विश्व सूनामी जागरूकता दिवस 2025: क्यों मनाया जाता है यह दिन, क्या है इसका महत्व

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 04-11-2025
World Tsunami Awareness Day 2025: Why is this day celebrated, and what is its significance?
World Tsunami Awareness Day 2025: Why is this day celebrated, and what is its significance?

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

हर साल 5 नवंबर को विश्व सूनामी जागरूकता दिवस (World Tsunami Awareness Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर में लोगों को सूनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव, तैयारी और जागरूकता के प्रति सचेत करना है। सूनामी ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो समुद्र की लहरों के असामान्य रूप से बढ़ने से उत्पन्न होती है और तटीय इलाकों में भारी तबाही मचा सकती है।

कब और क्यों मनाया जाने लगा यह दिन

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2015 में यह दिन मनाने की घोषणा की थी। इसकी प्रेरणा जापान के एक छोटे से कस्बे “हिरामे” की कहानी से मिली, जहां के एक किसान हामागुची गोरौ ने 5 नवंबर 1854 को सूनामी आने से पहले गाँव के लोगों की जान बचाई थी। उन्होंने अपने खेत की फसल में आग लगाकर ग्रामीणों को ऊँचाई वाले क्षेत्रों में ले जाकर सैकड़ों लोगों की जान बचाई थी। इस वीरता और दूरदर्शिता की याद में 5 नवंबर को विश्व सूनामी जागरूकता दिवस के रूप में चुना गया।
 
इस साल की थीम और उद्देश्य

हर साल इस दिन को एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। 2025 की थीम है “Building resilient communities for the future” यानी भविष्य के लिए मजबूत और सुरक्षित समुदायों का निर्माण। इस थीम का मकसद है कि तटीय इलाकों के लोग प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पहले से तैयार रहें।
 
 
भारत और सूनामी का अनुभव

भारत ने 2004 में विनाशकारी हिंद महासागर सूनामी का सामना किया था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी और लाखों लोग बेघर हो गए थे। इस हादसे के बाद भारत ने सूनामी चेतावनी प्रणाली को मजबूत बनाया और आज देश के पास आधुनिक सूनामी अर्ली वार्निंग सेंटर मौजूद है जो समय रहते चेतावनी जारी कर सकता है।
 
 
क्यों जरूरी है जागरूकता

सूनामी आने से पहले कुछ सेकंड या मिनटों की चेतावनी भी हजारों लोगों की जान बचा सकती है। इसलिए विश्व सूनामी जागरूकता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन उनके असर को समझदारी, तैयारी और तकनीक के ज़रिए कम किया जा सकता है।