दूसरी संस्कृतियों के लिए खुली खिड़की

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 28-01-2024
Open window to other cultures
Open window to other cultures

 

harjinderहरजिंदर

गुजरात देश के उन राज्यों में है जहां पूरी तरह नशाबंदी है. महात्मा गांधी जन्मभूमि ने आजादी से पहले ही नशाबंदी को लागू करने की कोशिश की थी. आजादी के बाद भी यह प्रयोग जारी रहा और 1960 से वहां पूरी तरह से नशाबंदी लागू है.

यह काम बाकी कईं राज्यों ने भी किया, वित्तीय दबावों के चलते इसे छोड़ना पड़ा. गुजरात औद्योगिक रूप से विकसित राज्य भी है और देश का एक बड़ा व्यापारिक केंद्र भी. इसलिए वह शराब की कमाई में हिस्सेदारी हासिल किए बिना भी अपना काम चला सकता था.
 
हाल-फिलहाल तक चला भी रहा था.वैसे पूर्ण नशाबंदी तो वहां अभी भी है, फर्क सिर्फ इतना है कि गांधीनगर के पास बने उस स्थान पर कुछ रेस्तरां में शराब परोसने की इजाजत दे दी गई है जिसे गिफ्ट सिटी कहा जाता  है.
 
यानी गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी में.यह गुजरात सरकार की बहुत बड़ी परियोजना है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के तमाम विशेषज्ञ काम करेंगे. जिनमें कई विदेशी भी होंगे.
 
यह ठीक है कि महात्मा गांधी शराब को सामाजिक बुराई मानते थे और गुजरात का एक बहुत बड़ा समाज आज भी इससे सहमत है. लेकिन दिक्कत यह है कि बाकी दुनिया के बहुत से हिस्सों में शराब को बुरा नहीं माना जाता और वहां यह लोगों की दिनचर्या का एक जरूरी हिस्सा भी है.
 
यह बात गुजरात सरकार को समझ में आ गई थी कि इस तरह की पाबंदियों के रहते आप दुनिया भर की प्रतिभाओं को गुजरात नहीं ला सकते.इसलिए गुजरात सरकार ने व्यवहारिकता की मांग मान ली और नशाबंदी के तमाम सिद्धांतों को त्यागे बिना एक रास्ता निकाल लिया.
 
अब चलते हैं गांधी नगर से ढाई हजार किलोमीटर दूर सउदी अरब के रियाद में जहां पिछले हफ्ते देश का पहला लिकर स्टोर यानी शराब की दुकान खोलने की घोषणा हुई.
 
जैसे गुजरात के गिफ्ट सिटी में बिकने वाली शराब गुजरात के लोगों को नहीं परोसी जाएगी वैसे ही रियाद के डिप्लोमेटिक क्षेत्र में खुली शराब की दुकान से सऊदी अरब के नागरिक या मुस्लिम समुदाय के लोग शराब नहीं खरीद सकेंगे.
 
यह सिर्फ दुनिया भर के उन राजनयिकों के लिए होगी जिनकी संस्कृति में शराब कोई बुरी चीज नहीं है.यहां दिलचस्प बात यह है कि गुजरात में जब पूर्ण नशाबंदी लागू हुई, सऊदी अरब में नशाबंदी उसे एक दशक पहले ही लागू हुई थी.
 
गुजरात में शराबबंदी इसलिए लागू हुई थी कि महात्मा गांधी इसे सामाजिक बुराई मानते थे जबकि तमाम दूसरे इस्लामिक देशों की तरह ही सऊदी अरब में इसलिए लागू हुई क्योंकि इस्लाम में शराब एक पाप की तरह है.
 
प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने पिछले कुछ समय में सउदी अरब की नीतियों में जो सुधार किए हैं इसे उसी सिलसिले से जोड़कर देखा जा रहा है.उन्होंने इसे बहुत अच्छी तरह समझा है कि पेट्रोल युग अब खत्म हो रहा है और दुनिया गैरफासिल्स ईंधन की ओर तेजी से बढ़ रही है.
 
वे चाहते हैं कि जब भी ऐसा समय आए तब तक उनका देश दूसरे उद्योगों और कारोबार में आत्मनिर्भर बन जाए. इसके अलावा वे पर्यटन को बढ़ावा देने की बात भी कर रहे हैं, जिससे पहले सउदी अरब दूरी बनाए रखता था.
 
शराब को सामाजिक बुराई या पाप मानने के तर्क अपनी जगह हैं और बहुत हद तक ये निराधार  भी नहीं हैं. लेकिन अगर दुनिया का एक कट्टर देश और भारत का एक स्मृद्ध प्रदेश भी दूसरी संस्कृति के लिए खिड़की खोल रहे हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए.
 
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )