अमेरिकी चुनाव पर गहरा असर डाल सकती है इजराइल-हमास जंग

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 11-05-2024
Israel-Hamas war can have a deep impact on US elections
Israel-Hamas war can have a deep impact on US elections

 

अब्दुल बासित करोखेल

चुनाव किसी भी देश का आंतरिक मामला होते हैं और नतीजों में स्थानीय मुद्दे निर्णायक भूमिका निभाते हैं. लेकिन लग रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में इस बार 'बाहरी' मुद्दे गहरा असर डालने वाले हैं. इजराइल-हमास जंग ऐसा ही मसला है जो 2024 के चुनाव में अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठान की दशा और दिशा दोनों को प्रभावित करने वाला एक कारक बनता दिख रहा है.

इस मामले मे बाइडन प्रशासन की नीति और फैसलों को लेकर देशभर में प्रदर्शन मुखर हो रहे हैं. खबरों में दावा किया जा रहा है कि फिलिस्तीन के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन विस्तार ले रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर इजराइल को लगातार रसद और आर्थिक मदद को लेकर भी हवाएं सत्ता प्रतिष्ठान के माकूल नहीं बह रहीं.
 
खबरों में दावा किया जा रहा है कि फिलिस्तीन के समर्थन में और इस प्रकरण में सत्ता की नीतियों के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों में 2000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. अमेरिका के करीब हर कोने में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन हुए हैं और बड़े पैमान पर गिरफ्तारियां जारी हैं.
 
17 अप्रैल को कोलंबिया विश्वविद्यालय से शुरु हुए प्रदर्शन अब देशभर के विश्वविद्यालय परिसरों तक फैल गए हैं. छात्र इस्राइल-हमास युद्ध को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. इस युद्ध में  गाजा पट्टी में अब तक 34 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
 
हालांकि अभी चुनाव में करीब छह महीने शेष हैं ,लेकिन कुछ ही दिन पहले एक राष्ट्रीय सर्वे के दावों या निष्कर्षों ने भविष्य की एक हल्की तस्वीर दिखाने की कोशिश की है. इस तस्वीर यानी सर्वे में राष्ट्रपति बाइडन अपने प्रतिद्वंद्वी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से पिछड़ रहे हैं.
 
अगर बात इजराइल-हमास टकराव और इस पूरे प्रकरण में अमेरिका की भूमिका की करें तो व्हाइट हाउस के दोनों दावेदारों की नीतियां जनता के सामने हैं. अमेरिका के मतदाता इस मुद्दे को कितना वजन देते हैं इसका आकलन तो बाद में होगा लेकिन फिलिस्तीन के समर्थन में देशभर में माहौल बनने का मतलब तो सत्ता-प्रतिष्ठान के खिलाफ जाना ही निकलता है.
 
इजराइल-हमास मामले को लेकर लोग बाइडन प्रशासन की नीतियों के समर्थक भी हैं और हो सकते हैं लेकिन  गाजा में हुई हजारों मौतों और महिलाओं व बच्चों के उत्पीड़न और यातना के लिए तो राजी नहीं हो सकते.
 
ऐसा नहीं है कि अमेरिकी प्रशासन ने इजराइल से जवाबी युद्ध रोकने के लिए बार-बार न कहा हो, युद्धग्रस्त क्षेत्र में राहत और मानवीय सहायता की पहुंच के लिए रास्ता और समय देने की बात न की हो लेकिन हमास के हमले का उत्तर देने के लिए इजराइल को आर्थिक मदद की मंजूरी और हथियारों की आपूर्ति क्या दर्शाता है.
 
पर्दे के आगे और उसके पीछे चलने वाले इन दृश्यों को समझना इतना उलझन भरा भी नहीं है. यह सब कुछ अमेरिका की जनता ही नहीं दुनियाभर की जमात देख रही है.अलबत्ता यह परिदृश्य बदल सकता है यदि नवंबर से पहले इजराइल-हमास टकराव खत्म होने की कोई सूरत बन जाए.
 
अगर ऐसा होता है और इस जंग को खत्म करने में अमेरिका की कोई कारगर भूमिका भी सामने आ जाती है तो मतदाताओं का फैसला तुलनात्मक रूप से सकारात्मक छवि वाले बाइडन के लिए चुनाव में कितना फायदा पहुंचा सकता है, इसका कुछ अनुमान तो लगाया ही जा सकता है.
 
बेशक, मतदाताओं का मन कई बातों पर निर्भर करता है किंतु विदेश नीति भी एक पहलू तो है ही। कई बार तात्कालिक कारण और वर्तमान हालात अतीत के हर अच्छे-बुरे काम पर भारी पड़ जाते हैं.