असम की बेंत से बनता है अलीगढ़ में फर्नीचर

Story by  रेशमा | Published by  [email protected] • 2 Years ago
अलीगढ़ के कारीगर ताज बेंत के फर्नीचर के लिए हैं मशहूर
अलीगढ़ के कारीगर ताज बेंत के फर्नीचर के लिए हैं मशहूर

 

रेशमा बानो/ अलीगढ

ताज... यह जाना पहचाना नाम है अलीगढ़ का. इनमें हाथों से बने फर्नीचर के न केवल अलीगढ़ के लोग दिवाने हैं. इनकी शोहरत इतनी है कि प्रदेश के किसी भी इलाके से कोई अलीगढ़ आता है तो ताज के बनाए फर्नीचर साथ ले जाना नहीं भूलता. ताज कहते हैं कि उन्होंने यह हुनर बरेली में सीखा है और पिछले 25 सालों से इस पेशे में हैं. ताज की विशेषता है असम की खास लकड़ी केन से फर्नीचर बनाना.

उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ जिले के अनुना हाउस इलाके में असम की विशेष लकड़ी ‘केन’की मदद से खास फर्नीचर बनाने में माहिर मोहम्मद ताज ने पिछले 25 सालों से अपने हुनर से लोगों को अपना दिवाना बना रखा है. इनके बनाए फर्नीचर देखने में खूबसूरत और बेहद टिकाऊ होते हैं.

ताज का कहना है कि महंगाई के कारण फर्नीचर की खरीद-बिक्री पर असर पड़ा है. इसलिए पहले के मुकाबले फर्नीचर थोड़े महंगे जरूर हुए हैं, पर उन्होंने क्वॉलिटी से कोई समझौता नहीं किया है.

ताज कहते हैं, “असम से जिस लकड़ी का बंडल पहले 2,500 रुपये में आता था अब वह 3,500 रुपये में आ रहा है. इसके अलावा, अन्य सामान भी हाल के दिनों में महंगे हुए हैं. ईंधन की कीमत में इजाफा होने से ढुलाई की दर भी बढ़ी है. दाम बढ़ने से फर्नीचर की खरीद भी कम हुई है. कोरोना महामारी के कारण विश्वविद्यालय भी बंद है. यही कारण है कि विश्वविद्यालय में शिक्षण स्टाफ नहीं है जो इस फर्नीचर की अधिक खरीदारी करता था.”

केन का फर्नीचर

घर को सजाने के लिए तो जितने पैसे खर्च किए जाएँ उतने ही कम लगते हैं लेकिन केन के फर्नीचर से आप अपने घर को बेहतरीन लुक दे सकते हैं और वह भी वाजिब दाम में. दीमक न लगना इस फर्नीचर की खासियत है. अपने सपनों के घर की सजावट करने के लिए कोई भी किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहता है. घर की दीवारों के रंग से लेकर शोकेश में रखे जाने छोटी-छोटी आकर्षक चीजों की कलेक्शन करने में भी आप पूरा जोर लगा देते हैं.

अपने घर को दूसरों से अलग दिखाने की चाहत में एक से एक अलग चीजों के कलेक्शन से घर के रूम से लेकर बालकनी तक को अलग ढंग से सजाया जाता है. फर्नीचर भी इसी साज-सज्जा का महत्वपूर्ण हिस्सा है. बदलते समय के अनुसार फर्नीचर का डिजाइन भी बदलता रहा है. बाजार में लकड़ी के फर्नीचर के साथ केन (बाँस) से बना फर्नीचर भी घरों की शान बढ़ा रहा है. केन से बने इस फर्नीचर की सबसे बड़ी खासियत है इसमें दीमक नहीं लगती. जबकि लकड़ी के फर्नीचर में हमेशा दीमक लगने का खतरा बना रहता है.

दीमक न लगने की वजह से केन का फर्नीचर लकड़ी के फर्नीचर से अधिक टिकाऊ होता है. केन से बना फर्नीचर लकड़ी के फर्नीचर से कम सुंदर नहीं होता. इस फर्नीचर में आपकों कुर्सी से लेकर अलमारी तक मिल जाती है. इसके अलावा केन के डाइनिग टेबल सेट, सोफा, टेबल भी बाजार में उपलब्‍ध हैं. केन के फर्नीचर पर पॉलिशिंग करके इसे चमकदार और आकर्षक बनाया जाता है.

फर्नीचर तैयार करने वाला कारीगर केन को बारीक कर इसकी इस तरह से बुनाई करता है जैसे जर्सी या स्वेटर बुना जाता है. कारीगर दिन-रात मेहनत कर एक सप्ताह में एक फर्नीचर का सेट तैयार कर पाता है. चूँकि केन फर्नीचर पूरी तरह हाथ से बनाया जाता है इसलिए केन से बना यह फर्नीचर लकड़ी के फर्नीचर से थोड़ा महँगा जरूर है. सजावट फर्नीटर शोरूम के अमित ने बताया कि केन से बनाई गई कुर्सी 850 रुपए से शुरु होती है.

ज्यादा स्टाइलश कुर्सी लेनी है तो 2 हजार रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं. कुर्सी में भी ओवल कुर्सी या गोल कुर्सी के अलग-अलग डिजाइन मौजूद हैं. जबकि घाघरा चेयर के लिए 4 हजार खर्च करने पड़ सकते हैं. टेबल की बात करें तो इसकी कीमत 800 रुपए से शुरू होकर 8 हजार रुपए तक जाती है. जबकि केन का सोफा 4 हजार रुपए से शुरू होकर 22 हजार रुपए तक जाता है. इसके अलावा टीवी ट्रॉली भी केन से बनी हुई मार्केट में उपलब्ध हैं.

फर्नीचर के साथ कुशन आदि भी साथ में दिया जाता है. केन से बने झूले तो लगभग हर बड़ी कोठी के लॉन में देखने को मिल जाएँगे. केन फर्नीचर के रंग को अपनी पसंद के अनुसार प्रयोग कर सकते हैं. केन से बना झूला तो घर-घर में मशहूर हो चुका है. केन का झूला खरीदने के लिए करीब 4 रुपए खर्च करने पड़ेंगे. जबकि लकड़ी का झूला तीन हजार रुपए में मिल जाता है.