आवाज- द वॉयस/ नई दिल्ली
मोहम्मद वजीहुद्दीन की लिखी किताब 'द मेकिंग ऑफ द मॉडर्न इंडियन मुस्लिम: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी' का लोकार्पण 18दिसंबर को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में एक समारोह में किया गया. समारोह का संचालन साकिब सलीम (शोधकर्ता, आवाज द वॉयस) ने किया और इस समारोह में पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्रीसलमान खुर्शीद, एएमयू के पूर्व कुलपतिलेफ्टिनेंट जनरल ज़मीर उद्दीन शाह, पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब, योजना आयोग के पूर्व सदस्य सैयदा सैय्यदैन हमीद प्रोफेसर एमेरिटस अख्तर उल वासे और प्रोफेसर मुजीबुर रहमान जैसी शख्सियतें मौजूद थीं.
सलमान खुर्शीद ने इस पुस्तक को उस समय का ‘समयबद्ध हस्तक्षेप’बताया जब विश्वविद्यालय सर सैयद के आदर्शों से खुद को दूर कर रहा है. ज़मीर उद्दीन शाह ने कहा, “किताब में मदरसा के छात्रों के लिए ब्रिज कोर्स शुरू करने के वीसी के रूप में उनके कदम की गलत व्याख्या की गई है, लेकिन कुल मिलाकर यह विश्वविद्यालय में गिरावट के विभिन्न पहलुओं को कवर करने की कोशिश करता है.”
सैयदा सैय्यदैन हमीद ने आशा व्यक्त की कि लेखक उन सभी महिलाओं को कवर करने के लिए एक और किताब लिखेंगे, जो इस पुस्तक में शामिल नहीं थीं. उन्होंने खेद व्यक्त किया कि पिछले कई कार्यों की तरह, यह पुस्तक एएमयू के विकास में महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका को स्वीकार करने से कम है.
मोहम्मद अदीब ने वजीहुद्दीन के प्रयास की प्रशंसा की और कहा कि यह पुस्तक लोगों को विश्वविद्यालय के वास्तविक आदर्शों को साकार करने में मदद करेगी. मुजीबुर रहमान ने लेखक द्वारा लिए गए पत्रकारिता के दृष्टिकोण की प्रशंसा की और सोचा कि इस अध्ययन को समाज के अन्य पहलुओं तक कैसे बढ़ाया जा सकता है. अख्तरुल वासे ने कहा कि लेखक के ईमानदार इरादों की सराहना की जानी चाहिए और उन्होंने अपनी पुस्तक के माध्यम से जो खामियां बताई हैं, उन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए.
वजीहुद्दीन ने कहा कि यह पुस्तक उस विश्वविद्यालय के लिए एक श्रद्धांजलि है जिसने उन्हें सोचना सिखाया. उन्होंने अफसोस जताया कि वह एएमयू में ज्यादा दिन नहीं रुक सके. उनके विचार में एएमयू ने अपना पुराना गौरव खो दिया है और मुस्लिम नेतृत्व ने संस्था को धोखा दिया है. उनके अनुसार यह पुस्तक संस्था के गौरवशाली अतीत को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है.