वैश्विक परिप्रेक्ष्य में: धर्म, सामाजिक न्याय और असमानता

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 06-11-2025
In a global perspective: religion, social justice and inequality
In a global perspective: religion, social justice and inequality

 

डॉ. ज़फ़रदारिक़ अल-क़ासमी

 

प्राचीन काल से धर्म ने इंसान की ज़िंदगी में बहुत अहम भूमिका निभाई है। यह सिर्फ़ आस्था या पूजा का तरीका नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और नैतिकता की नींव भी है। अलग-अलग धर्मों ने इंसान को अच्छाई, न्याय, दया और सेवा का संदेश दिया है। इस्लाम, ईसाई, यहूदी, हिन्दू, बौद्ध, सिख और अन्य धर्मों ने मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है और समाज में शांति, समानता और भाईचारा बढ़ाने का काम किया है।

इस्लाम में इबादत और नैतिकता को एक साथ जोड़ा गया है, वहीं हिन्दू और बौद्ध धर्म में कर्मा और धर्मा की शिक्षा जीवन को अच्छा और संतुलित बनाने की दिशा दिखाती है। धर्मों ने न सिर्फ व्यक्तियों को बल्कि सभ्यताओं को भी दिशा दी है—कला, विज्ञान, कानून और संस्कृति के विकास में धर्मों का योगदान रहा है।

ईसाई धर्म ने यूरोप की सोच और दर्शन को आगे बढ़ाया, हिन्दू और बौद्ध धर्म ने भारत में शिक्षा और अध्यात्म को मजबूत किया, जबकि इस्लाम ने विज्ञान, दर्शन और नैतिकता में महत्वपूर्ण योगदान देकर पूर्व और पश्चिम दोनों को प्रभावित किया।

आज जब पूरी दुनिया की संस्कृतियाँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं, धर्मों को समझना पहले से ज़्यादा ज़रूरी हो गया है क्योंकि धर्म ही शांति, सहिष्णुता, न्याय और भाईचारे की शिक्षा देता है।

हालांकि, इतिहास में कई बार धर्म का इस्तेमाल राजनीति या स्वार्थ के लिए किया गया, जिससे नफ़रत और विभाजन फैला, इसलिए ज़रूरी है कि धर्म को उसकी असली, नैतिक और आध्यात्मिक भावना के साथ समझा जाए।

धर्मों का मूल उद्देश्य शांति, न्याय, भाईचारा और इंसान की सेवा है। धर्म और नैतिकता इंसान की ज़िंदगी की दो मज़बूत नींव हैं—धर्म इंसान को दिशा देता है और नैतिकता उसे सही रास्ते पर चलने की ताकत देती है।

इस्लाम में कहा गया है कि ईमान तब तक पूरा नहीं होता जब तक इंसान का व्यवहार अच्छा न हो, जैसा कि पैग़ंबर मुहम्मद ﷺ ने फ़रमाया: “मुझे अच्छे आचरण को पूरा करने के लिए भेजा गया है।” सभी धर्मों में अच्छे व्यवहार, दया और सच्चाई पर ज़ोर दिया गया है।

आज के भौतिक युग में, जब लोग केवल लाभ और सुख के पीछे भाग रहे हैं, धर्म और नैतिकता की अहमियत और भी बढ़ गई है। धर्म हमें याद दिलाता है कि असली प्रगति तभी संभव है जब आत्मिक और नैतिक विकास भी साथ हो।

धर्म और नैतिकता का रिश्ता एक-दूसरे के पूरक हैं—धर्म नैतिकता को अर्थ देता है और नैतिकता धर्म को जीवित रखती है। अंत में कहा जा सकता है कि धर्म और नैतिकता इंसान की ज़िंदगी के सबसे मज़बूत मार्गदर्शक हैं।

ये इंसान के चरित्र को गढ़ते हैं, समाज में न्याय और शांति लाते हैं और एक मजबूत, संतुलित और खुशहाल समाज का निर्माण करते हैं। इसलिए धर्म और नैतिकता को जीवन की बुनियादी ज़रूरत समझना चाहिए ताकि इंसान इस दुनिया और परलोक दोनों में सुख और सफलता पा सके।