नई दिल्ली
आज के दौर में ज्यादातर बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन दिख ही जाता है। यह सच है कि स्मार्टफोन बच्चों की सुरक्षा और संचार के लिए कई बार जरूरी भी हो जाता है, लेकिन विज्ञान लगातार चेतावनी दे रहा है कि कम उम्र में स्मार्टफोन का इस्तेमाल बच्चों के स्वास्थ्य और विकास पर गंभीर असर डाल सकता है।
पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण अध्ययन के अनुसार, जो बच्चे 12 साल की उम्र से पहले स्मार्टफोन का उपयोग शुरू करते हैं, उनमें मोटापा, अवसाद और नींद संबंधी विकारों का खतरा अधिक देखा गया। हालांकि शोध यह नहीं कहता कि फोन ही इन समस्याओं का सीधा कारण है, लेकिन दोनों के बीच स्पष्ट संबंध जरूर पाया गया है।
अमेरिका में किए गए ABCD अध्ययन में 9 से 16 वर्ष के 10,000 से अधिक बच्चों का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि 12 वर्ष की उम्र में स्मार्टफोन मिलने वाले बच्चों में:
अवसाद का खतरा 30% अधिक,
मोटापे की संभावना 40% अधिक,
और नींद की कमी से जूझने का खतरा 60% अधिक था।
यह भी सामने आया कि जो बच्चे 12 साल से पहले फोन इस्तेमाल करना शुरू करते हैं, उनमें हर वर्ष स्वास्थ्य जोखिम लगभग 10% बढ़ जाता है।
12 साल की उम्र बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास का बेहद महत्वपूर्ण चरण होता है। इस दौरान मस्तिष्क तेज़ी से विकसित होता है और हार्मोनल बदलाव भी तेजी से होते हैं। इस वजह से बच्चे सोशल मीडिया के फीडबैक, लाइक्स, टिप्पणियों और साथियों की स्वीकृति के प्रति बेहद संवेदनशील हो जाते हैं।
स्मार्टफोन का शुरुआती उपयोग उनकी—
नींद की गुणवत्ता,
शारीरिक गतिविधि,
और आमने-सामने सामाजिक कौशल
को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
कम उम्र में फोन उपयोग शुरू करने वाले बच्चे गेमिंग, वीडियो, सोशल मीडिया में अधिक समय बैठकर बिताते हैं।
स्क्रीन के दौरान ज्यादा खाना या मीठे पेय पीना उनके वजन को तेजी से बढ़ा देता है।
12 साल से पहले फोन पाने वाले बच्चों में:
अवसाद के मामलों में वृद्धि,
साइबर बुलिंग का खतरा,
और सोशल तुलना के कारण आत्मविश्वास में कमी
देखी गई है।
शोध के अनुसार, 12 साल के स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में 6.5% बच्चे अवसाद से पीड़ित पाए गए, जबकि फोन न इस्तेमाल करने वालों में यह संख्या 4.5% रही।
स्क्रीन की नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को बाधित करती है, जिससे बच्चे देर तक जागते रहते हैं। देर रात वीडियो देखना, नोटिफिकेशन अलर्ट और लगातार स्क्रीन टाइम नींद को और खराब कर देता है।
कुल मिलाकर, कम उम्र में स्मार्टफोन देना बच्चों में नींद, मानसिक स्वास्थ्य और वजन से जुड़ी समस्याओं का ऐसा चक्र शुरू कर देता है, जिसे संभालना मुश्किल हो सकता है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि बच्चों को स्मार्टफोन देने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए—और अगर देना भी पड़े, तो उसके उपयोग को सीमित और नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है।