. हमारे ऋषि-मुनियों की वाणी सिर्फ उनके विचार नहीं बल्कि उनके चिंतन, अनुभव और साधना का निचोड़ हैं. सुब्रह्मण्य भारती जैसा व्यक्तित्व सदियों में कभी एक बार मिलता है. उनका चिंतन, मेधा और बहु-आयामी व्यक्तित्व हर किसी को हैरान करता है.

पीएम मोदी ने कहा, "वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो समझते थे कि भविष्य में क्या छिपा है. उस समय भी जब समाज कई समस्याओं का सामना कर रहा था, उन्होंने युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण की वकालत की. उन्हें विज्ञान और नवाचार में भी विश्वास था. उन्होंने कहा था कि ऐसा कोई उपकरण होना चाहिए जिससे हम कांची में बैठकर काशी में क्या हो रहा है, यह देख सकें और हम आज इसे जी रहे हैं."

उन्होंने कहा कि सुब्रह्मण्य भारती ऐसे महान मनीषी थे, जो देश की आवश्यकताओं को देखते हुए काम करते थे. उनका विजन बहुत व्यापक था. उन्होंने हर उस दिशा में काम किया, जिसकी जरूरत उस कालखंड में देश को थी. भरतियार केवल तमिलनाडु और तमिल भाषा की ही धरोहर नहीं हैं, वो एक ऐसे विचारक थे जिनकी हर सांस मां भारती की सेवा के लिए समर्पित थी.