कौन सी मूर्खता किसे बढ़ा रही है

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 19-06-2023
कौन सी मूर्खता किसे बढ़ा रही है
कौन सी मूर्खता किसे बढ़ा रही है

 

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नफरत की तरह ही मूर्खताएं तमाम दूसरी मूर्खताओं को बढ़ाने के लिए अभिशप्त होती हैं. कुछ समय बाद अक्सर यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कौन सी मूर्खता किसे बढ़ा रही है.जिस समय उत्तराखंड के पुरोला में लव जिहाद के नाम पर बेवजह बवाल हो रहा था, इंदौर की एक मस्जिद के बाहर कुछ पर्चे बांटे जा रहे थे. इस पर्चों में मुसलमानों को हिंदू संगठनों के भगवा लव ट्रैप के लिए आगाह किया जा रहा था.

तर्क यह था कि हिंदू लड़के मुसलमान लड़कियों को लुभा कर अपने जाल में फंसा रहे हैं. इस बीच कुछ और पर्चे भी सामने आए हैं जिनमें लड़किया इस ट्रैप में न आएं इसके लिए उन्हें ढेर सारी हिदायते दी गई हैं. कईं ऐसे ट्वीट भी दिखाई दिए जो हूबहू लव जिहाद वाले ट्वीट जैसे ही हैं, बस नाम वगैरह में थोड़ा-बहुत फेर बदल कर दिया गया है. कुछ जगह सड़कों पर उस तरह की गुंडागर्दी भी दिखी जैसी अभी तक लव जिहाद के नाम पर दिखती रही है.
 
लव जिहाद और भगवा लव ट्रैप दोनों ही तरह का पागलपन समाज में नफरत और हिंसा तो बढ़ा ही रहा है, साथ ही दोनों समुदायों के बीच दूरियां भी बढ़ा रहा है. इसके साथ ही देश की लड़कियों और औरतों ने देश की आजादी के बाद से अब तक जो भी थोड़ा बहुत हासिल किया है उनसे वह भी छीनने पर आमादा है.
 
love
 
दोनों के ही पीछे की सोच पूरी तरह पुरुषवादी है. वे मानकर चलती हैं कि लड़कियां मानसिक तौर पर परिपक्व नहीं होती हैं. उन्हें बहुत आसानी से बहकाया, फुसलाया और बेवकूफ बनाया जा सकता है. दोनों ही तरह की सोच अपने जीवन और अपने जीवन साथी के बारे में फैसला करने का लड़कियों का अधिकार छीन लेना चाहती है.
 
यह सब उसी सोच का नतीजा है जो यह मानकर चलती है कि औरतें उनकी संपत्ति हैं और उन पर कोई नजर भी नहीं उठा सकता जबकि दूसरों की संपत्ति को हड़पने का उन्हें पूरा अधिकार है. यह मध्ययुगीन सोच मानती है कि नैतिकता और समुदाय की पवित्रता को बचाने की पूरी जिम्मेदारी औरतों की है, जबकि पुरुष कुछ भी कर सकते हैं.
 
पिछले आधी सदी में यह दुनिया काफी बदली है. औरतों ने न सिर्फ तालीम हासिल की है, बल्कि उसमें मर्दों को पछाड़ने भी लग गईं हैं. इसके अलावा वे हर क्षेत्र में मर्दों के बराबर पहुंच गई है. लव जिहाद और भगवा लव ट्रैप की सोच औरतों से यह सब छीन लेना चाहती है.
 
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भारत का संविधान औरत और मर्द में कहीं और कभी कोई फर्क नहीं करता. दूसरी तरफ कानून यह कहता है कि 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को, चाहे वे मर्द हों या औरत, उन्हें अपने और अपने जीवन के बारे में हर तरह का फैसला करने का अधिकार है.
 
लव जिहाद और भगवा लव ट्रैप के लिए अभियान चलाने वालों की नजर में न तो भारत के संविधान के लिए कोई सम्मान है और न ही उन्हें किन्हीं कानूनों की कोई परवाह है. और बराबरी की सोच से तो खैर उनका कोई नाता भी नहीं है.  
 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )