हजरत इमाम हुसैन की सालगिरह पर पंडित अनिल झा ने बांसुरी की धुनों से सजाई महफिल

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 20-03-2021
पंडित अनिल झा बांसुरी से हजरत इमाम हुसैन को सुरांजलि अर्पित करते हुए
पंडित अनिल झा बांसुरी से हजरत इमाम हुसैन को सुरांजलि अर्पित करते हुए

 

- खानकाह कादरिया नियाजिया आस्ताना-ए-मैकश पर मनाया गया जश्न

अनल झा ने कहा, सूफियाना संगीत दुनिया को देता है मुहब्बत और भाईचारे का पैगाम

फैजान खा / आगरा

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम (नवासा-ए-हजरत मुहम्मद स.ल.म) की सालगिरह के मौके पर गुरुवार यानि 18 मार्च को आगरा की ऐतिहासिक एवं अध्यत्मिक खानकाह कादरिया नियाजिया आस्ताना-ए-मैकश पर जश्न मनाया गया. इसमें दुनिया को जुल्म के खिलाफ लड़ने और हक का साथ देने की प्रेरणा देने वाले पैगंबर-ए-इस्लाम के चहेते नवासे इमाम हुसैन को याद किया गया. इस मौके पर एक सूफियाना महफिल भी सजाई गई. युवा संगीतज्ञ पंडित अनिल झा ने बांसुरी और ‘किकोन’जैसे वाद्यों की प्रस्तुतियां दीं.

पंडित अनल झा का परिचय देते हुए सांस्कृतिक कार्यकर्ता डॉक्टर विजय शर्मा ने बताया कि पंडित अनल झा मूलतः अररिया बिहार से हैं और उनकी औपचारिक शिक्षा स्वाध्याय के अतिरिक्त एनआईएफटी से हुई. सामाजिक बदलाव के उद्देश्यों के लिए पंडित अनिल ने कला को माध्यम चुना और अभी आगरे में रहते हैं.

सैयद फैज अली शाह ने बताया कि यह सूफी संगीत मौलाना रूमी के साहित्य से प्रेरित हैं, जिन्होंने संगीत पर कई दफ्तरों की रचना की है और उनका पहला दफ्तर बांसुरी पर ही है. बांसुरी के जरिये सूफी ध्यान और आराधना करते हैं. दुनिया भर में अहल-ए-खानकाह संगीत को अध्यात्मिक साधना का माध्यम मानते हैं.

खानकाह पर सैयद अजमल अली शाह कादरी नियाजी साहब ने कहा कि जुल्म की इंतेहा ही उसके खत्म होने का कारण बनती है. इस्लाम ने हमेशा से इंसानियत का पैगाम दिया है. वहीं पैगंबर-ए-इस्लाम की तालीम को आगे बढ़ाते हुए उनके नवासे हजरत इमाम हुसैन ने इस्लाम को बचाने के लिए खुद व खुद के पूरे खानदान ने शहादत दी.

संगीतज्ञ अनल झा ने कहा कि सूफियाना संगीत के जरिए हम इंसानियत का पैगाम दे सकते हैं. हजरत इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाने के लिए ही अपने खानदान के साथ शहादत दे दी, लेकिन जालिम यजीद के आगे सिर नहीं झुकाया. आखिर में संगीतज्ञ अनिल झा को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर  आस्ताना-ए-मैकश के जायरीन के अलावा शहर के महानुभाव मौजूद रहे.