भाषा-साहित्य, सभ्यता और संस्कृति के प्रचार में मुशायरों की महत्वपूर्ण भूमिका

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 23-03-2023
भाषा-साहित्य, सभ्यता और संस्कृति के प्रचार में मुशायरों की महत्वपूर्ण भूमिका
भाषा-साहित्य, सभ्यता और संस्कृति के प्रचार में मुशायरों की महत्वपूर्ण भूमिका

 

आवाज द वाॅयस / अमृतसर

यदि उर्दू भाषा और साहित्य के वर्तमान परिदृश्य का गंभीरता से मूल्यांकन किया जाए तो यह स्वीकार करना होगा कि मुशायरों ने अतीत में भाषा और साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके माध्यम से आज भी ज्ञान, साहित्य, सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस मामले में मुशायरे की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता. 

यह बातें वक्ताओं ने  पंजाब उर्दू अकादमी (भाषाविज्ञान और उच्च शिक्षा विभाग) द्वारा हाल में ज्ञान और साहित्य की भूमि मालीर कोटला में आयोजित अखिल भारतीय मुशायरा कार्यक्रम के दौरान कही. इसमें वक्ताआंे ने कहा कि वर्तमान युग में भी मुशायरों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण कविता बनाई और प्रसारित की जा रही है. 
 
पंजाब उर्दू अकादमी के सचिव रणजोध सिंह सिद्धू की सलाह पर मुहम्मद सादिक ने कवियों की सूची तैयार की और जिस तरह से इस साहित्यिक उत्सव का आयोजन किया गया वह वर्षों तक याद रखा जाएगा.
 
यूं तो पंजाब उर्दू अकादमी समय-समय पर भाषा-साहित्य, सभ्यता और संस्कृति पर आधारित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करती है, लेकिन मुहम्मद सादिक ने अपने वरिष्ठों की सलाह और अकादमी के अपने सहयोगियों और अन्य अधिकारियों के सहयोग से इस सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया. अल्लामा इकबाल ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में  नया इतिहास रचा गया.
 
इस मुशायरे में मालीर कोटला के प्रमुख साहित्यकार और राजनीतिक शख्सियत विधायक जमीलुर रहमान ने अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि पंजाब ने हमेशा भाषा और साहित्य को पोषित और विकसित किया है.
 
आज भी अकादमी के अधिकारी उर्दू भाषा का उपयोग कर रहे हैं. वे साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए महत्वपूर्ण और विशिष्ट प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने रणजोध सिंह सिद्धू और मुहम्मद सादिक की प्रशंसा करते हुए स्पष्ट किया कि भाषा और साहित्य पर आधारित रचनात्मक आंदोलनों, योजनाओं और कार्यक्रमों के आयोजन में हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा.
 
हालांकि अकादमी का अनुदान दो करोड़ तक पहुंच गया है, लेकिन उर्दू भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार और कलाओं के अस्तित्व और स्थायित्व के लिए और धन की आवश्यकता होगी, तो इसकी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.
 
सम्मानित अतिथि सरदार गुरुलीन, पंजाब वक्फ बोर्ड के सीईओ अब्दुल लतीफ और कई महत्वपूर्ण राजनीतिक, सामाजिक और साहित्यिक हस्तियों ने भी इस अखिल भारतीय मुशायरे की प्रतिष्ठा में इजाफा किया.
 
देवबंदी की अध्यक्षता में आयोजित मुशायरे में प्रमुख कार्यक्रम के शुरुआती चरण में इकबाल अशर, शकील आजमी, सरदार पंछी, खुशबीर सिंह शाद और सज्जाद झंजत समेत देश के शायरों ने शिरकत की.
 
इस संबंध में अकादमी के प्रभारी मुहम्मद सादिक ने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार, पंजाब उर्दू अकादमी के सचिव और  जमीलुर्रहमान के सुझावों का पालन करके हम सुधार करने की कोशिश में हैं.
 
भविष्य में साहित्य के प्रचार-प्रसार पर आधारित अन्य कार्यक्रम जारी रखे जाएंगे. हमें न केवल उम्मीद है, बल्कि विश्वास है कि पंजाब उर्दू अकादमी को लोगों का असाधारण समर्थन मिलता रहेगा.