नजीर मोहम्मद : महिलाओं में राजस्थानी बंधेज साड़ी का आकर्षण बरकरार है

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 30-03-2022
महिलाओं में राजस्थानी बंधेज साड़ी का आकर्षण बरकरार है
महिलाओं में राजस्थानी बंधेज साड़ी का आकर्षण बरकरार है

 

राजेश / सूरजकुंड (फरीदाबाद)

बंधेज की साडियों और दुपट्टों का आकर्षण महिलाओं के चेहरे की चमक बढ़ा देता है. यदि एक बार कोई महिला इन साड़ियों देख ले, तो उसे खरीदे बिना नहीं रह सकती. नजीर मोहम्मद बंधेज हस्तशिल्प से बेहतरीन साडियां और दुपट्टे तैयार करते हैं. नजीर मोहम्मद ने सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले के स्टॉल नंबर 926 में द्वारा साडियों और दुपट्टों का प्रदर्षन किया हैं. महिलाओं में इन ब्राइट कलर्स की साड़ियों को देखने की लालसा जरूर उमड़ती है. 

राजस्थान के जोधपुर में रहने वाले नजीर मोहम्मद बंधेज यानि बंधेड़ के वस़् षिल्प तैयार करते हैं. हस्तशिल्पी नजीर मोहम्मद बताते हैं कि यह उनका पुश्तैनी काम है.

उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज सदियों से राजा-महाराजा और नवाबों के परिवारों के लिए बंधेड़ कलां से वस्त्र तैयार करते आ रहे हैं. राजा-महाराजाओं द्वारा उनके पूर्वजों को बदले में दिल खोल पुरस्कार दिया जाता था.

75 वर्षीय नजीर मोहम्मद बताते हैं कि बचपन में वे अपने माता-पिता और परिवार के अन्य लोगों को यह काम करते हुए देखकर उनकी मदद करते थे. धीरे-धीरे वे भी बंधेड़ कलां के मझे हुए शिल्पकार बन गए.

नजीर मोहम्मद ने बताया कि वैसे तो वे देश के विभिन्न हिस्सों में लगने वाले मेले और प्रदर्शनियों में अपने उत्पाद लेकर जाते रहते हैं, लेकिन सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में स्टॉल हासिल करने के लिए उन्हें हमेशा ही संघर्ष करना पड़ा है.

उन्होंने बताया कि सूरजकुंड मेले में उन्हें पिछले 35 सालों में चार-पांच बार ही अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिल पाया है. इस बार उन्हें राजस्थान हैंडीक्राफ्ट बोर्ड की मदद से यहां स्टॉल मिल पाया है. इस बार आयोजकों की तरफ से उनके ठहरने की व्यवस्था भी नहीं की है. इसलिए उन्हें रोज रात को ठहरने के लिए जामा मस्जिद जाना पड़ता है. आने-जाने में रोज करीब 500 रुपये खर्च हो जाते हैं.

नजीर मोहम्मद ने बताया कि बंधेड़ कला में बनारसी कपड़ों पर सीलाकरी वर्क, कढ़ाई और लैसेस आदि का इस्तेमाल कर खूबसूरत साडियां और दुपट्टे तैयार किये जाते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में लगने वाले मेलों और प्रदर्शनियों में आने वाले लोग उनके द्वारा तैयार की गई साडियां और दुपट्टे हाथों हाथ खरीद लेते हैं.

नजीर मोहम्मद को उम्मीद है कि इस बार सूरजकुंड मेले में उनकी अच्छी आमदनी हो सकती है.