पूर्व का चाबहार: सिटवे पोर्ट से खुलेगा भारत–आसियान व्यापार का नया द्वार

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 14-09-2025
Act East Policy: A new chapter in connectivity in Northeast India
Act East Policy: A new chapter in connectivity in Northeast India

 

महमूद हसन
पूर्वोत्तर भारत की समुद्री पहुंच सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को गति देने के लिए भारत सरकार की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत नई परियोजनाओं को तेजी से अमलीजामा पहनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिज़ोरम के बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन का उद्घाटन किए जाने के बाद अब इस लाइन को इंडो–म्यांमार सीमा तक बढ़ाने की योजना है, जिससे कालादान मल्टी–मॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट (KMTTP) और सिटवे पोर्ट तक रेलमार्ग से पहुंच संभव होगी. 

सिटवे पोर्ट को भारत की सहायता से म्यांमार के रखाइन राज्य में 484 मिलियन डॉलर की लागत से विकसित किया गया है. यह बंदरगाह उत्तर–पूर्व के लिए समुद्र का नया मार्ग उपलब्ध कराएगा, जिससे माल परिवहन की लागत और समय में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आएगी. अभी कोलकाता से अगरतला तक का रास्ता 1,600 किलोमीटर और चार दिन का है, जो इस नई परियोजना से आधा रह जाएगा. 
 
विदेश मंत्रालय के अनुसार यह परियोजना 2008 में तत्कालीन ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ के तहत शुरू की गई थी, जिसका मकसद म्यांमार व दक्षिण–पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार बढ़ाना और चीन के प्रभाव को संतुलित करना था. कालादान नदी के रास्ते मिज़ोरम को हल्दिया/कोलकाता अथवा अन्य भारतीय बंदरगाहों से जोड़ने की योजना भी इसी का हिस्सा है.
 
 
बंदरगाह पूरी तरह चालू होने के बाद यह न केवल पूर्वोत्तर के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्ग उपलब्ध कराएगा बल्कि ‘चिकन नेक’ कॉरिडोर पर दबाव भी कम करेगा। सिटवे से कोलकाता तक की समुद्री दूरी 539 किलोमीटर है. पोर्ट की अधिकतम क्षमता 20,000 डीडब्ल्यूटी है और इसे भारत की मदद से विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां ASEAN देशों की भागीदारी भी प्रस्तावित है.
 
KMTTP चार हिस्सों में बंटा है – भारत से सिटवे तक समुद्री मार्ग, सिटवे से पलेटवा तक कालादान नदी के रास्ते, पलेटवा से इंडो–म्यांमार सीमा तक सड़क और फिर राष्ट्रीय राजमार्ग 54 से पूर्वोत्तर भारत के बाकी हिस्सों तक। इस नेटवर्क में 69 पुल भी बनाए जा चुके हैं.
 
ऐतिहासिक दृष्टि से यह क्षेत्र अराकान (अब रखाइन) कहलाता था, जहां कभी दिल्ली सल्तनत और फिर मुगल शासन का असर रहा. असम और म्यांमार के बीच सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं.
 
सिटवे पोर्ट के चालू होने के बाद भारत–म्यांमार एवं दक्षिण–पूर्व एशिया के बीच व्यापार, पर्यटन, कृषि और विनिर्माण में नए अवसर खुलेंगे. हाल में कोलकाता से पहली मालवाहक जहाज एमवी आईटीटी लायन के पहुंचने पर भारतीय केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और म्यांमार के उपप्रधानमंत्री एडमिरल टिन आंग सान ने संयुक्त रूप से पोर्ट का उद्घाटन किया. इसे “पूर्व का चाबहार” कहा जा रहा है.