मलिक असगर हाशमी/नई दिल्ली
असम की राजधानी गुवाहटी में बाराह दिनों तक चले पुस्तक मेले में कई रिकॉर्ड बने. जहां पहली बार सूबे के इस तरह के मेले में आठ करोड़ रूपये से ज्यादा की पुस्कतें बेची गईं, वहीं सर्वाधिक पसंद की जाने वाली किताबों में असमीज कुरान शरीफ भी रही.
गुवाहाटी बुकफेयर में लाखों की संख्या में पुस्तक प्रेमियों ने रूझान दिखाया और अपने पसंद की किताबें खरीदीं. अलग बात है कि इसमें सबसे ज्यादा आकर्षण के केंद्र में रही असमीज भाषा में लिखी गई कुरान.इसकी कई वजहे हैं.
असम के लोग हिंदी और उर्दू पढ़ना-लिखना कम जानते हैं. इस कारण यहां की मुस्लिम आबादी इस्लाम की मौलिक शिक्षाओं से वंचित है या यूं कहें कि दीन-मजहब की आला दर्जे की सर्वाधिक किताबें उर्दू-हिंदी में होने की वजह से बहुत सारी बातें उनतक नहीं पहुंच पाई हैं.
यहां तक कि एक बड़ी आबादी को कुरान पढ़ना नहीं आता. शायद यही वजह है कि गुवाहाटी के बुक फेयर में सबसे ज्यादा असमी भाषा में लिखी गई कुरान की ब्रिक्री दर्ज की गई . खास बात यह है कि इस कुरान को न सिर्फ मुस्लिम बिल्क हिंदू और ईसाई जैसे दूसरे धर्मों के लोगों ने भी बड़ी संख्या खरीदा.
मुफ्त में बांटी गई प्रतियां
पुस्तक मेले में सैंकड़ों की संख्या में बुक स्टॉल थे, लेकिन सर्वाधिक भीड़ असमिया इस्लामी साहित्य प्रकाशन के स्टॉल पर देखी गई. यहां कि असमीज भाषा में लिखी कुरान के अलावा हदीस-मसलों की भी किताबें बिकीं .
असमिया इस्लामिक साहित्य प्रकाशन के स्टाफ हुजूर अली के मुताबिक, सर्वाधिक ग्राहक असमीज भाषा में तर्जुमा की गई कुरान खरीदने आए. यहां मुस्लिम खरीदारों से जहां 50रुपये का अंशादान लेकर कुरान दिया गया, वहीं गैर-मुस्लिम ग्राहकों को सैकड़ों की संख्या में मुफ्त में कुरान की प्रतियां बांटी गईं.
क्या कहते हैं ग्राहक
किताब खरीदने आई रेहाना ने बताया कि वह हिंदी, उर्दू या अरबी पढ़ना-लिखना नहीं जानती . इस वजह से कुरान नहीं पढ़ पाती. किसी भी धार्मिक मामलों की जानकारी के लिए मौलानाओं पर निर्भर रहना पड़ता. उनसे पूछना पड़ता है.
रेहाना ने कहा कि अब वह असमीज में खुद कुरान और हदीस की बातें पढ़ सकती हैं. कुरान खरीदने वाली महिला और पेशे से कॉलेज की प्रोफेसर कंचन शर्मा ने कहा कि कुरान और इस्लाम को लेकर उनके मन में बहुत सारे सवाल हैं, जिनका जवाब उन्हें किसी ने नहीं दिया. इसलिए उन्होंने तय किया कि वह खुद कुरान का अध्ययन कर इसके संदेश को समझने की कोशिश करेंगी.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गुवाहाटी में लॉ फर्म में काम करने वाले वकील सुधांशू मजूमदार ने कहा, उनके पास पहले से अंग्रेजी भाषा में लिखी कुरान है, लेकिन पुस्तक मेले में जब उन्हें असमीज में लिखी कुरान की सूचना मिली तो वह इस लेने आ गई.
सुधांशू मजूमदार ने इस्लामी हदीस और कानूनों से संबंधित कुछ अन्य किताबें भी खरीदी हैं. सुधांशू मजूमदार सिविल मामलों के वकील हैं. वह कहते हैं, मुस्लिम पर्सनल लॉ की किताबें इंगलिश में होती हैं. अगर इससे जुड़ी चीजें अपनी भाषा में मिले, तो इसे पढ़ना और समझना ज्यादा आसान होगा.
बिकीं आठ करोड़ रुपये की किताबें
महामारी का दौर गुजरने के बाद यहां आयोहित 33वें गुवाहाटी पुस्तक मेले में लाखों की संख्या में पुस्तक प्रेमी जुटे. मेले में हर दिन लगभग 25,000से 1लाख लोगों ने षिरकत की और 12दिनों में 8करोड़ रुपये की किताबें बेची गईं.
महीनों तक घरों में बंद रहने के बाद आगंतुकों ने पहली बार गुवहाटी के किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लिया. इस दौरान न केवल असमिया भाषा की पुस्तकों की बिक्री हुई, नई पुस्तकों का विमोचन भी हुआ. पुस्तक मेले में कई पुस्तकों, विशेष रूप से युवा कवियों द्वारा कविता संग्रहों का विमोचन किया गया.
ज्याद बिकने वाली किताबें
मेले में ज्यादा बिकने वाली पुस्तकों में रूपम दत्ता द्वारा लिखी गई लाइफ ऑफ ए ड्राइवर भी रही. प्रकाशन बोर्ड असम के सचिव प्रमोद कलिता के अनुसार, कोविड-19के बाद 33वां गुवाहाटी पुस्तक मेला, पूरे भारत का इकलौता ऐसा मेला रहा जिसने बुक स्टॉल मालिकों को बड़े हद तक राहत पहुंचाई है.
उन्होंने बताया, अकेले प्रकाशन बोर्ड ने 12 लाख रुपये की किताबें बेचीं.अन्य बेस्टसेलिंग खिताबों में हिरेन भट्टाचार्जी और बिपुलज्योति सैकिया के कविता संग्रह हैं. गीताली बोराह और रीता चौधरी जैसे लेखकों के उपन्यास भी खूब बिके. पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की जीवनी को भी पुस्तक प्रेमियों ने पसंद किया.