नई दिल्ली. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले, विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग करेंगे, क्योंकि मॉस्को, नई दिल्ली की रणनीतिक स्वायत्तता को समझता है और भारत को हर सदाबहार मित्र (ऑल वेदर फ्रेंड) मानता है.
मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के रिसर्च एनालिस्ट आर विग्नेश ने कहा कि इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे. विग्नेश ने कहा, ‘भारत और रूस भारत-प्रशांत में सहयोग करेंगे.’ उन्होंने कहा कि ‘इस यात्रा से भारत-रूस संबंधों को बढ़ावा मिलेगा.’
उन्होंने कहा, ‘रूस भारत की समुद्री क्षमताओं को स्वीकार करता है और परमाणु पनडुब्बियों जैसी सक्रिय सैन्य क्षमताएं प्रदान करता रहा है.’
जबकि सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज के एक वरिष्ठ साथी मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) पीके चक्रवर्ती ने कहा, ‘रूसी राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा के साथ भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाया जाएगा. रूस प्रौद्योगिकी और शस्त्र संपन्न राष्ट्र की स्थिति दोनों प्राप्त करने में भारत की मदद कर रहा है. यह रूसी राष्ट्रपति की यात्रा के बाद बढ़ेगा.’
पीके चक्रवर्ती ने कहा, ‘इससे पहले रूस ने भारत को सुखोई, परमाणु पनडुब्बी जैसे हथियार मुहैया कराए थे और रूस भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को स्पष्ट रूप से समझता है और यह अभी भी एक सदाबहार मित्र है.’
सूत्रों के अनुसार, पुतिन 6दिसंबर को भारत का दौरा करने वाले हैं. पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक में भारत को एस-400वायु रक्षा प्रणाली की प्रस्तुति देखने की भी संभावना है, जो पहले से ही भारत में कुछ हिस्सों में पहुंचना शुरू हो गया है.
भारत और रूस के सैन्य संबंधों को और बढ़ावा देने के लिए, दोनों देश पुतिन की यात्रा के दौरान आगामी सोमवार को 7.5लाख एके-203असॉल्ट राइफलों की आपूर्ति पर समझौता करने वाले हैं.
सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी से अंतिम मंजूरी समेत सभी जरूरी मंजूरियां प्रापत कर ली गई हैं. सरकारी सूत्रों ने नआई को बताया कि रूसी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान इस पर हस्ताक्षर किए जाने हैं.
इग्ला शोल्डर फायर्ड एयर डिफेंस सिस्टम पर भी दोनों देशों के बीच काम चल रहा है, जो पिछले कई सालों से बन रहा है.
रूस से डिजाइन की गई एसके-203को उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित एक फैक्ट्री में बनाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले दोनों पक्षों के बीच समझौते पर सहमति बनी थी और अब आखिरी बड़ा मुद्दा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के मुद्दों को हल करना होगा.
भारतीय सेना द्वारा अधिग्रहित की जाने वाली 7.5लाख राइफलों में से, पहली 70,000में रूसी निर्मित घटक शामिल होंगे, क्योंकि प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण धीरे-धीरे होता है.
उत्पादन प्रक्रिया शुरू होने के 32 महीने बाद इन्हें सेना को दिया जाएगा.