आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
दुबई से एक ऐसा समय, ऐसा मुकाबला सामने है कि यह केवल क्रिकेट का नहीं, बल्कि भाव, प्रकृति और पहचान का विषय बन चुका है. भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप 2025 का यह मैच, हाल की घटनाओं—पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत द्वारा पाकिस्तान में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की वजह से खेल से कहीं ज़्यादा प्रतीकात्मक हो गया है. इस बार पिच पर बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी, स्ट्रैटेजी से ज़्यादा चिंतन है कि क्या मैच खेलना सही है, कब तक टकराव बनेगा और कैसे भावनात्मक दरारों को मैदान भर में नज़र अंदाज़ किया जा सकता है.
इस मैच में विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की अनुपस्थिति महसूस होगी.वे ‘आपात’ स्थितियों में जाकर बैठेंगे,लेकिन विरोधी टीम पाकिस्तान भी बाबर आज़म और मोहम्मद रिज़वान जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को मैदान में नहीं उतार पाएगी.
इस तरह एक नया युग बनता दिख रहा है, जिसमें अभिषेक शर्मा, सैम अयूब, सलमान आगा और शुभमन गिल जैसे नए चेहरे सामने आ रहे हैं. ये युवा खिलाड़ी इस तरह की प्रतिद्वंद्विता में अपने लिए पहचान बनाने की स्थिति में हैं,जहां “पुरानी धड़कन” हो, बज रही हो, लेकिन साज़ नया हो.
ऐसा कोई दृश्य जहाँ दो देश आमने–सामने हों, लेकिन कुछ बदल चुका हो,नेताओं की बयानबाज़ी, जनता की भावनाएँ, मीडिया की निगाहें, और खिलाड़ियों पर उस भारी उत्तरदायित्व का दबाव जिसे उन्होंने शायद पहले महसूस न किया हो. इस सब के बीच, Sunday को पहला ओवर फेंकते समय पिच पर ही नहीं, देश की आत्मा के टकराव का अनुभव होगा.
भारत और पाकिस्तान—दोनों ही टीमों ने हाल के टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में मिश्रित प्रर्दशन किया है। दोनों की फॉर्म गाइड इस तरह है:
भारत: W W W L W
पाकिस्तान: W W W L W
दोनों टीमों ने तीन जीत और एक हार दर्ज की है, और एक मुकाबला हाल ही में इन्हीं टीमों ने खेला होगा. इस मैच में जो फॉर्म दिखेगी, वह न सिर्फ़ वर्तमान स्तर की झलक होगी बल्कि भविष्य की रणनीति, खिलाड़ियों के चयन और मानसिक मजबूती को भी उजागर करेगी.
दुबई की पिचें आम तौर पर धीमी होती हैं और गेंदबाज़ी कर रही टीमों को मदद देती हैं, विशेषकर स्पिनर्स को. इस इतिहास के अनुसार पिच पर जो रुझान बने हैं, वे गेंदबाज़ी की दिशा में झुके हुए हैं.
अभिषेक शर्मा
शुभमन गिल
संजू सैमसन ( विकेटकीपर )
सूर्यकुमार यादव
तिलक वर्मा
शिवम दुबे
हार्दिक पांड्या
अक्षर पटेल
कुलदीप यादव
जसप्रीत बुमराह
वरुण चक्रवर्ती
इस टीम में संतुलन है,कुछ तेज़ गेंदबाज़, कुछ स्पिनर, ऑलराउंडर और बल्लेबाज़ी क्रम में बदलाव की क्षमता. बुमराह की ताज़गी, कुलदीप और वरुण का स्पिन प्रेशर, अक्षर की कंटेनमेंट, हार्दिक-संजू-सूर्यकुमार की बल्लेबाज़ी आग—in सबका तालमेल ज़रूरी होगा.
साहिबज़ादा फरहान
सैम अयूब
फखर ज़मान
सलमान आगा (कप्तान)
हसन नवाज़
मोहम्मद हारिस (विकेटकीपर)
मोहम्मद नवाज़
फ़हीम अशरफ़
शाहीन शाह अफरीदी
सुफ़ियान मुकीम
अबरार अहमद
पाकिस्तान ने तेज़ गेंदबाज़ी और स्पिन दोनों को पर्याप्त स्थान दिया है। हारिस रउफ़ को वापस लाना उन्हें अधिक लचीलापन दे सकता है.
दुबई की पिचें पिछले वर्षों के आँकड़ों से दिखाती हैं कि तेज़ गेंदबाज़ों ने ज़्यादा विकेट लिए हैं, लेकिन स्पिनर्स ज़्यादा किफ़ायती रहे हैं. पहले पारी में रन रेट औसतन 7.7 का है, जो इस प्रारूप के लिहाज़ से मध्यम–उच्च रेट की श्रेणी में आता है, लेकिन कोर्ट परिस्थितियाँ और दबाव इसे बदल सकते हैं.
मौसम की बात करें तो बारिश की कोई संभावना नहीं है, लेकिन रात की गर्मी दमघोंटू हो सकती है, जिससे खिलाड़ियों पर अधिक शारीरिक और मानसिक दबाव होगा. ऐसे में स्ट्रेटेजी होगी कि शुरूआत तेल से अच्छी हो और बाद में मध्य क्रम और अंत की बल्लेबाज़ी को संभाल कर रखा जाए.
2014 से अब तक भारत–पाकिस्तान के बीच खेले गए आठ टी20 मैचों में से सात में लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम ने जीत हासिल की है. दुबई में भी तीन–तीन ऐसे मुकाबले हुए हैं.
हार्दिक पांड्या भारत–पाकिस्तान के मुकाबलों में पुरुष टी20 में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों में से एक हैं. उन्होंने छह पारियों में कुल 13 विकेट लिए हैं—with विशेष रूप से तीन–तीन विकेट लेने की झलक। औसत रन-प्रति-विकेट लगभग 12 का है—यह शक्ति और सामर्थ्य दोनों का प्रमाण है.
संख्या बताते हैं कि भारत का रन रेट टी20 मैचों में खिलाड़ियों के बीच तीसरे सर्वश्रेष्ठ पॉज़िशन पर है, जबकि पाकिस्तान का रन रेट सातवें स्थान पर है.
इस मैच से जुड़े राजनीतिक और सामाजिक सवाल इस तरह हैं:
क्या खेल को राजनीतिक घटनाओं से पूरी तरह अलग रखा जा सकता है?
क्या इस तरह के मैच, विशेष रूप से जब हाल ही में हमारे नागरिकों और सैनिकों को चपेट में आने जैसी घटनाएँ हुई हों, उचित होते हैं?
खिलाड़ियों का मनोबल, मैदान के बाहर भी, लगातार जांच और आलोचना के अंतर्गत है। खिलाड़ी अपनी भूमिका निभाने के साथ-साथ देश की भावनाओं को भी नहीं भूल सकते.
गौतम गंभीर ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि जब तक सीमा पार से आतंकवाद समाप्त नहीं होता, तब तक द्विपक्षीय संपर्क—क्रिकेट हो या कोई और सांस्कृतिक या मीडिया संबंध,मामूली नहीं माना जाना चाहिए.लेकिन सरकार ने अंतरराष्ट्रीय और बहु-राष्ट्रीय नियमों, जैसे कि ओलंपिक चार्टर आदि का हवाला दिया है, जो देशों को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में खेलने की अनुमति देते हैं, भले ही द्विपक्षीय मैचों में स्थिति संवेदनशील हो.
इस मुकाबले की अहमियत सिर्फ़ यह है कि कौन रन बनाएगा या विकेट लेगा। यह इस बात की परीक्षा है कि कैसे खिलाड़ी, टीम प्रबंधन और प्रशंसक ऐसे संवेदनशील समय में खेल को सांकेतिक घटनाओं के ऊपर रख सकते हैं.
भारत के लिए यह सिर्फ जीत की बात नहीं है,यह दिखाने की बात है कि देश की भावनाएँ महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन खेल के मैदान में आत्म–नियंत्रण, अनुशासन और खेल भावना भी उतनी ही ज़रूरी है.
नए चेहरे, नए खिलाड़ी—ये सिर्फ़ नए विकल्प नहीं, नए अवसर हैं—कैसे भारत–पाकिस्तान मैच को एक नए अर्थ में देखा जाए, जहां प्रतिद्वंद्विता तनावपूर्ण हो सकती है लेकिन सम्मान और खेल के नियमों को नहीं लाँघा जाए.
और अंततः, यह मैच दर्शायेगा कि क्रिकेट सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि शख्सियतों, भावनाओं और राष्ट्रों के बीच की अनकही कहानियों का मंच है—जहाँ जितना महत्व रन–विकेट का है, उतना ही है उस तरह से मैदान पर उतरने का, खेल प्रदर्शित करने का और देश की आशाओं पर खरा उतरने का.