खालिस्तानियों के खिलाफ सिखों की इस पहल की तारीफ कीजिए

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 27-03-2023
अच्छी पहल है विदेशों में खालिस्तान के विरूद्ध सिखों का प्रदर्शन
अच्छी पहल है विदेशों में खालिस्तान के विरूद्ध सिखों का प्रदर्शन

 

ashok madhupअशोक मधुप

कुछ देशों में खालिस्तान के समर्थन में भारतीय  दूतावास पर किए जा रहे प्रदर्शन का  विरोध होने लगा है.अच्छा यह है कि खुद प्रदर्शन वाले देशों का सिख समाज इस आंदोलन के पीछे की कहानी जान गया है.यह जान गया है कि इस आंदोलन को बढ़ाने के पीछे पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई का हाथ है. यही कारण है कि वहां का सिख समाज इन आंदोलनकारियों के विरोध में उतर आया.उसने उन्हीं जगह पर भारत के समर्थन और खालिस्तान के विरोध में प्रदर्शन किया, जहां  खालिस्तान के समर्थन में प्रदर्शन  हुए थे.

लंदन में पिछले रविवार को भारतीय हाई कमीशन में तोड़फोड़ की घटना का विरोध सोमवार को नई दिल्ली में भी किया गया.नई दिल्ली में बड़ी तादाद में सिख ब्रिटिश हाई कमीशन के बाहर जुटे और खालिस्तानियों की हरकत का विरोध किया.उधर, अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में इंडियन कॉन्स्यूलेट पर हमला किया गया।  इसका भी भारतीयों ने विरोध किया.

नई दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमीशन के बाहर सिखों ने खालिस्तानियों के खिलाफ बैनर-पोस्टर लहराए और नारेबाजी की.कहा- भारत हमारा स्वा‌भिमान है.इन सिखों के मुताबिक- तिरंगे का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.ऐसा ही सैन फ्रांसिस्को में हुआ.दोनों  जगह खालिस्तान के समर्थन में आंदोलन  करने वालां के विरूद्ध प्रदर्शन ही नही हुए.

आंदोलनकारियों के विरूरूद्ध कार्र्वाई की मांग भी की गई.नई दिल्ली में प्रदर्शन के लिए पहुंचे सिखों ने कहा- पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आएसआई हमारे देश के अमन-चैन को तबाह करने की साजिश रच रही है.हमने हमेशा अपने तिरंगे का सम्मान किया है और लंदन में हुई हरकत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

लंदन के बाद अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भी इंडियन कॉन्स्यूलेट पर हमला किया गया.रविवार को यहां भी खालिस्तान समर्थक जुटे.इन लोगों ने स्प्रे पेंट्स से अमृतपाल को रिहा करो.. लिख दिया.इन लोगों ने कॉन्स्यूलेट के गेट्स तोड़ दिए.वहां खालिस्तान के झंडे लगा दिए.इसके  विरोध में भारतीय अमेरिकियों ने हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.उन्होंने खालिस्तान समर्थकों द्वारा किए भारतीय राष्ट्रधवज तिंरगे के अपमान गुस्सा जाहिर किया.प्रदर्शन भी किया.

दरअस्ल,पिछले कुछ समय से  जानी −बूझी साजिश के तहत खालिस्तान आंदोलन को हवा देने की कोशिश की जा रही है.ब्रिटेन में खालिस्तान के समर्थन में जनमत कराया गया.इसके बाद कुछ जगह के हिंदू मंदिरों पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे गए.भारत के इन देशों के राजदूतों का बुलाकर आपत्ति जताने के बाद भी कोई प्रभावी कार्रवाई नही हुई.इससे खालिस्तान के समर्थकों के हौंसले बढते  गए.

 पंजाब में अतिवादी अमृतपाल सिंह और उसके साथियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के बाद लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग और अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को में भारत के वाणिज्य दूतावास को खालिस्तान समर्थकों ने जिस तरह निशाना बनाया, उसकी केवल निंदा-भर्त्सना ही पर्याप्त नहीं.

भारत के विरूद्ध  प्रदर्शन के बावजूद ब्रिटेन और अमेरिका सरकारों ने  इन उपद्रवियों के खिलाफ काई  कार्रवाई नही की.न तो लंदन में भारतीय उच्चायोग में कोई सुरक्षा व्यवस्था दिखी और न ही सैन फ्रांसिस्को के वाणिज्य दूतावास में.सबसे  खराब बात यह है कि इन दोनों भारतीय ठिकानों पर हमले के लिए जिम्मेदार खालिस्तानियों के विरुद्ध वैसी कार्रवाई नहीं हुई, जैसी अपेक्षित ही नहीं, आवश्यक थी.

खालिस्तानियों के उपद्रव और उत्पात की एक लंबे समय से अनदेखी होती चली आ रही है.कनाडा और आस्ट्रेलिया खालिस्तानियों ने एक मंदिरों को निशाना बनाया.कनाडा और आस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने मंदिरों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं की निंदा तो की, लेकिन उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया.

khalistan

ब्रिटिश सामराज्य के पतन के बाद एक अलग सिख राष्ट्र की मांग शुरू हुई.1940 में ख़ालिस्तान का जिक्र पहली बार "ख़ालिस्तान" नामक एक पुस्तिका में किया गया.1947के बाद प्रवासी सिखों के वित्तीय और राजनैतिक समर्थन तथा पाकिस्तान की आएसआई के समर्थन से ख़ालिस्तान आंदोलन भारतीय राज्य पंजाब में फला-फूला और 1980के दशक तक यह आंदोलन अपने चरम पर पहुंच गया.

1984 के दशक में उग्रवाद की शुरुआत हुई जो 1995तक चला इस उग्रवाद को कुचलने के लिए भारत सरकार और सेना ने आपरेशन ब्लू स्टार, ऑपरेशन वुड रोज़, ऑपरेशन ब्लैक थंडर एक तथा ऑपरेशन ब्लैक थंडर दो चलाए .इन कार्यवाहियों से उग्रवाद तो बहुत हद तक ख़त्म हो गया .भारी पुलिस एवं सैन्य कार्रवाई तथा एक बड़ी सिख आबादी का इस आंदोलन से मोहभंग होने के कारण 1990तक यह आंदोलन कमज़ोर पड़कर  विफल हो गया.

198 0से 1990 के दशक की खास बात यह रही कि इस खालिस्तान आंदोलन के विरोध में प्रायः अधिकाशं सिख समाज चुप रहा.स्वर्ण मंदिर आपरेशन का विरोध करने वालों ने भिंडरावाला और उसके समर्थकों के स्वर्ण मंदिर  में शरण  लेने  का भी विरोध नही किया .इसके फलस्वरूप देश ने बहुत कुछ झेला.

बड़ी  संख्या में हिंदू दुनिया के सभी धार्मिक स्थल  में जाते हैं.गुरूद्वारों में जाकर मत्था टेकने वालों की इस आंदोलन के पहले बड़ी संख्या थी.इस आंदोलन के जोर पकड़ने पर हिंदुओं ने गुरूद्वारों की और जाना छोड़ दिया.सिख  आंतकवाद से सबसे ज्यादा ज्यादती  सिखों ने ही झेलीं.उत्तर प्रदेश के तराई में सिख आंतकवाद तेजी से बढ़ा.पहले जो सिख परिवार सिख आंतकवादियों को देवदूत मान प्रश्य देते थे,

उनके गलत आचरण देख वे ही उनके विरूद्ध हो गए.  बिजनौर जनपद में सिख अतिवादियों ने विदेश में नौकरी करने  वाले एक  सिख परिवार को लूटा.उस परिवार के पांच साल के बच्चे का अपहरण कर पांच लाख की फिरौती मांगी।  पुलिस ने आंतकवादी को मारकर बच्चे को रिहा कराया.कई सिख डेरों पर महिलाओं के शील भंग हुए.वहां ज्यादतिं हुईं.ऐसी घटनांए सिख समाज को इस आंदोलन से दूर करती चलीं गईं.

 अतिवादी अमृतपाल सिंह ने केंद्रीय  गृह मंत्री अमित शाह को इंदिरा  गांधी जैसा हशर करने की धमकी दी.  पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा  गांधी हत्या को ही उसने जाना.उसके बाद का हाल उसे शायद  नही मालूम.इंदिरा  गांधी की हत्या के बाद में  देश भर में सिखों के सामूहिक कत्ले आम हुए. 

दिल्ली में ही तीन हजार से ज्यादा सिख  इस हत्याकांड के शिकार हुए.उनकी सम्पत्ति लूटली गई या जला दी गई.देश भर में 18 हजार से 25 हजार सिख कत्ल कर दिये गए.धीरे −धीरे सिख समाज खालिस्तान की सच्चाई समझ गया.आज वह इसका समर्थक नही बल्कि विरोधी है.

खालिस्तान  समर्थकों के प्रदर्शन  के बाद  ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों के कई समूहों ने एकजुटता दिखाते हुए पिछले मंगलवार को लंदन स्थित 'इंडिया हाउस' के बाहर 'हम भारतीय उच्चायोग के साथ हैं' भारतीय उच्चायोग के परिसर में खालिस्तानी चरमपंथियों के हमले के मद्देनजर प्रवासी भारतीयों ने एकजुटता दिखाते हुए यह प्रदर्शन किया.

 हाल के दिनों में लंदन में देखने को मिला कि कैसे खालिस्तानी तत्व हावी होने लगे और भारतीय उच्चायोग पर तिरंगा उतारने का प्रयास किया गया.लेकिन भारतीय अधिकारियों ने तिरंगा नहीं उतरने दिया और आज वहां पहले से बड़ा तिरंगा शान से लहरा रहा है.

हमने देखा कि शुरू में भारतीय उच्चायोग के बाहर हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर ब्रिटिश सरकार अनमनी-सी दिखी लेकिन जब भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त के घर के बाहर सुरक्षा घटाई गयी तो तत्काल लंदन में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा भी बढ़ाई .

tiranga

स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस भी हंगामा करने वालों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए हरकत में आई।ब्रिटिश संसद में यह मुद्दा उठ गया और मंत्रियों को भारतीयों की सुरक्षा का आश्वासन देना पड़ गया.इसके अलावा ब्रिटेन के कई सुरक्षा अधिकारी वहां लगातार गश्त कर रहे हैं और मेट्रोपोलिटन पुलिस के वाहन ‘इंडिया प्लेस’ के बाहर खड़े हैं. 

मजे की बात यह है कि इस बार खालिस्तान आंदोलन भारत में कम विदेशों में ज्यादा दिखाई दे रहा है.विदेशों में खालिस्तानियों की भारत विरोधी गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं.अब खालिस्तान के समर्थकों ने कनाडा में महात्मा गांधी की मूर्ति को तोड़ दिया और उस पर स्प्रे पेंट से भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लिखे.रिपोर्ट्स के मुताबिक खालिस्तानियों ने भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति पर कई अपमानजनक बातें भी लिखीं हैं.

भारत से बाहर यह अराजकता करने वाले ये नही सोच रहे कि ये बदलता भारत है.दुनिया में कही भी भारत विरोधी हरकत बर्दाशत नही की जाएगी.बीते 19मार्च  को लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने हुए विरोध प्रदर्शन के  दिल्ली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है.केंद्र सरकार दूसरे देशों में बैठे उन भारतीयों को  गिरफ्तार कर भारत लाने और उनकी पहचान कर पास्पोर्ट  निरस्त करने पर भी विचार कर रही है.विदेशों में नागिरकता ले चुके खालिस्तान समर्थकों पर भी  कार्रवाई  हो सकती है.

खालिस्तान के समर्थन में आंदोलन  करने वालों के बारे में आज बड़े पैमाने पर भारत में कहा जा रहा है कि खालिस्तानी  उस समय  कहां था ,जब अफगानिस्तान से  सिख भाग रहे थे.वहां गुरूद्वारों पर हमले हो रहे थे.यह आंदोलनकारी  अफगानिस्तान से सिखों को निकालने के लिए क्यों नही सक्रिय हुए.

अफगानिस्तान में फंसे हजारों भारतीय नागरिकों सहित वहां के सिखों के लिए भारत के  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देवदूत बनकर सामने आए.भारतीय विदेश मंत्रालय और भारतीय वायुसेना के प्रयासों की बदौलत श्री गुरु ग्रंथ साहिब की तीन प्रतियों के साथ 25 0से ज्यादा  अफगान सिखों को भी भारतीय वायुसेना के विमान से सुरक्षित भारत लाया गया.

इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने सिखों के 10 वें गुरु गोबिंद सिंह के चारों बेटों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस साल से 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की.ये कार्य एक सिख जैल सिंह के राष्ट्रपति होते और दूसरे सिख डॉ मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री होते भी नही हुआ.

केंद्र  सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 05 अगस्त, 2021 को सिख दंगा पीड़ितों के लिए एक पुनर्वास पैकेज की घोषणा की.इसमें प्रत्येक मृतक के आश्रितों को 3.50 लाख रुपये और घायलों को 1.25 लाख रुपये देने का प्रावधान किया गया.इस पुनर्वास पैकेज में मृतकों के विधवाओं और बुजुर्ग परिजनों को 2500 रुपये मासिक पेंशन देने शामिल था.

यह पेंशन उन्हें जीवनभर मिलेगी.पेंशन पर होने वाला खर्च राज्य सरकार द्वारा उठाया जाएगा.इससे पहले 2014 में मोदी सरकार ने 1984 के दंगों में मारे गए लोगों को राहत देने की योजना शुरू की थी.2021-22 के केंद्रीय बजट में इसके लिए 4.5करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया था.

श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद  उत्तर प्रदेश में  सिख विरोधी दंगों में 127 लोगों की जान चली गई थी.पीड़ित सिखों का आरोप है कि दंगों के कई दिन बाद तक इसकी एफआईआर भी नहीं लिखी गई.हिंसा के 35 साल बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने साल 2019में सिख विरोधी दंगों की फाइल फिर से खोली.उन्होंने इससे जुड़े 1251 मामलों की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन कर दिया। इसके तीन साल बाद अब एसआईटी ने यह जांच पूरी कर ली है.

मोदी सरकार ने आजादी के बाद पहली बार लंगर को टैक्स मुक्त कर दिया.अब गुरुद्वारा या धार्मिक स्थलों में बांटे जाने वाले प्रसाद या इस तरह दिए जाने वाले मुफ्त भोजन पर कुछ भी जीएसटी नहीं लगता है.इसके अलावा धार्मिक स्‍थलों में दिए जाने वाले प्रसादम पर सीजीएसटी और एसजीएसटी अथवा आईजीएसटी, जो भी लागू हो, शून्‍य है.इतनाही नही केंद्र  सरकार सिख समाज के विकास पर भी ध्यान दे रही है.

भारत से बाहर बसे  कुछ मुट्ठीभर  अतिवादी भले ही कुछ कहें किंतु पूर्व  सिख अतिवादी भी भारत की मोदी सरकार की प्रशंसा करने लगे हैं.खालिस्तानी के बड़े पैरोकार रहे और लंदन में एक अलगाववादी गुट चलाने वाले दल खालसा के संस्थापक और खालिस्तान समर्थक के पूर्व नेता जसवंत सिंह ठेकेदार ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है.जसवंत सिंह का मानना है कि पीएम मोदी ने सिखों और सिख धर्म के लिए बहुत कुछ किया है.

tiranga

ठेकेदार ने समाचार एजेंसी एएनआई को एक वीडियो इंटरव्यू में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिख समुदाय के लिए काफी काम किया है और वे इससे प्यार करते हैं.उन्होंने सिख नेताओं की ब्लैकलिस्टिंग खत्म करवाई, करतारपुर कॉरिडोर खुलवाया.

छोटे साहिब़जादे के बारे में बात की.ये कथन जसवंत सिंह विचारों में एक बड़ा परिवर्तन है.मार्च 2013में लंदन में बीबीसी हिंदी से बातचीत में उन्होंने कहा था कि सिख भारत में दोयम दर्जे के नागरिक हैं और उन्हें अलग देश मिलना चाहिए.केद्र सरकार सभी को साथ लेकर देश के विकास को आगे बढ़ाने में लगी है किंतु विदेशों में बसे कुछ खुराफाती सच्चाई  नही समझ रहे.

वे ये नही जान रहे कि 1984के आतंकवाद में गुद्वारों से दूर हुआ हिंदू  समाज फिर बड़ी तादाद में गुरूद्वारों में जाने  लगा है.इनकी कार्रवाई  से वह फिर गुरूद्वारों से अलग होता  लग रहा है.इससे सिख समाज को ही नुकसान होगा.

(लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं)

ALSO READ  प्रतिरक्षाः बढ़ रहा है भारत के पास-पड़ोस में खतरा