इस्लाम में तलाक के शिष्टाचार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 22-09-2023
Etiquettes of Divorce in Islam
Etiquettes of Divorce in Islam

 

ईमान सकीना

यदि विवाह जारी रखना संभव न हो, तो इस्लाम में अंतिम उपाय के रूप में तलाक की अनुमति है. यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ कदम उठाए जाने की आवश्यकता है कि सभी विकल्प समाप्त हो गए हैं और दोनों पक्षों के साथ सम्मान और न्याय के साथ व्यवहार किया जाता है. इस्लाम मानता है कि विवाह में दया, करुणा और शांति होनी चाहिए. विवाह एक अद्भुत वरदान है. विवाह में प्रत्येक पति या पत्नी के कुछ कर्तव्य और दायित्व होते हैं, जिन्हें परिवार के लाभ के लिए प्रेमपूर्ण तरीके से पूरा किया जाना चाहिए. इस्लाम विशिष्ट परिस्थितियों में पति-पत्नी के तलाक और अलगाव को बर्दाश्त करता है. हालाँकि, इस्लाम तलाक को घृणित और निंदनीय मानता है.

जब शादी खतरे में होती है, तो जोड़ों को सलाह दी जाती है कि वे रिश्ते को फिर से बनाने के लिए सभी संभव उपाय अपनाएं. अंतिम विकल्प के रूप में तलाक की अनुमति है, लेकिन इसे हतोत्साहित किया जाता है. पैगंबर मुहम्मद ने एक बार कहा था, ‘‘सभी वैध चीजों में से, अल्लाह को तलाक से सबसे ज्यादा नफरत है.’’

इस कारण से, एक जोड़े को जो पहला कदम उठाना चाहिए, वह वास्तव में अपने दिल की जांच करना, रिश्ते का मूल्यांकन करना और सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करना है. सभी शादियों में उतार-चढ़ाव आते हैं और इस निर्णय पर आसानी से नहीं पहुंचना चाहिए. अपने आप से पूछें, ‘‘क्या मैंने सचमुच बाकी सब कुछ आजमाया है?’’ अपनी आवश्यकताओं और कमजोरियों का मूल्यांकन करें और परिणामों के बारे में सोचो. अपने जीवनसाथी के बारे में अच्छी बातें और आप दोनों के साथ बिताए अच्छे समय को याद करने की कोशिश करें और छोटी-मोटी परेशानियों के लिए अपने दिल में क्षमा और धैर्य रखें. अपने साथी के साथ अपनी जरूरतों, चिंताओं और भावनाओं पर चर्चा करें. कुछ लोगों को यह चरण मददगार लग सकता है और वे एक निष्पक्ष इस्लामी परामर्शदाता के मार्गदर्शन से लाभान्वित हो सकते हैं.


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विवाह से होने वाले किसी भी बच्चे को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है. व्यक्तिगत व्यवहार और कानूनी प्रक्रिया दोनों के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं. इन दिशानिर्देशों का पालन करना कठिन हो सकता है, खासकर यदि एक या दोनों पति-पत्नी को अन्याय या गुस्सा महसूस हो. परिपक्व और न्यायपूर्ण बनने का प्रयास करें. कुरान में अल्लाह के शब्दों को याद रखेंरू ‘‘पक्षों को या तो न्यायसंगत शर्तों पर एक साथ रहना चाहिए या दयालुता से अलग होना चाहिए.’’ (सूरह अल-बकराह, 2ः229)

जब तलाक की पहल पति द्वारा की जाती है, तो इसे तलाक कहा जाता है. पति द्वारा घोषणा मौखिक या लिखित हो सकती है और केवल एक बार ही की जानी चाहिए. चूंकि पति विवाह अनुबंध को तोड़ना चाहता है. इसलिए पत्नी को उसे दिए गए दहेज (महर) को अपने पास रखने का पूरा अधिकार है.

यदि पत्नी तलाक की पहल करती है, तो दो विकल्प हैं. पहले मामले में, पत्नी विवाह समाप्त करने के लिए अपना दहेज वापस करने का विकल्प चुन सकती है. वह दहेज रखने का अधिकार छोड़ देती है, क्योंकि वह विवाह अनुबंध को तोड़ना चाहती है.

इसे ख़ुला के नाम से जाना जाता है. इस विषय पर, कुरान कहता है, ‘‘आप (पुरुषों) के लिए अपने किसी भी उपहार को वापस लेना वैध नहीं है, सिवाय इसके कि जब दोनों पक्षों को डर हो कि वे अल्लाह द्वारा निर्धारित सीमाओं को बनाए रखने में असमर्थ होंगे. दोनों में से किसी पर कोई दोष नहीं है. यदि वह अपनी स्वतंत्रता के लिए कुछ देती है. ये अल्लाह द्वारा निर्धारित सीमाएँ हैं. इसलिए इनका उल्लंघन न करें. (कुरान 2ः229).

दूसरे परिदृश्य में, पत्नी अदालत से आधार सहित तलाक मांगने का निर्णय ले सकती है. उसे इस बात का सबूत देना होगा कि उसके पति ने अपने दायित्वों को पूरा नहीं किया. ऐसी स्थिति में यह आशा करना अनुचित होगा कि वह दहेज भी वापस कर देगी.


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तलाक की घोषणा के बाद, इस्लाम को तलाक को अंतिम रूप देने से पहले तीन महीने की प्रतीक्षा अवधि (जिसे इद्दत कहा जाता है) की आवश्यकता होती है.इस दौरान, युगल एक ही छत के नीचे रहते हैं, लेकिन अलग-अलग सोते हैं.

इससे जोड़े को शांत होने, रिश्ते का मूल्यांकन करने और शायद सुलह करने का समय मिलता है. कभी-कभी जल्दबाजी और गुस्से में निर्णय ले लिए जाते हैं और बाद में एक या दोनों पक्षों को पछताना पड़ सकता है. प्रतीक्षा अवधि के दौरान, पति और पत्नी किसी भी समय अपने रिश्ते को फिर से शुरू करने के लिए स्वतंत्र हैं, इस प्रकार नए विवाह अनुबंध की आवश्यकता के बिना तलाक की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है.

किसी भी बच्चे की वित्तीय सहायता - शादी के दौरान या तलाक के बाद - पूरी तरह से पिता पर निर्भर होती है. यह बच्चों का अपने पिता के प्रति अधिकार है और यदि आवश्यक हो, तो अदालतों के पास बाल सहायता भुगतान लागू करने की शक्ति है. प्रतीक्षा अवधि समाप्त होने के बाद, तलाक को अंतिम रूप दिया जाता है.

जोड़े के लिए दो गवाहों की उपस्थिति में तलाक को औपचारिक रूप देना सबसे अच्छा है, यह सत्यापित करते हुए कि पार्टियों ने अपने सभी दायित्वों को पूरा कर लिया है. फिलहाल पत्नी चाहे, तो दोबारा शादी करने के लिए स्वतंत्र है. कुरान कहता है, ‘‘जब आप महिलाओं को तलाक देते हैं और वे अपनी ‘इद्दत’ की अवधि पूरी करती हैं, तो या तो उन्हें न्यायसंगत शर्तों पर वापस ले लें या उन्हें न्यायसंगत शर्तों पर स्वतंत्र कर दें,

लेकिन उन्हें चोट पहुंचाने के लिए, (या) अनुचित लाभ लेने के लिए वापस न लें. यदि कोई ऐसा करता है, तो वह अपनी आत्मा पर अन्याय करता है...’’ (कुरान 2ः231) इस प्रकार, कुरान एक तलाकशुदा जोड़े को एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार करने और साफ-सुथरे और मजबूती से संबंध तोड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है.

यदि कोई जोड़ा तलाक के बाद पुनर्विवाह करने का निर्णय लेता है, तो ऐसा केवल दो बार ही किया जा सकता है. कुरान कहता है, ‘‘तलाक दो बार दिया जाना चाहिए और फिर (एक महिला को) अच्छे तरीके से रखा जाना चाहिए या शान से छोड़ दिया जाना चाहिए.’’ (कुरान 2ः229)

अल्लाह को तलाक जैसी कोई जायज चीज पसंद नहीं है.