पंजाब से सौहार्द की एक और मिसाल

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 29-12-2025
Another example of harmony from Punjab.
Another example of harmony from Punjab.

 

f हरजिंदर

पंजाब के दो जुड़वा शहर हैं फतेहगढ़ साहिब और सरहिंद। सिख और हिंदू आबादी के साथ ही यहां बहुत कम संख्या में एक मुस्लिम आबादी भी है। लेकिन इबाबत और मजहबी कामों में इस छोटी आबादी को भी कोई दिक्क्त नहीं आती क्योंकि इन दोनों जगह कुल मिलाकर आधा दर्जन से ज्यादा मस्जिदे हैं।

शहर के नाम पर ही एक सरहिंदी मस्जिद है। इसके अलावा मदीना मस्जिद है, सधना कसाई मस्जिद है, लाल मस्जिद है, रोजा शरीफ है और ईदगाह भी है। फिर वहां एक अहमदिया समुदाय की भी मस्जिद है। इनमें से कईं मस्जिदें तो ऐतिहासिक महत्व की हैं।

लेकिन जो स्थिति शहर में है वह गांवों में नहीं है। कुछ गांवों में मस्जिद है लेकिन कुछ में मुस्लिम आबादी होने के बावजूद मस्जिद नहीं है।ऐसा ही एक गांव है जखवाली। यह सरहिंद से पटियाला जाने वाली सड़क से भी काफी अंदर जाकर बसा हुआ है। इस बड़े गांव में मुस्लिम परिवारों की संख्या सौ से कम है। मगर उनके लिए मस्जिद नहीं है। इन परिवारों के लोगों को नमाज तक पढ़ने के लिए दूर के एक गांव में जाना पड़ता है। गांव में सिखों के लिए गुरुद्वारा है, हिंदुओं के लिए एक शिव मंदिर है, समस्या सिर्फ मुस्लिम समुदाय की है।

हमारे यहां गांवों का जिस तरह का जीवन होता है उसमें गांव में किसी की भी समस्या पूरे गांव की समस्या मानी जाती है। सो इस समस्या पर विचार होने लग गया कि यहां मस्जिद कैसे बनाई जाए? असल समस्या जमीन की थी। जमीन ऐसी चीज है जिसे कोई आसानी से देने को तैयार नहीं होता।

आखिर में गांव की ही सिख महिला राजिंदर कौर सामने आईं। उन्होंने अपनी पांच मरले जमीन मस्जिद के लिए दान में दे दी। इसके बाद गांव के सिख और हिंदू सभी परिवारों ने मस्जिद निर्माण के दान दिया। लगभग साढ़े तीन लाख रुपये की रकम जमा हो गई।

पिछले दिनों पंजाब के शाही इमाम मौलाना उस्मान लुधियानवी ने इसकी नींव का पत्थर रखा। अब कार सेवा के जरिये मस्जिद निर्माण का काम शुरू हो गया है।इसके पहले इस गांव में शिव मंदिर का निमार्ण भी कार सेवा के जरिये हुआ था। जिसमें हिंदुओं के अलावा गांव के सिखों और मुसलमानों ने भी हिस्सा लिया था।

पंजाब में धार्मिक उदारता और आपसी सहयोग की यह पहली मिसाल नहीं है। कुछ समय पहले हमने श्री हरगोविंदपुर के बारे में लिखा था। इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता था। बावजूद इसके वहां एक ऐसी मस्जिद को फिर से बहाल किया बरसों पहले एक गुरुद्वारे में बदल दी गई थी। यह एक ऐसी इमारत थी जिसका सिख धर्म के लिए भी महत्व था क्योंकि सिख गुरू ने यह मस्जिद अपनी फौज के मुसलमान सैनिकों के लिए बनवाई थी।

बाद में जब गुरुद्वारा कमेटी से इसे फिर से मस्जिद बनाने के लिए कहा गया तो यह बात मान ली गई और इसे फिर से मस्जिद की शक्ल दे गई। इसमें कोई तनाव नहीं हुआ, कोई सौहार्द नहीं बिगड़ा। ब्यास नही के किनारे बसे गांव श्री हरगोविंदपुर की इस मस्जिद को नाम दिया गया है - गुरुद्वारे वाली मसीत। इस इसे यूएन वल्र्ड हैरिटेज साईट का दर्जा भी दे दिया गया है।

 ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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