नई दिल्ली
अल्ज़ाइमर रोग एक गंभीर मस्तिष्क विकार है जो धीरे-धीरे याददाश्त, सोचने की क्षमता और रोज़मर्रा के कार्यों को प्रभावित करता है। यह बीमारी अधिकतर बुज़ुर्गों को होती है, लेकिन इसके खतरे को बढ़ाने वाले कई कारण हैं, जिन्हें जानकर आप समय रहते सावधानी बरत सकते हैं। वैज्ञानिक शोधों के आधार पर नीचे 6 ऐसे मुख्य कारण बताए गए हैं जो अल्ज़ाइमर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:
अल्ज़ाइमर का सबसे बड़ा जोखिम कारक उम्र है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, इस बीमारी का खतरा भी बढ़ता जाता है। 65 वर्ष की उम्र के बाद हर पाँच साल में इसके होने की संभावना दोगुनी हो जाती है। शोध के अनुसार, 85 वर्ष से अधिक उम्र के हर तीन में से एक व्यक्ति को अल्ज़ाइमर हो सकता है। हालांकि, यह बीमारी उम्र के साथ अनिवार्य रूप से नहीं होती — सही जीवनशैली से इसका खतरा कम किया जा सकता है।
अगर परिवार में किसी को अल्ज़ाइमर रहा है, तो इस बीमारी की आशंका और बढ़ जाती है। खासकर जिन लोगों में APOE e4 नामक जीन होता है, उनमें इसका खतरा ज़्यादा होता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि इस जीन की मौजूदगी से बीमारी ज़रूर हो — यह सिर्फ एक संभावित जोखिम बढ़ाता है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में कुछ आनुवंशिक परिवर्तन सीधे अल्ज़ाइमर का कारण बन सकते हैं।
दीर्घकालिक तनाव और अवसाद मस्तिष्क के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। लगातार तनाव से शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचा सकता है। इससे धीरे-धीरे याददाश्त पर असर पड़ता है। यदि अवसाद और तनाव का इलाज समय पर किया जाए, तो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बचाया जा सकता है।
उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, स्ट्रोक और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियाँ दिमाग की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचा सकती हैं। इससे मस्तिष्क में सूजन और अन्य बदलाव आ सकते हैं जो अल्ज़ाइमर को बढ़ावा देते हैं। अच्छा आहार, नियमित व्यायाम और समय पर इलाज इन जोखिमों को कम कर सकते हैं।
शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना और धूम्रपान जैसी आदतें अल्ज़ाइमर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। नियमित व्यायाम मस्तिष्क की कार्यक्षमता और रक्त परिसंचरण को बनाए रखता है। वहीं धूम्रपान मस्तिष्क को नुकसान पहुँचाता है और याददाश्त कमजोर कर सकता है। अच्छी जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
नींद की कमी या स्लीप एपनिया जैसी नींद से जुड़ी समस्याएँ मस्तिष्क की सफाई प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। गहरी नींद के दौरान मस्तिष्क हानिकारक तत्वों को बाहर निकालता है, जैसे एमिलॉइड-बीटा प्रोटीन, जो अल्ज़ाइमर से जुड़ा है। अगर नींद ठीक से न हो, तो ये प्रोटीन जमा होने लगते हैं और बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।