एक स्पेशल चाइल्ड की मां की डायरी - एक
मैंने हमेशा सोचा था कि माँ बनना किसी सपने जैसा होगा.और सच कहूँ तो, अक्सर ऐसा ही लगता है.छोटी-छोटी बातों में एक जादू होता है—जैसे तक्ष के नहाने के बाद उसके बालों की खुशबू, या जब उसकी नन्ही उंगलियाँ मेरी उंगली को ऐसे थाम लेती हैं जैसे वो वहीं belong करती हों.और जब वो हँसता है—दिल से हँसता है—तो वो खुशी कभी भूल नहीं सकती.
लेकिन इस सारी खूबसूरती के साथ-साथ, हमेशा एक हल्की-सी, शांत-सी भावना पृष्ठभूमि में चलती रही.एक फुसफुसाहट जैसी.कुछ जो कहती कि हमारा रास्ता थोड़ा अलग हो सकता है.बुरा नहीं, बस... अलग.
तक्ष हमारे जीवन में एक सुहानी मार्च की दोपहर आया था—घने बालों के साथ और एक ऐसी चीख के साथ जो उस पल दुनिया की सबसे प्यारी आवाज़ लगी.पहले कुछ महीने वैसे ही थे जैसे मैंने सोचा था—नींद से भरे, अस्त-व्यस्त, थकाऊ, और फिर भी प्यार से लबालब.
वो समय पर पलटा, बैठा, यहाँ तक कि जल्दी चलने भी लगा.लेकिन फिर भी, कुछ था जो ठीक नहीं लग रहा था.बताना मुश्किल है—जैसे कोई प्यारा गाना हो, लेकिन उसमें एक सुर थोड़ा सा बेसुरा हो.
जब वो दो साल का हुआ, तब मैंने देखा कि वो मेरा नाम लेकर बुलाने पर जवाब नहीं देता.कभी-कभी देता, पर अक्सर नहीं.शुरू में मैंने नज़रअंदाज़ कर दिया.सोचा, शायद वो ध्यान में है.शायद लड़के ऐसे ही होते हैं.सबने सलाह दी: "लड़के देर से बोलते हैं", "फिक्र मत करो", "आइंस्टीन ने भी चार साल की उम्र तक नहीं बोला था."
मैंने उन्हें मानना चाहा,इसलिए मैंने इंतज़ार किया.उम्मीद की.लेकिन वो शब्द नहीं आए.कम से कम वैसे नहीं जैसे मैंने सोचा था.
वो चीज़ों की ओर इशारा नहीं करता था ताकि मुझे दिखा सके कि वो क्या चाहता है.जब मैं उंगली से कुछ दिखाने की कोशिश करती, तो वो उसे फॉलो नहीं करता.जब वो उत्साहित होता, तो अपने हाथ फड़फड़ाता था—जैसे हरकत में कोई जादू हो.उसे घूमना भी बहुत पसंद था, वो खुद को घुमाता रहता, और जैसे-जैसे वो घूमता, हँसता रहता, मानो ये गति ही उसकी दुनिया को बिल्कुल सही बना देती हो.
मुझे अब भी याद है जब मैंने पहली बार गूगल पर टाइप किया था: “मेरा बच्चा नाम लेकर बुलाने पर जवाब क्यों नहीं देता?”
"ऑटिज़्म" शब्द बार-बार सामने आता रहा.हर बार जब मैंने ये पढ़ा, तो डर, अपराधबोध और उलझन का अजीब सा मिश्रण महसूस हुआ.फिर भी मैं पक्के तौर पर नहीं जानती थी.
जब तक हम बाल रोग विशेषज्ञ के पास नहीं गए, जिन्होंने बहुत कोमलता से हमें विकास विशेषज्ञ के पास भेजने को कहा.वहां से स्पीच थेरेपी शुरू हुई.शुरुआती हस्तक्षेप.बहुत सारे अनजाने मोड़.
और फिर वो दिन आया, जब डॉक्टर ने शब्दों में कह दिया:
“आपका बच्चा ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण दिखाता है.”
ऐसा लगा जैसे किसी ने ज़मीन खींच ली हो पैरों के नीचे से.मैं और मेरे पति एक-दूसरे का हाथ थामे बैठे थे, जैसे जीवन रेखा हो, खुद को संभाले रखने की पूरी कोशिश करते हुए.ऐसा नहीं कि हमें तक्ष से प्यार नहीं था—हमें उससे बेहद प्यार है—बल्कि इसलिए कि हम डरे हुए थे.
जिस चीज़ को हम समझ नहीं पा रहे थे, उससे डर लग रहा था.गलत करने से डर लग रहा था.
उस रात, जब हमने उसे सुला दिया, तो मैं रोई.इसलिए नहीं कि तक्ष में कुछ “गलत” था, बल्कि इसलिए कि मैंने उसके लिए जो कुछ भी सोचा था—उसका स्कूल का पहला दिन, बर्थडे पार्टीज़, दोस्ती, बातचीत—ये सब अचानक बहुत नाज़ुक लगने लगा, जैसे कागज़ की नावें जो तूफ़ान में बह रही हों.
क्या लोग उसे देखेंगे? सच में देखेंगे? क्या वे दयालु होंगे? क्या उन्हें पता चलेगा कि वो कितना खास है?
लेकिन अगली सुबह, जब मैंने उसे खेलते देखा, तो कुछ बदल गया.वो फर्श पर बैठा था, अपने ट्रक के पहियों को घुमा रहा था, खुद से गुनगुना रहा था.उसने एक पल के लिए मेरी तरफ देखा, और एक हल्की-सी मुस्कान दी.उस मुस्कान में सब कुछ था.
वो अब भी मेरा बेटा है.वो अब भी जादू है.वो टूटा नहीं है.वो कम नहीं है.हाँ, वो अलग है—लेकिन अद्भुत, साहसी, और खूबसूरती से अलग.और अगर दुनिया उसे समझ नहीं पाती, तो मैं उसे समझने में मदद करूंगी.
अब यही मेरा काम है—उसे बदलना नहीं, बल्कि उसके साथ खड़े रहना, उससे सीखना, और दूसरों को उसकी नज़रों से दुनिया दिखाना.तब से हमारी ज़िंदगी थेरेपी सेशन, रोज़मर्रा की दिनचर्याओं, और छोटी-छोटी जीतों से भरी हुई है.
पहली बार जब उसने जूस माँगने के लिए पिक्चर कार्ड का इस्तेमाल किया, तो मैं रोई.जिस दिन उसने बिना कहे मुझे गले लगाया? मैं फिर रोई.ये यात्रा आसान नहीं है.लेकिन ये हमारी है.
और ये मुझे वो सब सिखा रही है जो मैं कभी नहीं सीख पाती—धैर्य, सहनशीलता, और वो खुशी जो सबसे छोटे पलों में भी छिपी होती है.
मैं ये सब इसलिए साझा कर रही हूँ क्योंकि मेरे पास सभी जवाब नहीं हैं, लेकिन शायद कोई और कहीं यही महसूस कर रहा है जैसा मैंने किया था—अनिश्चित, डरा हुआ, थोड़ा खोया हुआ.
अगर आप वो हैं, तो मैं बस ये कहना चाहती हूँ:
आप अकेले नहीं हैं.
और आपका बच्चा ठीक वैसा ही है जैसा उसे होना चाहिए!!
सपना
( एक क्रिएटिव राइटर)
जारी.....