पाकिस्तान में ‘खानाजंगी’

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 15-03-2023
पाकिस्तान में ‘खानाजंगी’
पाकिस्तान में ‘खानाजंगी’

 

मलिक असगर हाशमी

पाकिस्तान के रूपये का मूल्य बुधवार को डाॅलर के मुकाबले फिर तकरीबन 35 पैसे गिर गया. इस वक्त इसका मूल्य एक डाॅलर के मुकाबले 279 रूपये 51 पैसे है. इस विकट आर्थिक संकट में जब पाकिस्तान के सत्ता पक्ष और विपक्ष को सिर जोड़कर इस समस्या से उबरने के नुस्खे ढूंढने चाहिए थे, यह भयंकर सियासी आराजकता का षिकार है.

पूरे पाकिस्तान में जगह-जगह षासन-प्रषासन और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी झड़प चल रही है.
 
 
 
 
सर्वाधिक जंगी माहौल लाहौर के कनाॅल रोड और जमान पार्क में बना हुआ है. इमरान खान को गिरफ्तार करने गई पाकिस्तानी पुलिस और सेना को पिछले 25 घंटों से पीटीआई के कार्यकर्ताओं से विरोध झेलना पड़ रहा है.
 
इस सारे हंगामे की मुख्य वजह है इमरान खान के तोषाखाना मामले में 13 मार्च को अदालत में पेष होना. तय तिथि पर अदालत मंे हााजिर नहीं होने के कारण कोर्ट से उनकी गिरफ्तारी के वारंट जारी किए गए हैं, जिसपर अमल करने के लिए पुलिस को निरंतर संघर्श करना पड़ रहा है.
 
 
जिस जगह यह यह सब चल रहा है, वहां पर खानाजंगी की स्थिति है. इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ता जहां पुलिस-सेना पर पथराव कर रहे हैं, वहीं इमरान खान का आरोप है कि उनके घर पर गोलियां बरसाई जा रही हैं और आंसूगैस के गोले दागे जा रहे हैं. इमरान का आरोप है कि पुलिस प्रषासन उनकी गिरफ्तारी को लेकर ऐसा व्यवहार कर रही है, जैसे वह देष के मुख्य विपक्षी दल के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नहीं, आतंकवादी हैं.
 
सोषल मीडिया पर इमरान खान और उनकी पार्टी की ओर से पुलिस और सेना की करतूतों को दिखाने के लिए कार्रवाईयों के वीडियो और फोटो डाले जा रहे हैं.
 
 
 
मगर उन्हें षायद यह पता नहीं कि पक्ष और विपक्षी की इन करतूतों से घर और बाहर में पाकिस्तान की ही भद पिट रही है. पड़ोसी देष में चल रहे इस सियासी ड्रामे पर दुनियाभर से तरह-तरह के कमेंट आ रहे हैं.
 
अफगानिस्तान, इराक में यूएस के राजदूत रहे जलमय खालिजाद ने पाकिस्तान के घटनाक्रम पर टिप्पणी की है-‘‘ एक तिहरे संकट का सामना कर रहा है पाकिस्तान . राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा. बड़ी क्षमता के बावजूद, यह खराब प्रदर्शन कर रहा है और अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी, भारत से बहुत पीछे है. यह गंभीर आत्म-खोज, साहसिक सोच और रणनीति बनाने का समय है. ’’
 
 
 
इसी तरह पाकिस्तान के राजनीतिक विषलेशक कमर चीमा कहते हैं,‘‘ दशकों से चली आ रही तानाशाही, वर्षों से राजनीतिक वर्ग के सत्ता प्रतिष्ठान के संरक्षण और पार्टियों में राजनीतिक संस्कृति की अनुपस्थिति ने हमारे राजनेताओं को स्वभाव से सत्तावादी बना दिया है.
 
संविधान के चयनात्मक उपयोग के कारण उनके कार्यकर्ताओं ने संविधान में विश्वास करना बंद कर दिया है.
 
 
 
 
चिंताजनक बात यह है कि पाकिस्तान में सत्ता की  कुर्सी पर चाहे जो भी हो किसी को भी न्यायालय, पुलिस प्रषासन की परवाह नहीं. इसी श्रेणी में इमरान खान भी षामिल हो गए हैं. अदालत के फरमान के बावजूद वह पुलिस की षरण में जाने को तैयार नहीं.
 
ऐसे कैसे पाकिस्तान में लोकतांत्रिक देष बन पाएगा ? हमारे देष में भी राजनीतिक कार्रवाईयां होती हैं. देष के कई बड़े मास लीडर विभिन्न आरोपों में जेल जा चुके हैं. कई तो आज भी जेल में हैं और कईयों को जांच एजेंसियों का सामना करना पड़ रहा है .
 
 
 
 
इसके बावजूद कभी किसी नेता ने अपनी गिरफ्तारी या पूछताछ के विरोध में देष को अराजकता के मुंह में धकेलने का प्रयास नहीं यिका. आज भी पार्टियों में तमाम तरह के मतभेद होने पर नेता वक्त की नजाकत का लाभ उठाने का प्रयास नहीं करते. मगर पाकिस्तान में तो आवा का आवा ही खराब है.