लक्षद्वीप की असल खूबसूरती

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 07-01-2024
The real beauty of Lakshadweep
The real beauty of Lakshadweep

 

हरजिंदर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद लक्षद्वीप इन दिनों चर्चा में है. यह उम्मीद जाहिर की जा रही है कि अखबारों में छपी यह यात्रा की तस्वीरों और टेलीविजन पर दिखाए गए वीडियो के बाद लोग इस केंद्र शासित राज्य की द्वीपों की ओर आकर्षित होंगे. कुछ ऐसी ही चर्चा लक्षद्वीप की सत्तर के दशक में तब हुई थी जब इंदिरा गांधी ने लक्षद्वीप की यात्रा की थी.

लक्षद्वीप खबसूरत तो है ही साथ देश का सबसे शांत इलाका है। यहां की 97 फीसदी आबादी मुस्लिम है जो प्रकृति और बाकी भारत की मुख्यधारा से निरंतर जुड़ी रही है. 36 द्वीपों वाले इस अनोखे द्वीपसमूह का इतिहास भी अपने आप में अनोखा है. कहा जाता है कि इसका जिक्र रामायण में भी हुआ है और तमाम जातक कथााओं में भी। कुछ प्रमुख भिक्षुओं के वहां जाने का जिक्र भी मिलता है.
 
लक्षद्वीप अरब सागर और हिंद सागर के बीच के इस इलाके में है जहां सदियों से व्यापारिक जहाज सुस्ताने के लिए लंगर डालते रहे हैं. खासकर वे जहाज जो भारत आ रहे होते थे या फिर पूर्व के अन्य देशों की ओर जा रहे होते थे। इसी के चलते यह छोटा मोटा कारोबारी केंद्र बन गया था जहां रोजगार के अवसर देख मालबार क्षेत्र यानी आज के केरल के लोग जाकर बस गए थे.
 
modi
 
हालांकि हजारों साल में उन्होंनें मालबार से अलग एक अपनी ही संस्कृति विकसित कर ली थी. हालांकि यहां शासन केरल क्षेत्र के राजाओं का ही चलता था. व्यापरिक जहाजों के साथ ही वहां इस्लाम भी आया.
एक खास बात यह कि बाकी भारत में इस्लाम सातवीं सदी के बाद आया जबकि लक्षद्वीप में यह छठी सदी में ही आ गया था.
 
लक्षद्वीप में इस्लाम के प्रसार का श्रेय शेख ओबेदुल्लाह को दिया जाता है. शेख ओबेदुल्लाह खलीफा अबू बकर की वंश पंरपरा में थे. कुछ जगह बताया गया है कि वे अबू बकर के पोते थे। कहा जाता है कि मदीना के रहने वाले शेख ओबेदुल्लाह जहाजों में बैठ कर दुनिया भर का सफर करते थे. इन्हीं यात्राओं के दौरान समुद्री तूफान में फंस कर उनका जहाज टूट गया और लक्षद्वीप में किनारे लगा.
 
हालांकि उनके लक्षद्वीप पहंुचने की एक दूसरी कहानी भी है. कहते हैं कि एक दिन वे मदीना के पवित्र मस्जिद में सो गए. वहां सपने में उन्हें आदेश मिला कि वे जेद्दाह के पूर्व में जाएं और लोगों की इस्लाम की शिक्षा दें. इसके बाद वे निकल पड़े और लक्षद्वीप पहंुच गए.
 
modi
 
इन दोनों में ही हम जिस भी बात पर यकीन करें सच यही है कि लक्षद्वीप में उन्होंने इस्लाम का प्रचार तब किया जब बाकी भारत में लोगों को इस्लाम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. फिर वहीं से इस्लाम केरल के कईं हिस्सों में पहंुचा. यहीं उनका निधन भी हुआ. यहीं के एक एंड्राॅट द्वीप की जुमा मस्जिद में ही उनका मकबरा भी है.
 
इसी लक्षद्वीप में एक सूफी परंपरा भी शुरू हुई जो बाकी दुनिया की सूफी परंपरा से थोड़ी अलग है. लक्षद्वीप की अपनी अलग भाषा भी है जिसे जेसरी कहते हैं. द्राविड़ भाषा समूह की यह भाषा मलयाली के काफी नजदीक है लेकिन उस पर अरबी भाषा का असर भी साफ दिखता है.
 
लक्षद्वीप की खूबसूरती सिर्फ उसे द्वीपों की वजह से नहीं है, बल्कि उसके उस समाज की वजह से भी है जो भारत की डाईवर्सिटी में चार चांद लगाता है.
 
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )