कलाम साहब में थी इंसानों की परख

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 27-07-2021
कलाम साहब में इंसानों की परख थी
कलाम साहब में इंसानों की परख थी

 

आशा खोसा/ नई दिल्ली

उम्र के तीसरे दशक में चल रहे वीजे थॉमस के लिए मई 1972 में त्रिवेंद्रम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में प्रशासनिक सहायक की नौकरी के लिए एक लिखित परीक्षा के लिए उपस्थित होने का एकमात्र कारण था कि वह अपने गृह राज्य वापस जाना चाहता था. अंत में, जब अन्य उम्मीदवारों को दिए गए 10-15 मिनट के मुकाबले जब उससे 45 मिनट का साक्षात्कार लिया गया, तो उन्होंने देखा कि साक्षात्कार बोर्ड में एक इंजीनियर उनसे कठिन प्रश्न पूछ रहा था.

उसे क्या पता था कि उसको परेशान करने वाला इंजीनियर आगे चलकर उसका बॉस, उसका हीरो और प्रेरणा और भारत का राष्ट्रपति बन जाएगा.

युवा इंजीनियर ए पी जे अब्दुल कलाम आने वाले महीनों में अपने कार्यालय सहायक को यही कहने वाले थे, "थॉमस, इसे करो और इसे आज दोपहर तक निबटा दो." "शुरुआत में, वह मुझसे पूछते थे 'क्या आप यह सकते हैं और जब मैंने समय पर चीजें दीं, तो उन्होंने मुझे मेरे नाम से बुलाना शुरू कर दिया और मुझे बिल्कुल बिंदुवार आदेश दिए."

 थॉमस, जिन्होंने 2005 में इसरो से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी और अब तिरुवनंतपुरम में रहते हैं, कहते हैं कि तब सरकारी संगठन उतने सक्षम नहीं थे जितने आज हैं. थॉमस कहते हैं, “चारों ओर जड़ताऔर नकारात्मकता थी; इस बीच मैंने पाया कि वह कितने समर्पित थे और कैसे उन्होंने अपने आस-पास के कड़वे वातावरण को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया.”

कलाम के काम में डूबे रहने के कारण उनके कई साथी और जूनियर्स उस समय उनको पसंद नहीं करते थे. थॉमस ने आवाज-द वॉयस को बताया कि अब्दुल कलाम अंतरिक्ष यान में फाइबरग्लास के उपयोग पर एक परियोजना पर काम कर रहे थे, जब वह उनके साथ एक प्रशासनिक सहायक के रूप में जुड़े थे.

वह कार्यालय में घूमते रहते और दूसरों के डेस्क पर उनके काम की जांच करने पहुंच जाते थे.

थॉमस बताते हैं, "लोग सोचते थे कि वह सनकी और एक साधारण व्यक्ति था. चूंकि मैंने उसके साथ काम किया था, मुझे पता था कि वह एक बहुत ही स्मार्ट बॉस और मानव संसाधन के कमाल के प्रबंधक थे.”

उनके काम करने का अंदाज बहुत अलग था. वह काम आवंटित करते थे और सहज रूप से जान जाते थे कि कौन पिछड़ रहा है. थॉमस बताते हैं, "वह हर शख्स की मेज पर जाते थे और पूछते कि उसने कितनी प्रगति की है."

अगर उन्हें लगता था कि कोई आदमी पर्याप्त काम नहीं कर रहा तो भी वह उस पर कभी चिल्लाते या डांटते नहीं थे. थॉमस कहते हैं, "मैंने उनसे कभी यह नहीं सुना कि यह क्या है या क्या बकवास है."

थॉमस कलाम को "विनम्र, मानवीय और फिर भी एक दृढ़ बॉस के रूप में याद करते हैं,वह मानव मन को बहुत बेहतर समझते थे."

"वह एक महान प्रेरक थे और जानते थे कि दूसरों को कैसे काम करना है," थॉमस बताते हैं. वह काम करने को अनिच्छुक व्यक्ति के साथ बैठते और उनसे कहते, “आइए हम इसे साथ मिलकर करते;देखें कि समस्या कहां है?" उनके आकर्षण और शालीनता से बचने का कोई रास्ता नहीं था. "उनकी प्रेरक शैली से लोग समय पर काम पूरा कर लेते थे."

कलाम की कार्यशैली का उदाहरण देते हुए थॉमस बताते हैं, वह हमेशा बड़े कार्यों को आयोजन से एक या दो दिन पहले ही समाप्त कर देते थे. वह सुनिश्चित करते थे कि टीम के सभी सदस्य ऐसा ही करें. फिर वह ऐलान करतेः दो दिन सभी के लिए तरोताजा और तनावमुक्त महसूस करने के लिए हैं.

थॉमस के पास उस टीम का हिस्सा होने की बहुत सारी यादें हैं जो फाइबरग्लास पर एक राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम के आयोजन की तैयारी कर रही थी. वह कहते हैं, “मुझे याद है कि हम सभी ने कई दिनों तक आधी रात तक काम किया. उस समय इंटरनेट और यहां तक ​​कि फोटोस्टेट मशीन भी नहीं थी और ज्यादातर काम हाथों से किया जाता था.”

“एक दिन आधी रात को, कलाम हॉल में आए दहां हम सभी काम कर रहे थे और कहा, अब आप लोग ब्रेक ले लें, मैं अपने दफ्तर में रहूंगा. अपनी डाक चेक करूंगा और काम करूंगा र फिर सुबह 6.30 बजे आपसे मिलूंगा.”थॉमस से उनकी एकमात्र डिमांड एक ड्राइवर छोड़ने की थी, जिसने उनके साथ अच्छी नींद ले रखी थी. “अब कोई रास्ता नहीं था कि हम में से कोई 6.30 बजे दफ्तर नहीं पहुंचता.”

थॉमस को उनको एक बार उन्हें लॉज से लाने जाना पड़ा, जहां वह त्रिवेंद्रम में रहते थे. वह कलाम की सही समय पर तैयार होने की आदत को जाने बिना 5मिनट पहले पहुंच गए थे.

जब वह तैयार होने के लिए गए तो उन्होंने थॉमस को अपने कमरे में बुला लिया.

“उनके बिस्तर, मेज, फर्श की चटाई पर किताबों के ढेर थे. केरल में परंपरागत रूप से इस्तेमाल की जाने वाली चटाई किताबों के स्तंभों से बनी एक सीमा के साथ पालने की तरह दिखती थी.” कमरा बहुत साफ सुथरा था. थॉमस अपने बॉस से इतना प्रभावित हुआ कि वह उसका उत्साही प्रशंसक बन गया और उस नायक की जीवन भर पूजा की.

थॉमस कहते हैं, "वह मेरे हीरो हैं और मैं गर्व से कहता हूं कि लोगों को विश्वास नहीं होगा कि ऐसा इंसान कभी इस धरती पर मौजूद था," थॉमस, इन दिनों मोतियाबिंद की सर्जरी करवा रहे हैं और इसलिए अपनी तस्वीरें नहीं दे सकते.

1979में पहले एएसएलवी उपग्रह प्रक्षेपण की विफलता के बाद कलाम को कई भद्दी टिप्पणियों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. हालांकि, जब उपग्रह को एक साल बाद स्वदेशी तकनीक और प्रयासों के साथ सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया, तो थॉमस कहते हैं कि उनके कई सहयोगियों ने सोचा कि कलाम की मीडिया में अनुचित तारीफ हो रही है.

पर, मुझे पता है कि वह आदमी पैसे या प्रसिद्धि के पीछे नहीं भागता था; उसके पास अपने करियर में आगे जाने की कोई योजना नहीं थी. वह सिर्फ राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहते थे और उनका मंत्र स्वदेशी था", थॉमस याद दिलाते हैं.

कलाम को उनके कार्यस्थल पर मिली एक और आलोचना थी, कि उनके पास डॉक्टरेट की डिग्री नहीं थी. "आज उनके पास इतने सारे विश्वविद्यालयों से 30मानद डॉक्टरेट हैं," थॉमस कहते हैं जो अपने नायक की हर बात पर नजर रखते थे.  

बाद में जब उन्होंने कलाम की पुस्तक “विंग्स ऑफ फायर’पढ़ी तो उन्होंने पाया कि उनके नायक के मन में उन दिनों के बारे में कोई कड़वाहट नहीं थी. थॉमस कहते हैं, "उन्होंने केवल लिखा है कि वह यह समझने में असफल रहे कि जब राष्ट्र के लिए महान चीजें हो रही हैं तो कुछ लोग ईर्ष्या क्यों महसूस करते हैं."

वी जे थॉमस

वी जे थॉमस


थॉमस ने कलाम के अधीन पांच साल तक काम किया और बाद में जब वे डीआरडीओ में चले गए, तो वे परियोजना के पदेन निदेशक के रूप में थुंबा (इसरो स्टेशन) का दौरा करते रहे. "जब भी मैं उनसे मिलता, वह मेरे कंधे पर हाथ रखते और बहुत प्यार से बोलते."

थॉमस विंग्स ऑफ फायर के मलयालम अनुवाद को पढ़ने के लिए उत्सुक थे क्योंकि उन्हें किताब में कुछ गलतियां मिलीं. उन्होंने डीसी किताबों के मालिक से मुलाकात की, जो कोट्टायम में उनके गांव कांजीरापल्ली के रहने वाले हैं और उन्हें पाठ बदलने के लिए कहा. "पुस्तक के अगले संस्करण की समय सीमा थी और रवि (डीसी बुक्स के मालिक) ने मुझे बताया कि मेरे पास किताब पर काम करने के लिए पांच दिन हैं और मैंने इसे किया."

ऐसा करके वह बहुत खुश हुए.