रेलवे ने 800 किलो कबाड़ से कैसे बनाई कलाम की खूबसूरत प्रतिमा जानकर हैरान रह जाएंगे
मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / बेंगलुरु
मिसाइल मैन से चर्चित एपीजे अब्दुल कलाम का देश के प्रति जैसा उत्कृष्ट योगदान रहा है. उसी हिसाब से लोग और संस्थाएं उन्हें श्रद्धांजलि देने को अनोखो तौर-तरीके अपनाते रहते हैं. इस क्रम में भारतीय रेलवे को ही देख लें. उसने कलाम साहब का मुजस्समा तैयार करने को 800 किलो रेलवे स्क्रैप का इस्तेमाल किया. इससे तैयार की गई प्रतिमा बेंगलुरु रेलवे स्टेशन पर स्थापित की गई हैं, जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का बेंगलुरु से खास नाता रहा है. इसका ख्याल रखते हुए इस शहर में खास तरह की प्रतिमा लगाई गई है. बेंगलुरु के यशवंतपुर रेलवे स्टेशन पर लगी उनकी खूबसूरत प्रतिमा को देखकर एकबारगी इसे बनाने वालों की तारीफ किए बिना नहीं रहा जाता. इसे रेलवे के इंजीनियरों ने डेढ़ महीने की मशक्कत से तैयार किया है. इसमें उन चीजों का इस्तेमाल किया गया, जो रेलवे के उपयोग लायक अब नहीं रहे.
यूं समझिए कि कलाम साहब की शख्सियत के अनुसार ही भारतीय रेलवे ने पर्यावरण संरक्षण का ख्याल रखते हुए उनकी याद ताजा रखने को प्रतिमा तैयार की है. ये मुजस्समा इधर से गुजरने वाले हर व्यक्ति के लिए आदर का प्रतीक बन गई है. खासकर रेलवे कर्मचारियों को इसकी मौजूदगी हौसला देती है.
स्क्रैप से बनी प्रतिमा
दक्षिण-पश्चिम रेलवे ने डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को कर्नाटक के यशवंतपुर रेलवे स्टेशन पर बेहद रचनात्मक तरीके से सम्मान देने की कोशिश की है. उन्हें यह विशेष श्रद्धांजलि यशवंतपुर इंजीनियरिंग कोचिंग डिपो की ओर से दी गई.
कलाम साहब को उनकी शख्सियत के मुताबिक ही सम्मान दिया गया है. उनकी यह गोल्डेन कलाकृति वाली प्रतिमा रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक के बीच की खाली जगह स्थापित की गई है. यहां से गुजरने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
800 किलोग्राम की प्रतिमा
खूबसूरत प्रतिमा का वजन 800 किलोग्राम है. इसकी ऊंचाई 7.8 फीट है. इसके निर्माण में खराब नट, बोल्ट, वायर की रस्सी, साबुन के कंटेनर, स्पंज के टुकड़े आदि इस्तेमाल किए गए हैं. रेल मंत्रालय ने ट्विटर पर ये तस्वीरें शेयर करके लिखा है, ‘दक्षिण-पश्चिम रेलवे के यशवंतपुर कोचिंग डिपो की ओर से मिसाइल मैन और भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को रचनात्मक श्रद्धांजलि.‘ सोने की तरह दिखने वाली कलाम प्रतिमा का अनावरण पिछले सप्ताह किया गया. इसे तैयार करने में यशवंतपुर कोचिंग डिपो के मैकेनिकल डिपार्टमेंट के इंजीनियरों को 45 दिन लगे.
यशवंतपुर डिपो की कारगुजारियां
बता दें कि यशवंतपुर डिपो में रोजाना औसतन 200 कोच की मेंटेनिंग का काम होता है. विस्टाडोम कोच से लेकर दुरंतो और संपर्क क्रांति जैसी ट्रेनें के काम इसमें शामिल हैं. कलाम की प्रतिमा बनाने से पहले एक मिट्टी का मॉडल बनाया गया था.
फिर प्लास्टर ऑफ पेरिस का ढांचा तैयार किया गया. बाद में उसका इस्तेमाल बेस के रूप में किया गया. वेस्ट से बेस्ट तैयार करने में इस डिपो ने पहले भी अपना जलवा दिखाया है. यह स्वामी विवेकानंद की मूर्ति से लेकर ‘मेक इन इंडिया‘ के शेर का 3डी मॉडल तक का निर्माण कर चुका है.