एक के जश्न में सब कैसे जुड़ते हैं

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 22-12-2025
How everyone joins in celebrating one
How everyone joins in celebrating one

 

- हरजिंदर

दुनिया के एक बड़े हिस्से के लिए यह जश्न का मौका होता है। साल के इस आखिरी महीने जब आसमान से बर्फ के फाहे गिर रहे होते हैं बहुत से देशों की ईसाई आबादी पूरी तरह जश्न मनाने में डूब जाती है। क्रिसमस ट्री सजे होते हैं, कोरल गाए जाने लगते हैं, जिंगल बेल की ध्वनियां सुनाई देती हैं। हर तरफ क्रिसमस के पकवानों की खुश्बू होती है। तकरीबन सभी छुट्टी मना रहे होते हैं। यह ऐसा  समय होता है जिसका वे सब साल भर इंतजार करते हैं। लेकिन धार्मिक तौर पर जिनका ये त्योहार नहीं है वे इस समय क्या करते हैं? वहां रहने वाले हिंदू, मुस्लिम, यहूदी, सिख। अमेरिका के कईं वेबसाइट पर इन दिनोें इस पर एक बहुत दिलचस्प चर्चा चल रही है।
 
 
इन्हीं चर्चाओं के बीच अमेरिका में रहने वाले एक मुस्लिम बुजुर्ग की दिलचस्प टिप्पणी दिखाई दी। वे क्रिसमस तो नहीं मनाते लेकिन इसका बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। उनका बेटा अमेरिका के ही एक दूसरे सिरे पर काम करता है। शनिवार और इतवार को कभी कभार आता है। लेकिन यह साल का ऐसा मौका होता है जब उसे दस दिन की छुट्टी मिलती है। इतनी लंबी छुट्टी पर बेटा घर आए तो कौन खुश नहीं होगा। जब वह आता है तो उनके घर से भी पकवानों की खुशबू वैसे ही आती है जैसे उन घरों से जहां क्रिस्मस मनाया जा रहा होता है।
 
आपको ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जो हर बार यह बताते हैं कि क्रिसमस मुसलमानों का त्योहार नहीं है और उन्हें यह क्यो नहीं मनाना चाहिए। लेकिन इस फर्क की समझ रखने वाले और नहीं मनाने वाले बहुत से लोगों का नजरिया इससे अलग भी है। कुछ यह कह रहे हैं कि क्रिसमस के धार्मिक पक्ष में विश्वास किए बगैर या उसमें शामिल हुए बगैर भी उसके जश्न का हिस्सा तो बना ही जा सकता है।
 
 
इस जश्न का एक दूसरा पक्ष भी है। जब लोग इस जश्न में पूरी तरह डूबे होते हैं तो उपभोक्ता अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा वे लोग संभालते हैं जो ईसाई नहीं हैं। इस समय दुकानों के काउंटरों की पीछे वही खड़े होते हैं। वही फोन पर आर्डर लेते हैं और वही डिलेवरी ब्वाय होते हैं। जश्न में न होते हुए भी वे जश्न की एक महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। इसका एक दंभ भी कुछ स्वरों में सुनाई देता है- अगर हम न हों तो इनका जश्न धरा रहा जाएगा। सच तो शायद पूरी तरह से यह भी नहीं है।
 
 
वैसे भारत में हमारे लिए यह कोई नई बात भी नहीं है। हमारे अपने त्योहारों में भी यही होता है। एक दूसरे के त्योहार में सब कोई न कोई भूमिका निभा रहे होते हैं और आखिर में अमेरिका में रहने वाली जाहरा ओंसारी की यह बात सुन लीजिए- ‘हम भले ही इस त्योहार को नहीं मनाते, लेकिन हम इसका पूरा सम्मान करते हैं और छुट्टियों का मजा उठाते हैं।‘
 
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)