यूक्रेन, गाजा युद्ध धमाके के साथ खत्म होगा, फुसफुसाहट के साथ नहीं

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 14-09-2025
Ukraine, Gaza war will end with a bang, not a whimper
Ukraine, Gaza war will end with a bang, not a whimper

 

dसईद नक़वी

यूक्रेन और गाजा हमारी स्क्रीन पर लगातार चलने वाले टीवी धारावाहिक हैं, क्योंकि लेखकों को यह नहीं पता कि अंतिम दृश्य कैसे लिखा जाए. कहानी का सामान्य सार तो पता है, लेकिन अंत नहीं. गाजा युद्ध का अंत निरंतर विलंबित होता जा रहा है. अमेरिका और इजरायल दोनों ही यह स्वीकार करने में शर्मिंदा हैं कि एक देश के लिए वैश्विक असाधारणता और यहूदी राष्ट्र के लिए क्षेत्रीय असाधारणता खोखली है, क्योंकि 2008 में लेहमैन ब्रदर्स के पतन के बाद से वैश्विक शक्ति उत्तर से दक्षिण की ओर तेजी से स्थानांतरित हो रही है.

 वियतनाम सिंड्रोम से उबरने में दशकों लग गए थे, 1975 में साइगॉन में हुई पराजय के बाद अमेरिकी जनता की राय में विदेशी हस्तक्षेप के प्रति गहरा प्रतिरोध पैदा हो गया था.9/11 के बाद के युद्धों ने एक तरह से एड्रेनालाईन का संचार कर दिया था, क्योंकि नव-रूढ़िवादी अमेरिकी सदी को तेज़ी से आगे बढ़ाने में लगे थे.

अमेरिका जब छोटे-बड़े कई युद्धों में उलझा हुआ था और दुनिया भर में उसके 760 अड्डे थे, तब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रंप ने राष्ट्रपति जिमी कार्टर से पूछा: "चीन अमेरिका से आगे निकल रहा है; हमें क्या करना चाहिए ?" कार्टर का जवाब सटीक था. "1978 में वियतनाम के साथ हुई झड़प को छोड़कर, चीन कभी युद्ध में नहीं रहा; हमने कभी युद्ध करना बंद नहीं किया."

 अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका की वापसी, कई मायनों में, अमेरिकी, बल्कि पश्चिमी, आत्मसम्मान के लिए 50 साल पहले वियतनाम युद्ध की पराजय से भी ज़्यादा विनाशकारी थी. अथक वियतनामी राष्ट्रवाद एक कारक था, लेकिन वाल्टर क्रोनकाइट जैसे एंकरों की उत्कृष्ट पत्रकारिता से प्रेरित अमेरिकी जनमत ने ही इस नाटकीय अंत को गति देने में मदद की.

 अफ़ग़ानिस्तान में मुख्यधारा के मीडिया ने नकारात्मक भूमिका निभाई. उसने मामले को छुपाया. दरअसल, पश्चिमी मीडिया की मौजूदा त्रासदियों में से एक पश्चिमी मीडिया की विश्वसनीयता का पतन है. इस भारी विश्वसनीयता की कमी के कई जटिल कारण हैं, लेकिन मैं दो पर बात करूँगा.

 एक, समान मर्डोकीकरण ने क्षणभंगुर एकमात्र महाशक्ति के क्षण को एक अधिक स्थायी घटना समझ लिया. वाशिंगटन पोस्ट के संपादकीय, अपने सामान्य प्रवाह में, मान लीजिए, "ले मोंडे" से अप्रभेद्य हो गए. एकध्रुवीय विश्व के बीत जाने के बावजूद, मीडिया अपनी आदत में जड़वत बना हुआ है. वह अब भी खुद को यह भ्रम दे रहा है कि वह एकध्रुवीय क्षण की सेवा में है.

 इसके अलावा, जब युद्ध छिड़ जाता है, तो युद्ध संवाददाता किसी भी हालत में प्रचारक और मिथक-निर्माता बन जाता है. चूँकि अमेरिका 1990 के दशक से लगातार युद्धरत रहा है, इसलिए पत्रकार विश्वसनीयता खोकर प्रचारक ही बने रहे हैं.

दोनों युद्धों की कहानी ज़मीनी हक़ीक़तों से टकराती है. मीडिया द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई कहानी में एक ऐसा परिदृश्य गढ़ा गया जिसमें पुतिन ने अपने "साम्राज्यवादी सपनों" को पूरा करने के लिए बिना किसी उकसावे के यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया.

 1991 में विदेश मंत्री जेम्स बेकर द्वारा गोर्बाचेव से किए गए वादे भुला दिए गए कि "नाटो रूस के एक इंच भी क़रीब नहीं आएगा." 2008 में बुखारेस्ट में नाटो शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने जॉर्जिया और यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की घोषणा करके पुतिन की आँखों में धूल झोंक दी थी. पुतिन इस लाल रेखा का उल्लंघन नहीं होने देंगे. रूस के लिए यह अस्तित्व का ख़तरा था.

 इससे भी बदतर उकसावे हुए, जिनमें 2014 का तख्तापलट भी शामिल है, जिसमें तटस्थता चाहने वाले निर्वाचित राष्ट्रपति यानुकोविच को एक पश्चिम-समर्थक उम्मीदवार द्वारा बदल दिया गया. इन सबके अलावा और भी बहुत कुछ, पश्चिमी मीडिया को तीव्र स्मृतिलोप हो गया.

 इसी तरह, गाजा मोर्चे पर दो वर्षों में फैले इजरायल के नरसंहार और भुखमरी से बड़े पैमाने पर हत्या को हमास की उस दुस्साहस की सजा के रूप में उचित ठहराया जा रहा है, जिसमें उसने 7 अक्टूबर, 2023 को 1,200 यहूदियों की हत्या की थी और 251 लोगों को बंधक बना लिया था.

 यूक्रेन में नाटो, यूरोपीय संघ, यूरोप और अमेरिका, सभी की ताकत रूस के खिलाफ खड़ी है. रूस के खिलाफ पश्चिमी योजनाओं में जिस चीज ने बाधा डाली है, वह है "बिना किसी सीमा के" दोस्ती, जिसकी घोषणा रूस और चीन ने उसी महीने की शुरुआत में की थी जब रूसी सेना यूक्रेन में दाखिल हुई थी.

 दोनों युद्धों को असल में भड़काने वाली बात बोरिस जॉनसन ने तब कही थी जब उन्होंने पार्टीगेट में फँसकर अप्रैल 2022 में इस्तांबुल में हुए एक समझौते को रद्द कर दिया था. विदेश नीति के एक लेख के अनुसार, जॉनसन ज़ेलेंस्की का हाथ थामने के लिए कीव पहुँचे थे. "पश्चिम अभी युद्ध समाप्त करने के लिए तैयार नहीं था." उनके लिए, युद्ध यूक्रेन के बारे में नहीं, बल्कि पश्चिमी प्रभुत्व के बारे में था.

 यूक्रेनियों के हताहतों की संख्या 17 लाख है. सभी विश्वसनीय आंकड़ों के अनुसार, युद्ध के मैदान में रूस की बढ़त लगातार जारी है. डोनाल्ड रम्सफेल्ड ने जिसे "पुराना यूरोप" कहकर अपमानित किया था, उसके सात नेता वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की को ओवल ऑफिस में ट्रंप दरबार तक किस उद्देश्य से ले गए थे?

कृपया पुतिन से बात न करें? पुतिन की शर्तों पर यूक्रेन युद्ध समाप्त न करें. यूरोपीय सुरक्षा का हवाला दें, भले ही पश्चिमी आधिपत्य ही दांव पर हो. 7 अक्टूबर के "अल अक्सा बाढ़" हमले के लगभग दो साल बाद, गाजा मोर्चे पर क्या स्थिति है?

हमास का हमला इज़राइल को हराने के लिए नहीं, बल्कि इज़राइली जवाबी कार्रवाई को आमंत्रित करने के लिए था. यहूदी राज्य इतनी अवर्णनीय बर्बरता के साथ सीधे जाल में फँस गया कि दुनिया दंग रह गई और आँखें मूंद लीं.

 मान लीजिए हिटलर किसी शैतानी स्थिति में बच जाता, तो क्या युद्धोत्तर किसी भी सभा में उसका स्वागत होता? इसका उत्तर, ज़ाहिर है, एक ज़ोरदार 'नहीं' है. उस रंगभेदी राज्य पर कोई और तर्क क्यों लागू होगा जिसने नरसंहार किया हो, लाइव टीवी पर भूख से कत्लेआम किया हो और जिसकी युद्ध में एकमात्र विशेषज्ञता लोकप्रिय नेताओं की हत्या करना ही हो.

 इस युद्ध के खत्म होने के अगले दिन, मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि नेतन्याहू पर फूल बरसाए जाएँगे. न तो वह और न ही वह "नदी से समुद्र" परियोजना जिसके लिए वह प्रयासरत है, टिकने लायक है..

पश्चिम दो और पराजयों का सामना कैसे करेगा - एक यूरोप के मध्य में और दूसरी पश्चिम एशिया में अपनी सबसे शक्तिशाली चौकी पर? ऐसा आसानी से नहीं होने दिया जाएगा. यूक्रेन को मज़बूत करने के लिए टॉरस मिसाइलों और मध्यम दूरी की मिसाइलों की चर्चा हो रही है.

हताशा में, इन्हें मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग के आसपास पहले से ही कैमरे लगाकर इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि आतिशबाजी हो सके, जो ज़मीन पर उलटफेर को अस्थायी रूप से दबा देगी. अपनी पीठ दीवार से सटाए इज़राइल, ईरान को किसी और घातक चीज़ से निशाना बना सकता है. दुनिया मास्को और तेहरान पर शर्मनाक सस्पेंस में लगातार नज़र रखेगी.

(लेखक देश के नामचीन पत्रकारों में शुमार होते हैं. यह उनके अपने विचार हैं.)