राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में जेड सैंडबर्ग नाम की महिला ने पुलिस की मौजूदगी में पवित्र कुरान पर तीसरी बार हमला बोला. उसने हाथों में क्रॉस लेकर कुरान पाक को जला दिया. वह मुस्लिमों के विरुद्ध नारेबाजी भी कर रही थी.
स्वीडन में कुरान जलाए जाने से मुस्लिम आबादी में तनाव फैल गया है. एक एक्स यूजर ने लिखा ‘‘मुझे लगा कि कानून पारित हो गया? मुझे लगा कि पुलिस अब इसकी अनुमति नहीं देगी? भगवान उन लोगों को सजा दे, जिन्होंने इन कमीनों को नाटो में जाने दिया.’’
In #Stockholm, the capital of Sweden, a woman named Jade Sandberg attacked the Holy Quran for the third time in the presence of police.
— MEHMET SELİM (@msbayy) May 5, 2024
I thought the law was passed?
I thought the police would not allow it anymore?
May God punish those who let these bastards into #NATO. pic.twitter.com/OurpkN3qis
एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘‘स्वीडन में, पुलिस सुरक्षा के तहत कुरान को फिर से सार्वजनिक रूप से जला दिया गया. माल्मो में 30 फीसद से अधिक आबादी वाले मुसलमानों के पवित्र धर्मग्रंथ का एक और अपमान स्थानीय अधिकारियों की पूरी कृपा से हो रहा है.’’
🇸🇪In Sweden, the Quran was publicly burned again under police protection 😡
— Yavuz (@eCommerceTR) May 6, 2024
Another desecration of the sacred scripture of Muslims, who make up more than 30% of the population in Malmö, is taking place with the full indulgence of the local authorities. pic.twitter.com/2GwixRJtvR
पिछले दिनों अनादोलु एजेंसी ने रिपोर्ट दी थी कि स्वीडिश अधिकारियों ने मुस्लिम पवित्र पुस्तक कुरान को जलाने से जुड़े एक और विरोध प्रदर्शन की अनुमति दे दी है.
राष्ट्रीय प्रसारक, एसवीटी न्येथर ने गुरुवार को कहा कि दक्षिणी स्वीडन के माल्मो में पुलिस ने शहर के गुस्ताव्स एडोल्फ्स टॉर्ग सार्वजनिक चौराहे पर होने वाले विवादास्पद विरोध प्रदर्शन के लिए परमिट जारी किया.
स्वीडन में कुरान जलाने के विरोध प्रदर्शन ने कई देशों के साथ स्टॉकहोम के राजनयिक संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है. इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने सदस्यों से स्वीडन, डेनमार्क और अन्य देशों के खिलाफ राजनीतिक और आर्थिक कदम उठाने का आह्वान किया, जिन्होंने मुस्लिम पवित्र पुस्तक को जलाने और अपवित्र करने की अनुमति दी थी.
अभिव्यक्ति की आजादी के बहाने स्वीडन और डेनमार्क में इस तरह के प्रदर्शनों ने मुस्लिम-बहुल देशों में गुस्से में विरोध प्रदर्शन और राजनयिक मिशनों पर हमलों को भी बढ़ावा दिया है.
जवाब में, डेनमार्क ने पिछले दिसंबर में एक कानून अपनाया, जो सार्वजनिक स्थानों पर कुरान की प्रतियां जलाना अवैध बनाता है. स्वीडन कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर रहा है, जो पुलिस को राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं पर इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों को रोकने की अनुमति देगा.
ओआईसी ने चेतावनी दी है कि उन कृत्यों को रोकना आवश्यक है,जिन्हें ‘आक्रामकता जो धर्मों के प्रति घृणा और अवमानना फैलाती है और वैश्विक शांति, सुरक्षा और सद्भाव के लिए खतरा है’ के रूप में वर्णित किया जा सकता है.
स्वीडन में कुरान जलाने की घटनाएंः कारण और विवाद
पिछले कुछ महीनों में स्वीडन में कुरान जलाने की कई घटनाएं हुई हैं, जिसके कारण मुस्लिम समुदाय में भारी रोष और विरोध प्रदर्शन हुए हैं. इन घटनाओं को समझने के लिए, यह जरूरी है कि हम इनके पीछे के कारणों और इनसे जुड़े विवादों पर गौर करें.
कुरान जलाने के पीछे कुछ मुख्य कारण
इन घटनाओं से जुड़े विवाद
स्वीडन में कुरान जलाने की घटनाएं जटिल हैं और इनके पीछे कई कारण हैं. इन घटनाओं ने मुस्लिम समुदाय में भारी रोष और विवाद पैदा कर दिया है. यह महत्वपूर्ण है कि हम इन मुद्दों पर खुली और सम्मानजनक बातचीत करें, ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा या ध्रुवीकरण को रोका जा सके.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी स्वीडिश नागरिक इन घटनाओं का समर्थन नहीं करते हैं. स्वीडन सरकार ने इन घटनाओं की निंदा की है और कहा है कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग का समर्थन नहीं करती हैं. कई स्वीडिश नागरिकों ने मुस्लिम समुदाय के साथ एकजुटता दिखाई है और नफरत फैलाने वाली गतिविधियों का विरोध किया है. यह एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, और सभी पहलुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है.