नए साल में परिवार संग क्वालिटी टाइम, बांसेरा पार्क है बेहतरीन ठिकाना

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 31-12-2025
Quality time with family in the new year, Bansera Park is the best place
Quality time with family in the new year, Bansera Park is the best place

 

मलिक असगर हाशमी | नई दिल्ली

दिल्ली-एनसीआर की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कामकाजी लोग अक्सर ऐसे अवकाश की तलाश में रहते हैं, जहाँ वे रोज़मर्रा की जिम्मेदारियों और ट्रैफिक, डेडलाइन व मीटिंग्स की झंझटों से दूर परिवार के साथ कुछ सुकून भरे पल बिता सकें। अगर तीन-चार छुट्टियाँ एक साथ मिल जाएँ, तो लोग आमतौर पर उत्तराखंड, हिमाचल या कश्मीर की पहाड़ियों का रुख़ करते हैं, या फिर राजस्थान के थार क्षेत्र की ओर निकल पड़ते हैं। लेकिन जब सिर्फ़ एक दिन या एक छोटी छुट्टी हाथ आती है, तब पास-पड़ोस में ही किसी ऐसे ठिकाने की तलाश शुरू होती है, जो सुंदर हो, भीड़ से अपेक्षाकृत मुक्त हो और जहाँ पहुँचने में ज़्यादा समय न लगे।
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दिल्ली में ऐसा ही एक विशाल, वृहद और मन को भाने वाला स्थल मौजूद है, जिसके बारे में अब भी बहुत से लोग पूरी तरह परिचित नहीं हैं। यह जगह रेल, मेट्रो, सार्वजनिक परिवहन, दोपहिया और चारपहिया—हर माध्यम से आसानी से पहुँची जा सकती है, फिर भी दिल्ली और एनसीआर के लोगों ने इसे अब तक कम ही एक्सप्लोर किया है। इस स्थान का नाम है बांसेरा पार्क। नए साल 2026 के पहले दिन परिवार के साथ सुकून और ताज़गी के साथ शुरुआत करने के लिए यह जगह एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है।

यमुना के पश्चिमी किनारे, सराय काले खां के पास स्थित बांसेरा पार्क आज दिल्ली का पहला बांस-थीम वाला पार्क है। लेखक का इससे पहला परिचय तब हुआ, जब वे यहाँ आयोजित ‘जश्न-ए-रेख्ता’ में शरीक हुए थे। उस समय इस जगह के पार्क, फूलों की सजी-संवरी क्यारियाँ, बांस से बने ढाँचे और खुला-खुला वातावरण देखकर वे भी हैरान रह गए थे। यह वही इलाका है, जहाँ कभी झुग्गियाँ थीं, कूड़े और मलबे का अंबार लगा रहता था और यमुना किनारे की यह ज़मीन उपेक्षा की मिसाल बन चुकी थी। आज वही जगह एक छोटे-से ‘स्वर्ग’ में तब्दील हो चुकी है।
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जब यमुना नदी के पास कदम बढ़ते हैं, तो हवा अचानक हल्की और ठंडी महसूस होने लगती है। दिल्ली जैसे व्यस्त महानगर में बांसेरा पार्क एक धीमा, शांत और सुकून भरा ब्रेक देता है। बांस की ऊँची छतरियों से छनकर आती धूप मन को ठंडक देती है, और लंबे, शांत रास्ते आपको गहरी साँस लेने का अवसर देते हैं। यहाँ की साफ़-सुथरी पगडंडियाँ और प्राकृतिक वातावरण हर कदम को आरामदेह और सहज बना देते हैं।

करीब 10 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला यह पार्क बाढ़ के मैदानों में विकसित किया गया है। इसकी नींव 9 अगस्त 2022 को रखी गई थी और लगभग एक साल के सावधानीपूर्वक विकास के बाद सितंबर 2023 में इसे जनता के लिए खोल दिया गया। पार्क का उद्देश्य सिर्फ़ मनोरंजन नहीं है, बल्कि दिल्ली के पारिस्थितिक संतुलन को सुधारने में योगदान देना भी है। बांस को इसकी मुख्य थीम बनाकर यह पार्क यह दिखाता है कि टिकाऊ सामग्री और हरित सोच के ज़रिए शहरी क्षेत्रों की उपेक्षित ज़मीन को किस तरह बदला जा सकता है।

बांसेरा पार्क को दो प्रमुख ज़ोन में विभाजित किया गया है-बांस प्लांटेशन और बांस रिक्रिएशन। प्लांटेशन क्षेत्र में 13,000 से अधिक बांस के पौधे लगाए गए हैं, जिन्हें असम सहित देश के विभिन्न हिस्सों से लाया गया है। यहाँ बंबूसा और डेंड्रोकैलेमस परिवार की 15 से अधिक प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। इनमें से कई बांस 30 फीट से भी अधिक ऊँचाई तक पहुँचते हैं और दिल्ली की शहरी हरियाली में उल्लेखनीय योगदान देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, बांस सामान्य पेड़ों की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन पैदा करता है, कम पानी में पनपता है और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाता है।
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पार्क के भीतर बने सभी ढाँचे-कियोस्क, झोपड़ियाँ, बैठने की जगहें और वॉचटावर पूरी तरह बांस और रिसाइकल की गई सामग्रियों से बनाए गए हैं। यह डिज़ाइन इको-फ्रेंडली सोच को और मज़बूत करता है। लगभग छह एकड़ के निचले क्षेत्र को एक वॉटर बॉडी में बदला गया है, जिससे न केवल पार्क का प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ा है, बल्कि स्थानीय जैव विविधता को भी सहारा मिला है।

मनोरंजन के लिहाज़ से भी बांसेरा पार्क बेहद समृद्ध है। यहाँ एक रिक्रिएशनल क्लब, कई तरह के व्यंजनों वाला फ़ूड कोर्ट, ऑर्गेनिक हाट और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक टेंट सिटी विकसित की गई है। बच्चों के खेलने के लिए विशेष ज़ोन, हरे-भरे लॉन, शाम के समय आकर्षण बनने वाला म्यूज़िकल फ़ाउंटेन और सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए खुली जगहें इसे परिवारों के लिए आदर्श बनाती हैं।
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दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने इस पार्क को एक प्रदूषित, अतिक्रमित ज़मीन से हरे-भरे नखलिस्तान में बदलने की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि सराय काले खां के सामने यमुना किनारे की इस ज़मीन को देखकर ‘बांसेरा’ की कल्पना की गई। कभी यह इलाका निर्माण और तोड़फोड़ के कचरे से भरा रहता था, हरियाली न के बराबर थी। आज यहाँ स्थानीय पेड़-पौधे, लॉन, जलाशय और हज़ारों बांस के पौधे एक नई ज़िंदगी का एहसास कराते हैं। यहाँ अब पतंग महोत्सव, योग सत्र, संगीत संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, जो इसे सामाजिक मेलजोल का केंद्र भी बनाते हैं।

बांसेरा पार्क का महत्व सिर्फ़ एक पिकनिक स्पॉट होने तक सीमित नहीं है। यह दिल्ली को मनोरंजन, प्रकृति और पर्यावरण प्रबंधन का एक अनोखा संगम प्रदान करता है। बांस जैसी टिकाऊ सामग्री का इस्तेमाल यह दिखाता है कि शहरी डिज़ाइन किस तरह पर्यावरण के अनुकूल हो सकता है। यह पार्क इस बात का प्रमाण है कि खराब और उपेक्षित शहरी क्षेत्रों को भी जीवंत सार्वजनिक स्थानों में बदला जा सकता है।
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चाहे सुबह की शांत सैर हो, परिवार के साथ पिकनिक हो या शाम को किसी सामुदायिक आयोजन में शामिल होना—बांसेरा पार्क हर उम्र और हर वर्ग के लोगों के लिए कुछ न कुछ पेश करता है। कम प्रवेश शुल्क, आसान पहुँच, मेट्रो की नज़दीकी और साफ़-सुथरा माहौल इसे दिल्ली के सबसे आकर्षक हरित स्थलों में शामिल करता है।

बांसेरा पार्क यह याद दिलाता है कि घनी आबादी वाले महानगर भी अगर चाहें, तो प्रकृति को वापस पा सकते हैं। यह सिर्फ़ एक पार्क नहीं, बल्कि टिकाऊ शहरी विकास की जीवंत मिसाल है—एक ऐसी जगह, जहाँ सुकून, सौंदर्य और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी साथ-साथ चलती हैं। नए साल 2026 की शुरुआत के लिए, इससे बेहतर और क्या हो सकता है कि राजधानी के बीचों-बीच बसे इस हरित स्वर्ग में कुछ घंटे बिताए जाएँ।