तालीमी हालात को बदलने को करनी होगी जद्दोजहद :अमीर-ए-शरीयत

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 29-11-2021
अमीर-ए-शरीयत
अमीर-ए-शरीयत

 

सेराज अनवर/ पटना

इमारत-ए-शरिया के अमीर- ए-शरीयत अहमद वली फैसल रहमानी मुस्लिम समुदाय की शिक्षा व्यवस्था में बेहतरी लाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं.उनकी साफ समझ है कि मौजूदा तालीमी हालात में बदलाव लाए बेगैर कौम आगे नहीं बढ़ सकती.

खानकाह रहमानी में दस्तारबंदी

सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने आधुनिक शिक्षा पर खास जोर दिया .इस मौके पर खानकाह रहमानी से प्रशिक्षित 42 लमा और 45 हाफिज को पगड़ी बांध कर सम्मानित किया .फैसल रहमानी मुंगेर खानकाह के गद्दीनशीं भी हैं.

क्या बोले फैसल रहमानी

अहमद वली फैसल रहमानी ने कहा कि आपके सामने अब तीन चुनौतियां हैं, जिसे आपको बखूबी कबूल करना पड़ेगा.तीन चुनौतियों का जिक्र उन्होंने जीवन पद्धति को व्याख्ति किया. चुनौतियों का उल्लेख उन्होंने ने बड़े कायदे से किया.पहला चैलेंज अपने आप पर काबू रखना.अगर आप ठीक रहेंगे तो सब ठीक रहेगा. आपको हमेशा अपनी गतिविधियों पर निगाह रखते हुए पूरी ईमानदारी से काम को आगे बढ़ाना होगा.

दूसरी चुनौती घर और खानदान है. हमारे घर और खानदान में किसी ने किसी दर्जा में इस्लाम की बुबास है ,हमें और आपको इसे और थोड़ा बेहतर करना होगा. आपसी  झगड़े- फसाद से निजात और अमन कायम रह सके.

हमें उसे अपने अखलाक के जरिए बेहतर करना होगा. तीसरी चुनौती समाज का है. 85फीसद आबादी दीन से अनभिज्ञ है. उन 85प्रतिशत भाईयों तक इस्लाम के संदेश को लेकर पहुंचना हम सबकी जिम्मेदारी है.अपने हिंदुस्तानी भाइयों को बताएं कि हम सब आपस में भाई-भाई हैं.

इसके अलावा उन्होंने मुसलमानों की शैक्षणिक स्थिति का तुलनात्मक व्याख्या किया.वह कहते हैं कि पूर्व में शिक्षा में हमारी स्थिति बहुत बेहतर थी.बहुत सारी चीजों के हम जनक रहे हैं.इसकी वजह से आज दुनिया का कारोबार चल रहा है.

यदि अमूल्य आविष्कार हमारे हाथों न होती तो आज की विकसित दुनिया बहुत सारी महत्वपूर्ण वस्तुओं से वंचित रहती. अफसोस है कि आज हमारी शिक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं. आज तालीम के मोर्चे पर दो-चार फीसद रह गए हैं.

तालीमी हालात को बदलने के लिए हमें जद्दोजहद करनी होगी. तालीम के मैदान में खोई प्रतिष्ठा वापस लानी होगी. उन्होंने बताया कि जामिया रहमानी में पत्रकारिता का कोर्स कराया जा रहा है.अगले बरस से कुछ अन्य विभागों की पढ़ाई शुरू होगी, ताकि यहां के बच्चे भी महती भूमिका निभा सकें.

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याद आए मौलाना वली रहमानी

दस्तारबंदी के वक्त मरहूम अमीर-ए-शरीयत और मुंगेर खानकाह के सज्जादा नशीं रहे मोहम्मद वली रहमानी की सेवाओं को याद किया गया.वली रहमानी के करीबी रहे  ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना उमरैन महफूज रहमानी ने कहा कि जामिया रहमानी और खानकाह रहमानी दो शरमाया यानी संपत्ति है जो मरहूम सज्जादानशीं मौलाना मोहम्मद वली रहमानी के दौर में बुलंदी पर थे.

आज भी मौजूदा सज्जादानशीं की रहबरी में उसी आन बान शान से चल रहे हैं. हमारे बीच हजरत मौलाना सैयद वली रहमानी साहब मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनका साया और उनकी रूहें इन अच्छे कामों को देख रही हैं. उनकी दुआएं हमारे साथ हैं.

नायब अमीर-ए-शरीयत मौलाना शमशाद रहमानी ने कहा कि वली रहमानी का इस मुल्क पर और जामिया रहमानी,खानकाह रहमानी,इमारत शरिया पर जो एहसान है,हम लोग उसे कभी भुला नहीं सकेंगे.

सात पुस्तकों का विमोचन

इस मौके पर सात पुस्तकों का विमोचन हुआ.इसमें मुफ्ती अजहर मजहरी की’तलखीस सिराजी’,मुफ्ती मोहम्मद जैद मजहरी की’नकूूश वली’,मौलाना मोहम्मद आकिफ आलम रहमानी की’जामिया रहमानी की इल्मी व दीनी खिदमत मुताअला व जायजा’,मौलाना मोहम्मद अयूब रहमानी की’कुरआनी कायदा’,एहसान गिलानी की’मरवजा सुदी नेजाम और अल्लामा मनाजीर’,मुफ्ती जुनैद कासमी की’हयाता व माआसरा’ और ‘जानशीं मुफक्किर ए इस्लाम मौलाना अब्दुल हलीम रहमानी’ का नाम प्रमुख है.

किसने किया संबोधन

काजी इमारत-ए-शरिया मौलाना अंजार आलम कासमी,इमारत-ए-शरिया के नायब नाजिम मौलाना मुफ्ती सोहराब नदवी,जामिया रहमानी के शैखुल हदीस मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अजहर का नाम संबोधित करने वालों में उल्लेखनीय है.

कार्यक्रम का संचालन मौलाना रजा उर रहमान रहमानी और खालिद रहमानी ने किया.इजलास का आगाज कारी निजामुद्दीन रहमानी की तिलावत-ए-कुरान और मौलाना मंजर कासमी के नात से हुआ.खानकाह रहमानी से फारिग एक ऐसा भी हाफिज हैं, जिन्होंने पूरी कुरान 5 महीने 7 दिनों में याद कर लिया.