नई दिल्ली
किशमिश मीठी होने के साथ-साथ पोषण का भंडार भी है। हममें से कई लोग इसे पसंद करते हैं और कई लोग इसे रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाते हैं। यह आदत सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। लेकिन अगर आप एक महीने तक रोज़ाना भीगी हुई किशमिश खाते हैं, तो शरीर में क्या बदलाव आते हैं? आइए जानते हैं—
किशमिश में पॉलीफेनॉल्स और अन्य एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं। यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में और कुछ पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
भीगी हुई किशमिश में मौजूद घुलनशील व अघुलनशील फाइबर आंतों के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। यह कब्ज की समस्या को कम करते हैं और पाचन को बेहतर बनाते हैं। साथ ही, इसमें पाया जाने वाला प्रीबायोटिक फ्रुक्टेन आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है, जिससे पाचन शक्ति सुधरती है।
कई अध्ययनों में पाया गया है कि नियमित रूप से किशमिश खाने से सिस्टोलिक रक्तचाप (ऊपरी बीपी) में हल्की कमी आती है और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा घटता है। एक महीने के भीतर भी कुछ लोगों को इसके शुरुआती लाभ महसूस हो सकते हैं।
किशमिश में प्राकृतिक शर्करा के साथ फाइबर और पॉलीफेनॉल्स भी होते हैं, जो ब्लड शुगर के स्तर को अचानक बढ़ने से रोकते हैं। इसलिए यह प्रसंस्कृत मिठाइयों या स्नैक्स की तुलना में ज़्यादा स्वस्थ विकल्प है। रोज़ाना किशमिश खाने से शरीर को दिनभर स्थायी ऊर्जा मिलती है।
किशमिश में आयरन और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद होते हैं। नियमित सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर थोड़ा बढ़ सकता है और हल्की आयरन कमी में मदद मिलती है। हालांकि, अगर एनीमिया गंभीर हो तो सिर्फ किशमिश से उसका इलाज संभव नहीं है; इसे आयरन से भरपूर संतुलित आहार के साथ लेना चाहिए।
रोज़ाना भीगी हुई किशमिश खाना एक सरल और प्राकृतिक तरीका है जिससे शरीर को एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, और आयरन जैसे ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं। बस ध्यान रखें कि इसे सीमित मात्रा में ही खाएं — क्योंकि इसमें प्राकृतिक शर्करा भी होती है।