आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
नियमित रूप से ड्राई फ्रूट्स का सेवन बुज़ुर्गों के लिए न सिर्फ पौष्टिक होता है, बल्कि यह डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी से बचाने में भी मददगार हो सकता है। हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि यदि 55 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग प्रतिदिन 10 ग्राम या उससे अधिक ड्राई फ्रूट्स (जैसे अखरोट, बादाम, मूँगफली आदि) का सेवन करते हैं, तो उनकी सोचने, समझने और याद रखने की क्षमता अन्य लोगों की तुलना में लगभग 60% तक बेहतर होती है।
यह शोध "जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन, हेल्थ एंड एजिंग" में प्रकाशित हुआ, जिसमें चीन के 4,822 बुज़ुर्गों के स्वास्थ्य आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में यह भी पाया गया कि लगभग 17% प्रतिभागी नियमित रूप से मूँगफली खाते थे, जो कि एक सस्ता और अत्यंत पोषक विकल्प है। मूँगफली में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण मस्तिष्क की क्षमताओं में गिरावट को धीमा करने में सहायक हो सकते हैं।
शोध की प्रमुख डॉ. मिंग ली के अनुसार, ड्राई फ्रूट्स में पाए जाने वाले गुड फैट्स, प्रोटीन और फाइबर जैसे पोषक तत्व न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं, बल्कि मस्तिष्क को भी स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डॉ. ली यह भी बताती हैं कि चूंकि अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया जैसी न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारियों के इलाज के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए खान-पान में बदलाव एक प्रभावशाली और सुलभ समाधान बन सकता है। यह विशेष रूप से उन देशों में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जहां बुज़ुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है, जैसे कि चीन। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक चीन दुनिया का सबसे बुज़ुर्ग देश बन जाएगा, जहां 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या 33 करोड़ से अधिक और 80 वर्ष से ऊपर की आबादी 9 करोड़ 4 लाख से ज़्यादा होने की संभावना है।
इस अध्ययन से स्पष्ट है कि ड्राई फ्रूट्स केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं। यदि बुज़ुर्ग लोग अपने रोज़मर्रा के आहार में मूँगफली या अन्य ड्राई फ्रूट्स को नियमित रूप से शामिल करें, तो वे डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियों से काफी हद तक बच सकते हैं और अपनी दिमागी ताकत को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं।