स्वीडन में बार-बार क्यों हो रही है कुरान की बेहुरमती!

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 06-05-2024
स्वीडन में बार-बार क्यों हो रही है कुरान की बेहुरमती!
स्वीडन में बार-बार क्यों हो रही है कुरान की बेहुरमती!

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में जेड सैंडबर्ग नाम की महिला ने पुलिस की मौजूदगी में पवित्र कुरान पर तीसरी बार हमला बोला. उसने हाथों में क्रॉस लेकर कुरान पाक को जला दिया. वह मुस्लिमों के विरुद्ध नारेबाजी भी कर रही थी.

स्वीडन में कुरान जलाए जाने से मुस्लिम आबादी में तनाव फैल गया है. एक एक्स यूजर ने लिखा ‘‘मुझे लगा कि कानून पारित हो गया? मुझे लगा कि पुलिस अब इसकी अनुमति नहीं देगी? भगवान उन लोगों को सजा दे, जिन्होंने इन कमीनों को नाटो में जाने दिया.’’

 

 

एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘‘स्वीडन में, पुलिस सुरक्षा के तहत कुरान को फिर से सार्वजनिक रूप से जला दिया गया. माल्मो में 30 फीसद से अधिक आबादी वाले मुसलमानों के पवित्र धर्मग्रंथ का एक और अपमान स्थानीय अधिकारियों की पूरी कृपा से हो रहा है.’’

 

 

पिछले दिनों अनादोलु एजेंसी ने रिपोर्ट दी थी कि स्वीडिश अधिकारियों ने मुस्लिम पवित्र पुस्तक कुरान को जलाने से जुड़े एक और विरोध प्रदर्शन की अनुमति दे दी है.

राष्ट्रीय प्रसारक, एसवीटी न्येथर ने गुरुवार को कहा कि दक्षिणी स्वीडन के माल्मो में पुलिस ने शहर के गुस्ताव्स एडोल्फ्स टॉर्ग सार्वजनिक चौराहे पर होने वाले विवादास्पद विरोध प्रदर्शन के लिए परमिट जारी किया.

स्वीडन में कुरान जलाने के विरोध प्रदर्शन ने कई देशों के साथ स्टॉकहोम के  राजनयिक संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है. इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने सदस्यों से स्वीडन, डेनमार्क और अन्य देशों के खिलाफ राजनीतिक और आर्थिक कदम उठाने का आह्वान किया, जिन्होंने मुस्लिम पवित्र पुस्तक को जलाने और अपवित्र करने की अनुमति दी थी.

अभिव्यक्ति की आजादी के बहाने स्वीडन और डेनमार्क में इस तरह के प्रदर्शनों ने मुस्लिम-बहुल देशों में गुस्से में विरोध प्रदर्शन और राजनयिक मिशनों पर हमलों को भी बढ़ावा दिया है.

जवाब में, डेनमार्क ने पिछले दिसंबर में एक कानून अपनाया, जो सार्वजनिक स्थानों पर कुरान की प्रतियां जलाना अवैध बनाता है. स्वीडन कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर रहा है, जो पुलिस को राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं पर इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों को रोकने की अनुमति देगा.

ओआईसी ने चेतावनी दी है कि उन कृत्यों को रोकना आवश्यक है,जिन्हें ‘आक्रामकता जो धर्मों के प्रति घृणा और अवमानना फैलाती है और वैश्विक शांति, सुरक्षा और सद्भाव के लिए खतरा है’ के रूप में वर्णित किया जा सकता है.

स्वीडन में कुरान जलाने की घटनाएंः कारण और विवाद

पिछले कुछ महीनों में स्वीडन में कुरान जलाने की कई घटनाएं हुई हैं, जिसके कारण मुस्लिम समुदाय में भारी रोष और विरोध प्रदर्शन हुए हैं. इन घटनाओं को समझने के लिए, यह जरूरी है कि हम इनके पीछे के कारणों और इनसे जुड़े विवादों पर गौर करें.

कुरान जलाने के पीछे कुछ मुख्य कारण

  • विशेषज्ञों का मानना है कि इन घटनाओं का मुख्य कारण मुस्लिम विरोधी भावनाओं (इस्लामोफोबिया) में वृद्धि है. कुछ दक्षिणपंथी समूह और व्यक्ति मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ नकारात्मक रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों को फैला रहे हैं.
  • मुस्लिम विरोधी समूहों का कहना है कि मुस्लिम आबादी यूरोप के लिए खतरा बन गई है. मुस्लिमों के कारण यूरोपी संस्कृति खतरे में पड़ गई है.
  • कुछ मामलों में, कुरान जलाने की घटनाओं को तुर्की सरकार के विरोध के तौर पर देखा गया है. स्वीडन ने हाल ही में कुर्द लड़ाकों को हथियार देने से इनकार कर दिया था, जिनका तुर्की से विरोध है.
  • कुरान जलाने वालों का तर्क है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है. उनका मानना है कि उन्हें अपनी राय व्यक्त करने और इस्लाम की आलोचना करने का अधिकार है, भले ही यह मुसलमानों को ठेस पहुंचाए.

इन घटनाओं से जुड़े विवाद

  • मुस्लिम समुदाय इन घटनाओं से क्रोधित और आहत है. उनका मानना है कि यह उनके धर्म का अपमान है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
  • इन घटनाओं के कारण हिंसा और तनाव भी बढ़ा है. कुछ प्रदर्शनों में हिंसा हुई है और मुस्लिम समुदाय के लोगों को धमकियां मिली हैं.
  • इन घटनाओं ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक सम्मान के बीच की सीमा रेखा पर बहस छेड़ दी है. कुछ लोगों का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सर्वोपरि है, जबकि अन्य का मानना है कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना भी जरूरी है.

स्वीडन में कुरान जलाने की घटनाएं जटिल हैं और इनके पीछे कई कारण हैं. इन घटनाओं ने मुस्लिम समुदाय में भारी रोष और विवाद पैदा कर दिया है. यह महत्वपूर्ण है कि हम इन मुद्दों पर खुली और सम्मानजनक बातचीत करें, ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा या ध्रुवीकरण को रोका जा सके.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी स्वीडिश नागरिक इन घटनाओं का समर्थन नहीं करते हैं. स्वीडन सरकार ने इन घटनाओं की निंदा की है और कहा है कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग का समर्थन नहीं करती हैं. कई स्वीडिश नागरिकों ने मुस्लिम समुदाय के साथ एकजुटता दिखाई है और नफरत फैलाने वाली गतिविधियों का विरोध किया है. यह एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, और सभी पहलुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है.