नई दिल्ली
कभी-कभी ज़रूरत से ज़्यादा खा लेना आम बात है, लेकिन जब यह रोज़मर्रा की आदत बन जाए, तो यह शरीर और स्वास्थ्य दोनों पर बुरा असर डाल सकती है। ज़्यादा खाने का संबंध सिर्फ़ भूख से नहीं होता, बल्कि तनाव, भावनात्मक असंतुलन और बोरियत जैसी मानसिक स्थितियों से भी जुड़ा होता है। इससे पेट फूलना, सुस्ती, बेचैनी, और कई बार लंबे समय में इंसुलिन रेजिस्टेंस, लिवर संबंधी समस्याएं और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
लेकिन अच्छी खबर यह है कि कुछ छोटे-छोटे बदलाव अपनाकर आप इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं 5 आसान उपाय, जो ज़्यादा खाने की आदत को धीरे-धीरे खत्म करने में मदद कर सकते हैं:
कई बार हम भूख के बिना भी सिर्फ आदत या बोरियत में खाने लगते हैं। इसलिए हर बार कुछ खाने से पहले 30 सेकंड का विराम लें और सोचें कि क्या आपको वाकई भूख लगी है।
जापान के ओकिनावा द्वीप के लोग "हारा हाची बु" सिद्धांत का पालन करते हैं — यानी पेट 80% भरने पर ही खाना बंद कर देते हैं। यह तरीका आपको भोजन के प्रति सचेत और संयमित बनाता है।
कई बार हमें प्यास और भूख के संकेत में भ्रम हो जाता है। एक रिसर्च के मुताबिक, जो लोग खाने से पहले 500 मिली पानी पीते हैं, वे दूसरों की तुलना में कम कैलोरी का सेवन करते हैं। पानी पीने से पेट थोड़ा भर जाता है और अनावश्यक खाना टल सकता है। साथ ही यह पाचन, मेटाबॉलिज़्म और ऊर्जा स्तर सुधारने में भी मदद करता है।
प्लेट का आकार भी हमारे खाने की मात्रा को प्रभावित करता है। बड़ी प्लेट में खाना कम भी दिखता है, जिससे हम ज़्यादा परोस लेते हैं। जबकि छोटी प्लेट में कम खाना भी संतोषजनक लगता है। यह एक मनोवैज्ञानिक ट्रिक है जो हमारे खाने की आदतों को सकारात्मक रूप से बदल सकती है।
अक्सर लोग तनाव या थकावट में ज़्यादा खाने लगते हैं — इसे "स्ट्रेस ईटिंग" कहा जाता है। जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर कोर्टिसोल हार्मोन छोड़ता है जो भूख बढ़ा देता है। इसी तरह, नींद की कमी भी कोर्टिसोल स्तर को बढ़ा सकती है। इसलिए हर दिन 7-8 घंटे की नींद और तनाव से बचाव ज़रूरी है।
अगर तली-भुनी या मीठी चीजें सामने रखी हों, तो उनका सेवन करने का मन बना ही रहता है। इसलिए घर में अनहेल्दी स्नैक्स न रखें या उन्हें ऐसी जगह रखें जहाँ बार-बार नजर न जाए। यह एक चॉइस आर्किटेक्चर की रणनीति है, जो व्यवहार में बदलाव लाने के लिए पर्यावरण को थोड़ा नियंत्रित करती है।
ज़्यादा खाने की आदत को बदलना कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं है, लेकिन इन छोटे-छोटे व्यवहारिक बदलावों से आप अपने खाने की आदतों पर नियंत्रण पा सकते हैं। धीरे-धीरे, ये आदतें आपके शरीर, मन और सेहत—तीनों में सकारात्मक बदलाव लाएंगी।