बीटीसी की राजनीति में नया अध्याय: बेगम अख़्तरा अहमद का ऐतिहासिक चुनाव

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 29-10-2025
Begum Akhtara Ahmed -- The First Muslim woman EM of BTC in Assam
Begum Akhtara Ahmed -- The First Muslim woman EM of BTC in Assam

 

प्रिया सरमा / गुवाहाटी

बोडोलैंड पिल्स फ्रंट (बीपीएफ) प्रमुख हाग्रामा मोहिलेरी के नेतृत्व में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) की नवगठित परिषद इस बार विशेष महत्व रखती है. पहली बार एक मुस्लिम महिला को नई परिषद के कार्यकारी सदस्य के रूप में चुना गया है.
 
बीटीएडी (बोडोलैंड प्रादेशिक स्वायत्त ज़िले) एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ मुसलमानों को लंबे समय से हाशिए पर रखा गया है, जहाँ उन्हें दोयम दर्जे के नागरिक की तरह रहना पड़ता था. ऐसी परिस्थितियों में, परिषद के पद पर एक मुस्लिम महिला का चुनाव न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक भी है.
 
 
बीटीसी, बीटीएडी, उर्फ़ बीटीआर (बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र) की शासी स्वायत्त परिषद है, जिसमें असम के कोकराझार, चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और तामुलपुर ज़िले शामिल हैं.
 
फरवरी 2003 में बोडोलैंड लिबरेशन फ्रंट के साथ शांति संधि के बाद इसका गठन किया गया था. बीटीएडी 9000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला है और इसमें मुख्य रूप से बोडो लोग और असम के अन्य आदिवासी समुदाय रहते हैं. जनवरी 2020 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के साथ हुए एक शांति समझौते द्वारा बीटीसी की स्वायत्तता को और बढ़ाया गया.
 
इसी समझौते के बाद बीटीएडी का नाम बदलकर बीटीआर कर दिया गया. हालाँकि, हाग्रामा मोहिलरी की बीपीएफ इस क्षेत्र के पुनर्नामकरण को मान्यता नहीं देती है और बीटीआर या बीटीआर परिषद के बजाय क्रमशः बीटीएडी और बीटीसी कहलाना पसंद करती है.
 
 
बीटीसी के मथांगुरी निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित और मोहिलरी के मंत्रिमंडल में शामिल कोई और नहीं बल्कि बेगम अख्तरा अहमद हैं. उन्हें लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी (पीएचई) विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सितंबर 2025 में हुए बीटीसी चुनावों में क्षेत्रीय राजनीतिक दल बीपीएफ ने 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में बहुमत हासिल किया.
 
40 सीटों वाली परिषद में मौजूदा यूपीपीएल ने सात सीटें और भाजपा ने पाँच सीटें जीतीं. बीटीसी का गठन 2003 में हुआ था और पिछले पाँच वर्षों को छोड़कर हग्रामा मोहिलरी सत्ता में हैं.
 
बीटीसी की पहली महिला कार्यकारी अध्यक्ष बेगम अख्तरा अहमद का शुरू में राजनीति में आने का कोई लक्ष्य या इच्छा नहीं थी. वह वास्तव में एक साहित्यकार बनना चाहती थीं. लेकिन हर चीज़ उम्मीद के मुताबिक नहीं होती. उनके साथ भी यही हुआ.
 
बेगम अख्तरा का जन्म बारपेटा जिले के कलगछिया इलाके में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कलगछिया में ही प्राप्त की. कई विपरीत परिस्थितियों और बाधाओं से गुज़रते हुए बेगम अख्तरा अहमद का वर्तमान पद तक पहुँचने का सफ़र आसान नहीं था. क्योंकि उनके पिता ने उनकी शादी तब कर दी थी जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ रही थीं. उन्होंने अपनी बेटी की आकांक्षाओं पर कभी ध्यान नहीं दिया.
 
 
उनके पति, इब्राहिम अली मोल्ला, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं, एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक थे. बेगम अख्तरा उनसे शादी के बाद निराश नहीं हुईं. क्योंकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख पाईं. उनके पहले बच्चे का जन्म दसवीं कक्षा में ही हुआ था. ऐसी ही परिस्थितियों में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की.
 
उसके बाद, बारहवीं कक्षा में पढ़ते समय उनके दूसरे बच्चे का जन्म हुआ। दो बच्चों की माँ बनने के बावजूद बेगम अख्तरा ने पढ़ाई नहीं छोड़ी. उन्होंने अपने परिवार और बच्चों के साथ शिक्षा और सार्वजनिक जीवन जारी रखा. पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बावजूद उन्होंने 2003 में गुवाहाटी विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की.
 
अपनी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उन्होंने बंगाईगांव जिले के लांगला कॉलेज में अंशकालिक व्याख्याता के रूप में प्रवेश लिया. लेकिन वे ज़्यादा समय तक वहाँ नहीं रहीं. वे राजनीति में आ गईं. वे कांग्रेस में शामिल हो गईं और उन्हें बारपेटा जिला महिला कांग्रेस का संगठन सचिव नियुक्त किया गया.
 
चूँकि उनके पति का घर बीटीसी के बक्सा जिले के मातंगुरी निर्वाचन क्षेत्र के लवाहुर गाँव में है, इसलिए उन्होंने अपना पता बदल लिया और बक्सा जिला महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बन गईं. एक साल से ज़्यादा समय तक कांग्रेस की सेवा करने के बाद, वे 2004 में बीपीएफ में शामिल हो गईं.
 
यहीं से उनकी नई राजनीतिक यात्रा और संघर्षों से भरा नया जीवन शुरू होता है. पार्टी में शामिल होने के बाद, पार्टी प्रमुख मोहिलरी ने बीपीएफ की महिला शाखा का गठन किया और खुद को इसकी अध्यक्ष बनाया. इसका मतलब है कि बेगम अख्तरा बीपीएफ की महिला शाखा की संस्थापक अध्यक्ष हैं.
 
उन्होंने 2005 के बीटीसी चुनावों में पार्टी नेता माखन स्वर्गियारी के लिए काम किया. तीन साल तक बीपीएफ की महिला अध्यक्ष रहने के बाद, पार्टी अध्यक्ष हाग्रामा मोहिलरी ने उन्हें पार्टी का संगठन सचिव नियुक्त किया. अब वह पार्टी की प्रमुख सचिवों में से एक हैं.
 
 
उन्होंने पहली बार 2020 के बीटीसी चुनाव में चुनाव लड़ा था. उन्हें परिषद के मथांगुरी निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार गौतम दास ने लगभग 4,000 मतों से हराया था. हालाँकि, इस बार बेगम अख्तरा ने उसी निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार चुनाव लड़ा और उसी प्रतिद्वंद्वी को 4,000 से अधिक मतों के अंतर से हराकर पहली बार निर्वाचित हुईं.
 
उनका राजनीतिक सफर उनके निजी जीवन जितना आसान नहीं रहा. उन्हें अपने निजी जीवन के साथ-साथ राजनीतिक जीवन में भी कई बाधाओं का सामना करना पड़ा. बेगम अख्तरा अहमद भी कभी हिंसक रहे बीटीसी में मुसलमानों के उत्पीड़न से नहीं बचीं, जब उनके घरों को आग लगा दी गई और निर्दोष लोगों की अंधाधुंध हत्या कर दी गई.
 
उन पर भी हमले हुए. हो सकता है कि कुछ बदमाशों ने हालात का फायदा उठाकर उन पर अत्याचार किया हो और इस तरह के हमले किए हों. उन्हें कई बार बीटीसी की राजनीति से दूर रहने की धमकी भी दी गई. उन पर हमला भी हुआ!
 
बेगम अख्तरा अहमद ने बताया कि 2012 में उनकी तीन कारों में आग लगा दी गई थी. गौरतलब है कि 2012 में बीटीसी में अल्पसंख्यकों पर हमलों की कई घटनाएँ हुईं. ज़्यादातर हमले बक्सा ज़िले में हुए, जहाँ से कई अल्पसंख्यकों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. कई लोगों की तो बेरहमी से हत्या भी कर दी गई.
 
उस समय राजनीति में सक्रिय रहीं बेगम अख्तरा को भी राजनीति से दूर रहने की कई तरह की धमकियाँ दी गईं. एक बार, जब वह एक राजनीतिक बैठक में व्यस्त थीं, तो कार्यक्रम स्थल पर उनकी कार में आग लगा दी गई और वह बाल-बाल बच गईं.
 
2016 में उनके घर पर भी हमला हुआ था. उस समय कुछ उपद्रवियों ने उनके घर में आग लगा दी थी. लेकिन ऐसी घटनाएँ भी उन्हें उनके लक्ष्यों और उद्देश्यों से विचलित नहीं कर पाईं. वह आज इस मुकाम तक इसलिए पहुँच पाई हैं क्योंकि उन्होंने ऐसी चुनौतियों का सामना किया है.
 
यह ऐतिहासिक है कि एक मुस्लिम महिला बीटीसी के लिए चुनी गई है और उसे उस राज्य में कैबिनेट प्रशासक बनाया गया है जहाँ मुसलमानों को कदम-दर-कदम उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है और उन्हें दोयम दर्जे के नागरिक की तरह रहना पड़ता है.
 
बेगम अख्तरा अहमद ने कहा कि हाग्रामा मोहिलरी के नेतृत्व में एक खास बात है. वह यह कि मोहिलरी सभी जातीय समूहों को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहती हैं. इसलिए उन्हें मोहिलरी के नेतृत्व में काम करने में खुशी हो रही है. बेगम अख्तरा ने पहले ही कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया है. उन्होंने कार्यालय में बैठकर अपना काम शुरू कर दिया है.
 
बेगम अख्तरा के अनुसार, बीटीसी एक छोटा सा क्षेत्र है. इसलिए इसके विकास के लिए केंद्र और राज्य की सरकारों पर निर्भर रहना ज़रूरी है. अन्यथा विकास कार्य बाधित हो सकते हैं. इसलिए हमें यह नहीं देखना है कि केंद्र या राज्य में किस पार्टी की सरकार है, हमें उस सरकार के साथ समन्वय बनाकर काम करना है.