राजेन्द्र शर्मा
बीते साल 10फरवरी 2024को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त चित्रकार और मूर्तिकार ए रामचन्द्रन इस फानी दुनिया से रुखसत हो गए. 89वर्षीय ए रामचन्द्रन किडनी की बीमारी से लंबे समय से पीड़ित थे, पर कला के प्रति अटूट समर्पण के चलते वह उस तकलीफदेह समय में भी अनवरत कैनवास पर पेंटिंग करते रहे. अपनी इसी अदम्य जिजीविषा के बल पर ही उन्होंने अपने जीते जी एक स्वप्न देखा था. उनका स्वप्न था कि उनकी पेंटिंग्स, मूर्तियों का एक ऐसा संग्रहालय हो, जिससे आने वाली पीढ़ियां उनके काम से रुबरु हो सकें.
ए रामचन्द्रन के इस स्वप्न को पूरा करने के लिए कई निजी कम्पनियां सामने आई किन्तु ए रामचन्द्रन का स्वप्न आर्थिक लाभ के गुणा भाग की परिधि से बाहर था. उनका एक ही सुनहला स्वप्न था कि उनके काम से भावी पीढ़ी रुबरु हो, और इसके लिए उनकी पेटिग्स, मूर्तियों को संरक्षित करने हेतु सरकार के नियंत्रण में एक संग्रहालय की आवश्यकता थी. इसके लिए ए रामचन्द्रन ने अपने गृह राज्य केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को एक पत्र देकर राज्य सरकार को अपनी पेंटिंग्स सौंपने की इच्छा व्यक्त भी की थी किन्तु इसी मध्य ए रामचन्द्रन बीमारी की गंभीर जकड़ में आ गये और अन्ततोगत्वा दस फरवरी 2024को इस फानी दुनिया को अलविदा कह गये .
ए रामचन्द्रन के निधन के बाद एक प्रतिष्ठित चित्रकार व गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की दत्तक पुत्री के रुप में पहचान रखने वाली उनकी पत्नी चमेली रामचंद्रन और नासा में वैज्ञानिक उनके पुत्र राहुल रामचन्द्रन ने अपने पिता ए रामचन्द्रन के स्वप्न को हर हाल में साकार करने का बीडा उठाया . केरल राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से अनवरत विचार विमर्श के उपरांत केरल के कोल्लम स्थित श्री नारायण गुरु सांस्कृतिक परिसर में संग्रहालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया.
ए रामचन्द्रन की इच्छानुसार उनकी पत्नी और बेटे ने ए रामचन्द्रन की 38पेंटिंग्स और मूर्तियां जिनकी कीमत कला बाजार में लगभग 300करोड़ रुपये आँकी गई है,केरल सरकार को सुपुर्द कर दी. कला की दुनिया में यह पहला अवसर था जब किसी कलाकार की तीन सौ करोड़ कीमत की पेंटिंग्स और मूर्तियां सरकार को निशुल्क दी गयी हो. साथ ही उनकी पत्नी चमेली रामचन्द्रन ने भी अपनी दस पेंटिंग्स संग्रहालय के लिए निशुल्क भंेट की .
क्ला अनुरागी केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी संग्रहालय स्थापना की सवेंदनशीलता को समझते हुए शीध्र से शीघ्र प्रस्तावित संग्रहालय को मूर्तरुप देने का बीडा उठाया, जिसके फलस्वरुप कोल्लम स्थित श्री नारायण गुरु सांस्कृतिक परिसर में संग्रहालय तैयार हो चुका है. इस संग्रहालय का नाम ए रामचन्द्रन संग्रहालय रखा गया है, जिसका उद्घाटन आज ( पांच अक्टूबर 2025) को राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन करेगें. इस अवसर पर ए रामचन्द्रन की पत्नी चमेली रामचंद्रन, पुत्र राहुल और पुत्री सुजाता रामचन्द्रन को राज्य सरकार द्वारा विशेष रुप से आमत्रित किया गया है .
इस संग्रहालय के भीतर दर्शकों को ए रामचन्द्रन की कला का विशाल संग्रह देखने को मिलेगा. रंगों से भरे कैनवास, मंदिर परंपराओं की गूँज लिए भित्ति चित्र, और प्रयोगात्मक कृतियाँ जो उनके छह दशक के लंबे करियर को दर्शाती हैं. रामचंद्रन अपने गहरे रंगों, सशक्त आकृतियों और केरल की लोक शैलियों को वैश्विक आधुनिकता के साथ अनूठे ढंग से जोड़ने के लिए जाने जाते हैं. भारतीय कला जगत की सबसे विशिष्ट आवाज़ों में से एक ए रामचन्द्रन के कला संसार को देखकर निसन्देह कला प्रेमी ही नहीं अपितु समूचा केरल राज्य भी गौरवान्वित होगा .
ललित कला अकादमी के अध्यक्ष मुरली चीरोथ कहते है कि केरल राज्य ही नही, देश भर के गौरव चित्रकार ए रामचन्द्रन के नाम पर बनाया गया यह संग्रहालय निखालिश संग्रहालय भर नही होगा, यह संग्रहालय सांस्कृतिक शिक्षा का केंद्र भी बनेगा, जहाँ कार्यशालाएँ, व्याख्यान और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे ताकि नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया जा सके.
1978में जामिया मिलिया में ए रामचन्द्रन के छात्र रहे चित्रकार देशराज जो लगभग साढे़ चार दशक से एक शिष्य के रुप में ए रामचन्द्रन के साथ रहे ,संग्रहालय के प्रति ए रामचन्द्रन की दीवानगी को बयां करते हुए बताते है कि अपने जीवन के अन्तिम समय में हास्पिटल में उनकी चिंता संग्रहालय की ही थी. उन्होंने मुझसे वचन लिया था कि जब तक संग्रहालय नहीं बन जाता, मैं इस काम में उनकी पत्नी और बेटे राहुल को पूरा सहयोग करुंगा. भावुक होकर देशराज गर्व के साथ कहते है कि मैं गुरु को दिया वचन निभा सका, यह मेरे जीवन की सार्थकता है .
ख्यात कला समीक्षक विनोद भारद्वाज लगभग पांच दशक से ए रामचन्द्रन के काम पर लिखते रहे है . विनोद भारद्वाज ने ए रामचन्द्रन पर अनेक लेख लिखने के अलावा एक किताब ‘ए रामचन्द्रन की कला’ और तीन सौ पृष्ठ का मोनोग्राफ भी लिखा है . विनेाद भारद्वाज कहते है कि आधुनिक भारत के प्रसिद्व कलाकार ए रामचन्द्रन अपनी कला का दस्तावेजीकरण करने में बहुत सावधानी बरतते थे . अपने निधन से पहले, उन्होंने अपनी कृतियों, कला और जीवन के विवरणों को बडे़ सलीके से व्यवस्थित किया था. केल्लाम में निर्मित संग्रहालय उसी दस्तावेजीकरण की महत्वपूर्ण परिणति है .
बिहार राज्य की राजधानी पटना में बिहार म्यूजियम जैसे दिव्य म्यूजियम की परिकल्पना कर उसे साकार करने वाले बिहार म्यूजियम के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह कहते है कि ए रामचन्द्रन संग्रहालय इस मायने में भी एक सार्थक प्रयास है कि म्यूजियम में केवल कलाकार ही नही जायेंगे, आम आदमी, छात्र छात्रायें भी जायेंगे, जिसके फलस्वरुप कला का आम आदमी से रिश्ता बनेगा.
बहरहाल, ए रामचन्द्रन का स्वप्न आज साकार हो रहा है, वे जहां होगें, अपना स्वप्न पूरा होते देख मंद-मंद मुस्करा रहे हांेगे. यह संग्रहालय केवल एक संस्थान नहीं है बल्कि यह उस महान कलाकार की अंतिम इच्छा की पूर्ति है, जिसने तीन सौ करोड़ कीमत की अपनी पेंटिग्स और मूर्तियां निशुल्क सरकार को उपलब्ध कराकर जता दिया है कि ए रामचन्द्रन होने के मायने क्या है .