साल 2024 में AI की चुनौतियों से निपटने को तैयार भारत

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 31-12-2023
India ready to meet the challenges of AI in the year 2024
India ready to meet the challenges of AI in the year 2024

 

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हर साल की तरह इस बार भी नए साल पर आपको बहुत सारे शुभकामना संदेश मिले होंगे. हो सकता है कि आपको देखने में न लगे, लेकिन इनमें से कईं सारे संदेश आर्टीफीशियल इंटैलीजेंस यानी एआई के जरिये तैयार किए गए हैं. एआई ग्रीटिंग जेनरेटर जैसे बहुत सारे ऐप इस बार आॅनलाइन उपलब्ध थे. लोगों ने इनका इस्तेमाल भी खूब किया.

एआई के साल में आपका स्वागत है. 2024 को एआई का साल कहा जा रहा है. 2023 में हमने एआई की दस्तक ही सुनी थी, लेकिन अब हम उस साल में पहंुच चुके हैं जब कंप्यूटर से पैदा हुई यह नई दुनिया अपनी सारी खूबियों और खतरों के साथ हमारे सामने खड़ी होगी. वैज्ञानिकों से लेकर समाजशास्त्री तक सब यही कह रहे हैं कि यह वह साल है जब एआई की बदौलत दुनिया बहुत तेजी से बदलना शुरू कर देगी.
 
काम की कुशलता जरूर बढ़ेगी, लेकिन सबसे बड़ा खतरा कईं तरह की नौकरियों पर मंडराएगा.  बाजार के विशेषज्ञ बता रहे हैं कि एआई की वजह से नौकरियों के बहुत से नए मौके पैदा होंगे. लेकिन कईं मौके खत्म भी हो जाएंगे.
 
इन हालात से निपटने के लिए जरूरी होगा कि जिन्हें काम चाहिए उन्हें नई महारत हासिल करनी होगी. इस दौरान जो अपने काम के लिए एआई का इस्तेमाल नहीं सीखेंगे उनके लिए कईं तरह की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.
 
लेकिन समस्या सिर्फ रोजगार तक ही नहीं होगी. मामला हम सबको परेशान करने की हद तक जा सकता है. पिछले कुछ साल में हमने देखा है कि कैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल समाज में नफरत फैलाने के लिए किया गया.
 
झूठी खबरों और गलत इरादों से समाज में तरह-तरह के फसाने फैलाए गए. एआई इस काम को ज्यादा अच्छी तरह से कर सकती है. वह पूरी तरह से नकली वीडियो बना सकती है, वह किसी की भी आवाज में कुछ भी कहला सकती है. हमारे प्रधानमंत्री तक इस पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं.
 
कहा जा रहा है कि एआई का इस्तेमाल चुनाव के समय लोगों को भरमा कर उनके वोट हासिल करने के लिए किया जा सकता है. लेकिन इससे ज्यादा चिंता का विषय यह है कि इसका इस्तेमाल लोगों को बांटने के लिए, एक दूसरे के खिलाफ नफरत पैदा करने के लिए किया जा सकता है.
 
इससे बचने का तरीका क्या होगा? तरीका दरअसल वही होगा जो रोजगार के मामले में था. नई तालीम। एक ऐसा समाज बनाने की जरूरत है जो जरा-जरा से बातों से, सोशल मीडिया पर आए संदेशों से, या वीडियो आॅडियो वगैरह से आपा न खो बैठे.
 
बच्चों से लेकर बड़ों तक इन सब चीजों को सिखाने और पढ़ाने की जितनी जरूरत इस नए साल में है, उतनी पहले कभी नहीं थी. आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस के दौर में अपनी इंसानियत की नींव केा मजबूत करते हुए इसके सााथ जीना सीखने के अलावा हमारे पास कोई और विकल्प भी नहीं है.
 
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )