यहां रक्षाबंधन हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक

Story by  संदेश तिवारी | Published by  [email protected] | Date 22-08-2021
यहां रक्षाबंधन हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक
यहां रक्षाबंधन हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक

 

सन्देश तिवारी/ कानपुर

रिश्ते सिर्फ परिवार में ही नहीं होते.कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जिनसे मानवता व भाईचारा हमेशा कायम रहता है.ऐसे ही कुछ रिश्ते कानपूर शहर में भी बरकरार हैं. बीते कई साल से यहां हिदू बहन मुस्लिम भाई की कलाई पर राखी बांध रही हैं तो मुस्लिम बहन भी हिदू भाई की कलाई पर अपने प्यार का धागा बांध रही हैं.

बतादें कि बीते कई साल से एक किस्से के मुताबिक प्रदेश के अमरोहा में एक हिन्दू बहन लता  द्वारा मुस्लिम युवक को राखी बांधने पर यहां कुछ विवाद हुआ जिस पर सौहार्द कायम करने के लिए कानपुर के चमनगंज निवासी युवक की मुस्लिम बहन ने मुंह बोले ¨हदू भाई की कलाई पर वैदिक रीति रिवाज से जुड़ी मान्यता के बीच राखी बांधी है तो वहीं, साथ ही कानपुर में रहने वाली बहन ने अपने मुस्लिम भाई को डाक से राखी भेजकर उन लोगों को आईना दिखाने का काम किया है, जो धर्म और मजहब की आड़ लेकर समाज में नफरत फैलने का कार्य करने में जरा भी संकोच नहीं करते हैं. 

वैसे तो रक्षाबंधन 'भाई-बहन' के पवित्र प्रेम का त्योहार माना जा रहा है, लेकिन ओरैया जिले में यह 'हिंदू-मुस्लिम' एकता का प्रतीक भी है. यहां मुस्लिम महिलाएं सिर्फ राखी का निर्माण ही नहीं करतीं, बल्कि उसे हिंदू भाइयों की कलाई पर बांध कर अपनी रक्षा का वचन भी लेती हैं. ये सिलसिला, परम्परा , रीतिरिवाज़ यहां आज से नहीं करीब 30साल से चल रहा है.यही ताकत है कि यहां हमेशा सौहारद बना रहता है.

इस जिले में एक ऐसी बस्ती है जहां एक ऐसी ही मुस्लिम महिला है ज़ाहिरा खान रहती है.जो पिछले तीन दशक से राखी बनाने के अलावा अपने मुंहबोले हिंदू भाई की कलाई में 'राखी' बांधती आ रही है. इनकी राखी लेने आने वाला भी इनका भाई है.

उत्तर प्रदेश के ओरैया जिला में कभी हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सांप्रदायिक विवाद नहीं हुआ, यहां तक कि मुश्किल समय में जब पूरा आग लगी रही रही तब भी ओरैया की धरती पर हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिम वर्ग के गले मिल रहे थे.

इतना ही नहीं, एक-दूसरे के हर त्योहार दोनों समुदायों के लोगों के बीच मिलजुल कर मनाने की परंपरा जैसी है. ईद में हिंदू सेवइयों का स्वाद लेते हैं तो दशहरा में मुस्लिम 'पान' कर सामाजायम करते ह-बहनों के पवितिश्ते के त्योहार रक्षाको ही ले लीजिएया के मुरादगुहल्ले के दर्जन भर मुस्लिम परिवार राखी बनाने के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. इनमें से एक ज़ाहिरा खान का परिवार दो दशक से सिर्फ राखी ही नहीं बनाता, बल्कि जहिरा खुद अपने एक मुंहबोले हिंदू भाई की कलाई में हर साल पहली राखी बांधती है.

ज़ाहिरा कहती है, 'हिंदू-मुस्लिम दोनों सगे भाई की तरह हैं, कोई भी मजहब आपस में बैर करना नहीं सिखाता है. यहां हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिम त्योहार मनाते हैं और मुस्लिम वर्ग हिंदुओं के त्योहार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता है.'

वह बताती है कि उसका पूरा परिवार तीन दशक से राखी बनाने का व्यवसाय कर रहा है और वह खुद कई साल से अपने एक हिंदू भाई की कलाई में राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती है.

वह कहती है, 'जब तक मेरी राखी उसकी कलाई में नहीं बंध जाती, तब तक 'मेरा भाई' अपनी सगी बहनों से राखी नहीं बंधवाता.'

यहां के रहने वाले अब्दुल का कहना है, 'हम उनके हैं और वे हमारे हैं, हम अपने त्योहार में उनका 'खैर मकदम' करते हैं तो वह दीवाली-दशहरा में हमारा स्वागत करते हैं.'

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भाई की रक्षा के लिए राखी कब बांधे

सावन पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ: 21 अगस्त 2021 की शाम 03:45

सावन पूर्णिमा तिथि का समापन: 22 अगस्त 2021 की शाम 05:58 मिनट तक

रक्षा बंधन के लिए शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त 2021 को सुबह 05:50 से शाम 06:03 तक

रक्षा बंधन की समयावधि: 12 घंटे 11 मिनट

अपने भाई की लंबी आयु, सुख-समृद्धि भरे जीवन की कामना करते हुए बहनें भाई को राखी बांधती हैं. भाई अपनी बहन को पूरी जिंदगी रक्षा करने का वचन देते हैं. भाई को राखी बांधने के लिए बहन थाली सजाती हैं. थाली में कुमकुम, हल्दी, अक्षत, राखी के साथ कलश में पानी और आरती के लिए दीपक रखते हैं, इसके साथ ही भाई की पसंदीदा मिठाई भी उसे खिलाते हैं.

ज्‍योतिष में हर त्‍योहार को मनाने के लिए पूजा करने के शुभ समय बताए गए हैं. रक्षाबंधन की बात करें तो ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ होता है क्‍योंकि राहु और भद्रा के समय शुभ काम करने की मनाही होती है. इसके पीछे कारण है कि रावण को उसकी बहन सूर्पणखा ने भद्रा काल में ही राखी बांधी थी और इसके एक साल के अंदर ही रावण मारा गया था.