हसीना का दूसरा निर्वासन: क्या इतिहास खुद को दोहरा रहा है

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 07-11-2025
Hasina's second exile: Is history repeating itself in Bangladesh?
Hasina's second exile: Is history repeating itself in Bangladesh?

 

dसलीम समद

हटाई गई बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पिछले साल हुए खूनी आंदोलन और उसके दमन के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया से कहा कि उनका भारत छोड़ने का कोई इरादा नहीं है।

पिछले हफ्ते शेख हसीना ने दिल्ली में एक सुरक्षित घर से लिखित रूप में रॉयटर्स, द इंडिपेंडेंट और फ्रेंच न्यूज एजेंसी एएफपी को ईमेल इंटरव्यू दिए। यह उनके सत्ताच्युत होने के बाद पहली बार किसी मीडिया से बातचीत थी।

उन्होंने अपने निर्वासन, अपनी पार्टी आवामी लीग, बिना आवामी लीग के होने वाले आगामी चुनावऔर अंतरिम सरकार पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस की सरकार को “अवैध” बताया और आरोप लगाया कि वह “देश को और विभाजित कर रही है।”

तीनों इंटरव्यू एक ही दिन प्रकाशित हुए। 78 वर्षीय हसीना ने निर्वासन में भी झुकने से इनकार किया, उन पर लगे मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों को “राजनीतिक साजिश” बताया। भले ही उन्होंने अपने 15 साल के शासनकाल में तीन बार पक्षपाती और एकतरफा चुनाव करवाए, अब वह खुद मांग कर रही हैं कि अंतरिम सरकार सभी दलों की भागीदारी वाला निष्पक्ष चुनाव कराए।

हसीना ने कहा, “अगर चुनाव में सभी प्रमुख दलों, खासकर आवामी लीग, को शामिल नहीं किया जाएगा तो उसे कोई वैधता नहीं मिलेगी।”यह ध्यान देने योग्य है कि 2014, 2018और 2024के चुनावों में विपक्षी दलों की अनुपस्थिति के कारण लाखों मतदाता मतदान से वंचित रह गए थे।

अब वही विपक्ष — जिसे हसीना कभी “देशद्रोही” कहती थीं यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), आज चुनावों में सबसे आगे मानी जा रही है। इस बीच, इस्लामी दल जमात-ए-इस्लामी की लोकप्रियता भी हसीना के पतन के बाद बढ़ी है।

चुनाव आयोग ने मई 2024में आवामी लीग का पंजीकरण निलंबित कर दियाऔर सरकार ने “राष्ट्रीय सुरक्षा” के नाम पर सभी राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया।

हसीना ने चेतावनी दी कि अंतरिम सरकार द्वारा आवामी लीग पर प्रतिबंध से देश में राजनीतिक संकट और गहराएगा। उन्होंने कहा कि उनके करोड़ों समर्थक 2026 के फरवरी में होने वाले आम चुनावों का बहिष्कार करेंगे।

उन्होंने रॉयटर्स से कहा कि वे ऐसे किसी भी चुनाव के बाद बनी सरकार के तहत बांग्लादेश नहीं लौटेंगी और भारत में “शांतिपूर्वक और स्वतंत्र रूप से” रहने की योजना बना रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका भारत के अलावा किसी तीसरे देश में शरण लेने का कोई इरादा नहीं है।

उन्होंने कहा, “आवामी लीग पर लगाया गया प्रतिबंध अन्यायपूर्ण ही नहीं, बल्कि आत्मघाती भी है।”78 वर्ष की हसीना ने कहा कि “अगली सरकार को चुनावी वैधता चाहिए,” और यह कि “करोड़ों आवामी लीग समर्थकों को अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।”

राजनीतिक विश्लेषक महीउद्दीन अहमद ने कहा कि हसीना को किसी “अवैध” सरकार से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। “उन्हें शांत रहकर दिल्ली की मेहमाननवाज़ी का आनंद लेना चाहिए,” उन्होंने कहा।

यह हसीना का दिल्ली में दूसरा निर्वासन है। इससे पहले भी वे 1975 से 1981 तक भारत में रहीं और फिर बांग्लादेश लौटकर आवामी लीग की अध्यक्ष बनीं। 1996 में वे पहली बार प्रधानमंत्री चुनी गईं।

अब अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के अभियोजक हसीना के खिलाफ मौत की सजा की मांग कर रहे हैं, उन पर छात्र आंदोलनों पर गोली चलाने का आदेश देने का आरोप है, जिसमें करीब 1,400लोगों की मौत हुई थी।

एएफपी को दिए इंटरव्यू में हसीना ने इन आरोपों को “बेबुनियाद” बताया और कहा कि यह अदालत उनके राजनीतिक विरोधियों द्वारा नियुक्त की गई है।संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (OHCHR) ने 2024के जुलाई विद्रोह में 1,400 मौतों का आंकड़ा जारी किया था, जिसे हसीना ने “राजनीतिक प्रचार” करार दिया। उन्होंने कहा कि असल संख्या इससे “काफी कम” थी।

हसीना ने कहा कि वह केवल किसी “निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय अदालत”, जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) में मुकदमे को मानेंगी, न कि बांग्लादेश के इस ट्रिब्यूनल को।

उन्होंने अदालत में पेश होने से भी इनकार कर दिया है, जहाँ उन पर मानवता के खिलाफ अपराधों की जिम्मेदारी तय की जा रही है। अदालत का फैसला 13 नवंबर को आना है।एएफपी से बातचीत में उन्होंने इस मुकदमे को “न्याय का मज़ाक” बताया और कहा कि “दोषी ठहराया जाना पहले से तय है।”

मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने कहा कि हसीना “उन अपराधों की केंद्र बिंदु हैं,” और अदालत से मौत की सजा देने की मांग की।बांग्लादेश के अंग्रेज़ी अखबार द डेली स्टार की जांच में पाया गया कि हसीना ने खुद गोली चलाने का आदेश दिया था।

अखबार ने 18जुलाई 2024की एक लीक कॉल रिकॉर्डिंग प्रकाशित की, जिसमें हसीना अपने भतीजे, ढाका के पूर्व मेयर फजल नूर तापस से कहती हैं,“मैंने आदेश दे दिया है, अब वे जहाँ भी उन्हें (प्रदर्शनकारियों को) पाएँ, सीधे गोली चलाएँ।”

हालाँकि हसीना ने इसे झूठ बताया और कहा कि “कुछ गलतियाँ जरूर हुईं, लेकिन आदेश मैंने नहीं दिया।” उन्होंने यह भी कहा कि “अगर मुझे मौत की सजा दी गई, तो न मैं हैरान होऊँगी, न डरूँगी।”

उन्होंने द इंडिपेंडेंट से कहा कि “मैं हर उस बच्चे, भाई, बहन और दोस्त के लिए शोक मनाती हूँ जो इस हिंसा में मारे गए,” लेकिन उन्होंने औपचारिक माफी से इनकार किया। उनका कहना था कि “यह आंदोलन मेरे राजनीतिक विरोधियों द्वारा रचा गया षड्यंत्र था।”

ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाएँ लंबे समय से हसीना की सरकार पर हत्याओं, विपक्ष के दमन, फर्जी मुकदमों और धांधली वाले चुनावों के आरोप लगाती रही हैं।

हसीना ने कहा कि उनका अब केवल एक ही लक्ष्य है — “बांग्लादेश की स्थिरता और लोगों की भलाई।” उन्होंने अंतरिम सरकार से कहा कि “यूनुस को आवामी लीग की पुनर्बहाली करनी चाहिए, ताकि जनता को सही विकल्प मिल सके।”पत्रकार अबू जाकिर ने अपने लेख में लिखा, “निकट भविष्य में आवामी लीग का सत्ता में लौटना लगभग असंभव है।”

(सलीम समद बांग्लादेश के स्वतंत्र पत्रकार हैं।)