नई दिल्ली
गुर्दे (किडनी) हमारे शरीर के सबसे ज़रूरी और मेहनती अंगों में से एक हैं। ये बिना कोई शोर किए शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालते हैं, तरल और लवण का संतुलन बनाए रखते हैं, ज़रूरी हार्मोन बनाते हैं और शरीर के रासायनिक संतुलन को नियंत्रित करते हैं।
लेकिन यही चुपचाप काम करने वाला अंग तब तक कोई संकेत नहीं देता जब तक उसका काफ़ी नुकसान नहीं हो चुका होता। कई बार जब तक लक्षण सामने आते हैं, तब तक किडनी की 90% तक कार्यक्षमता खत्म हो चुकी होती है।
इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के अनुसार, दुनियाभर में 85 करोड़ से अधिक लोग किसी न किसी रूप में किडनी की बीमारी से प्रभावित हैं। इनमें क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD) और एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) दोनों शामिल हैं।
अक्सर ये गंभीर बीमारी हमारी रोज़मर्रा की कुछ सामान्य लेकिन नुकसानदायक आदतों की वजह से होती है। आइए जानते हैं ऐसी ही 7 आदतों के बारे में जो आपकी किडनी को चुपचाप नुकसान पहुँचा सकती हैं:
अगर आप पर्याप्त पानी नहीं पीते, तो किडनी को गाढ़ा पेशाब बनाने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
हल्का लेकिन बार-बार होने वाला निर्जलीकरण धीरे-धीरे किडनी को नुकसान पहुँचाता है।
गहरा रंग का या कम मात्रा में पेशाब, इस बात का संकेत है कि शरीर को ज़्यादा पानी चाहिए।
नमक का ज्यादा सेवन ब्लड प्रेशर बढ़ाता है, जो किडनी की बीमारी का बड़ा कारण है।
उच्च रक्तचाप किडनी की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचा सकता है।
प्रोसेस्ड फूड, चिप्स, अचार, डिब्बाबंद सूप और फास्ट फूड में नमक की मात्रा बहुत अधिक होती है।
मीठे पेय और शुगर से भरपूर चीज़ें इंसुलिन प्रतिरोध, यूरिक एसिड और मेटाबॉलिक तनाव को बढ़ाती हैं।
सोडा और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में मौजूद शुगर, सोडियम और फॉस्फेट किडनी को चुपचाप नुकसान पहुँचाते हैं।
ज़्यादा प्रोटीन (खासतौर पर पशु प्रोटीन) किडनी पर दबाव बढ़ाता है क्योंकि उसे ज़्यादा वेस्ट छानना पड़ता है।
फॉस्फोरस युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कोला, प्रोसेस्ड मीट और पैक्ड फूड किडनी को और नुकसान पहुँचा सकते हैं।
बार-बार सिरदर्द, बदन दर्द या हल्के दर्द के लिए ली जाने वाली दर्द निवारक दवाएं (जैसे आइबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन)
किडनी में रक्त प्रवाह को घटाती हैं
लंबे समय तक इनका इस्तेमाल किडनी की तीव्र या पुरानी क्षति का कारण बन सकता है।
नींद के दौरान शरीर खुद को रिपेयर करता है।
नींद की कमी और तनाव से ब्लड प्रेशर, सूजन और हार्मोन असंतुलन होता है
इससे किडनी पर धीरे-धीरे असर पड़ता है और उनका कार्य प्रभावित होता है।
धूम्रपान किडनी की रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है और ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ाता है।
अत्यधिक शराब शरीर में पानी की कमी और हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनती है।
ये दोनों आदतें डायबिटीज और हाई बीपी जैसी बीमारियों के जोखिम को बढ़ाती हैं, जो किडनी की बीमारी के मुख्य कारण हैं।
पर्याप्त पानी पिएं
संतुलित और कम नमक-शक्कर वाला भोजन लें
नींद और तनाव को प्राथमिकता दें
बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं न लें
शराब और सिगरेट से दूरी बनाएं
ध्यान रखें:
किडनी की बीमारी चुपचाप बढ़ती है, लेकिन सही जीवनशैली और जागरूकता से इससे बचाव पूरी तरह संभव है।