आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
एक हालिया टीवी विज्ञापन ने आमतौर पर नज़रअंदाज़ किए जाने वाले उत्पाद पेप्टो-बिस्मोल को फिर से चर्चा में ला दिया है. गुलाबी रंग में रंगे इस विज्ञापन ने दर्शकों का ध्यान खींचा, जो अपने हास्यपूर्ण और अवास्तविक प्रस्तुतिकरण के बावजूद एक गंभीर स्वास्थ्य संदेश भी देता है.
पेप्टो-बिस्मोल की शुरुआत 1901 में हैजा के लक्षणों को कम करने के लिए हुई थी। वर्तमान में यह उत्पाद मतली, अपच, सीने में जलन और दस्त जैसे लक्षणों के इलाज के लिए जाना जाता है.
हालांकि यह विज्ञापन विचित्र लग सकता है, लेकिन इसने दर्शकों को एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सलाह भी दी है—यदि लक्षण बरकरार रहें, तो डॉक्टर से संपर्क करें। यह सलाह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लगातार बनी रहने वाली अपच किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकती है.
पाचन तंत्र और अपच से जुड़ी जानकारी:
मानव शरीर में पाचन तंत्र को दो भागों में बांटा जाता है—ऊपरी और निचला। ऊपरी पाचन तंत्र में मुंह, ग्रसनी, इसोफेगस (अन्ननली), पेट और छोटी आंत का पहला भाग डिओडेनम शामिल होता है.
इन हिस्सों से जुड़ी समस्याओं में आमतौर पर डिस्पेप्सिया (अपच) शामिल है, जिसमें पेट फूलना, डकार आना, मतली और भारीपन जैसी शिकायतें देखी जाती हैं। यह स्थिति अम्लता, रिफ्लक्स या वॉटरब्रैश यानी गले में कड़वाहट के रूप में भी सामने आ सकती है.
बाजार में अपच से राहत देने वाली कई दवाएं उपलब्ध हैं जैसे कि पेप्टो-बिस्मोल, गैविस्कॉन (जो पेट की अम्लीय परत पर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है), और रैनी जैसी चबाने वाली टैबलेट। ओमेप्राजोल जैसी एसिड-घटाने वाली दवाएं भी बिना डॉक्टर के पर्चे के मिलती हैं, लेकिन लंबे समय तक इनका इस्तेमाल गंभीर बीमारियों की पहचान में देरी कर सकता है.
अपच के संभावित कारण:
तेज मसालेदार भोजन, पेट का संक्रमण, हाइटस हर्निया, गर्भावस्था, मोटापा, धूम्रपान और कुछ दवाएं (जैसे कि आईबुप्रोफेन, एंटीडिप्रेसेंट्स, आयरन टैबलेट्स) अपच का कारण बन सकती हैं.
कुछ मामलों में यह हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण भी होता है, जो पेट की परत में रहकर अल्सर का कारण बन सकता है। इसका इलाज एंटीबायोटिक्स और ओमेप्राजोल से किया जाता है. अधिक गंभीर मामलों में यह संक्रमण पेप्टिक अल्सर या पाचन तंत्र में छिद्र का कारण बन सकता है.
कभी-कभी अपच कैंसर का भी संकेत हो सकता है.
ऊपरी पाचन तंत्र के कैंसर, अग्न्याशय (पैंक्रियाज) और डिम्बग्रंथि (ओवरी) के कैंसर भी अपच जैसे लक्षण दे सकते हैं. यहां तक कि हृदय संबंधी समस्याएं भी अपच जैसे लक्षण पैदा कर सकती हैं, इसलिए सही निदान के लिए चिकित्सकीय सलाह लेना जरूरी है.
कब सतर्क हों:
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस के दिशानिर्देशों के अनुसार यदि किसी मरीज को पेट में गांठ, निगलने में कठिनाई, अचानक वजन घटना, या 50 वर्ष की उम्र के बाद लगातार अपच की समस्या हो, तो एंडोस्कोपी जैसे परीक्षण जरूरी हैं.
इसके अतिरिक्त, आयरन की कमी वाले एनीमिया, पुराना अल्सर, पाचन तंत्र में रक्तस्राव (जैसे कि खून की उल्टी या मल में खून) और पीलिया, उल्टी, थकान आदि भी गंभीर लक्षण हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
जहां एक ओर पेप्टो-बिस्मोल का रंगीन विज्ञापन हल्के-फुल्के अंदाज़ में दर्शकों को आकर्षित करता है, वहीं यह ध्यान दिलाता है कि अपच एक आम लेकिन हमेशा सामान्य न होने वाली स्थिति है। दवाएं राहत तो दे सकती हैं, लेकिन लगातार या गंभीर लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर से परामर्श जरूरी है.