मौलाना नुरुल अमीन कासिमी
अनेक घातक बीमारियां समाज को अंधकारमय भविष्य की ओर ले जा रही हैं. नशीली दवाओं के दुरुपयोग सहित विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में मुस्लिम युवाओं की भागीदारी के बारे में बहुत चर्चा हुई है. इसलिए, इस्लाम के साथ-साथ मुसलमानों को भी हाल में सभी लोगों की नफरत का सामना करना पड़ रहा है. इस लेख में हम नशीली दवाओं और अपराधीकरण पर इस्लामी धर्मग्रंथों - पवित्र कुरान और हदीस और अन्य इस्लामी संस्थानों के रुख पर चर्चा करेंगे.
इस्लाम में अपराध की सजा घातक है. इस्लाम अपराध और अपराधियों के खिलाफ बहुत सख्त है. इस्लाम एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए अपराध के उन्मूलन का आदेश देता है. साथ ही, यह भी कहा गया है कि अपराध को खत्म करने में समाज के सभी वर्गों की समान जिम्मेदारी है. एक हदीस (पैगंबर के शब्द) कहती हैः आप में से प्रत्येक एक जिम्मेदार अभिभावक की तरह है. कयामत के दिन आपसे इसके बारे में पूछा जाएगा. (बुखारी, मुस्लिम)
एक अन्य हदीस में कहा गया हैः यदि आप में से कोई किसी को कुछ गलत करते हुए देखता है, तो उसे उस कार्य से रोकें और यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो उसे ऐसा न करने के लिए शब्दों से मना करने का प्रयास करें. यदि आप भी ऐसा नहीं कर सकते, तो आपको उस व्यक्ति के कृत्य से घृणा करनी चाहिए. (मुस्लिम)
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स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए यह आवश्यक है कि मानव शरीर के अंग स्वस्थ और सक्रिय हों. अल्लाह ने मनुष्य को अपना जीवन ठीक से जीने के लिए एक स्वस्थ मस्तिष्क दिया है और पवित्र कुरान और हदीस में इस संबंध में कई सिद्धांतों का वर्णन किया है, जो जीवन के लिए दिशानिर्देश के रूप में उपयोग किए जाते हैं. पवित्र कुरान कहता हैः अपने आप को विनाश के कगार पर मत धकेलो. (सूरेह अल-बकरहः 195)
यह सर्वविदित है कि शराब और ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थ किस प्रकार हमारी युवा पीढ़ी को विनाश की ओर धकेल रहे हैं. फिर भी हमारी दुकानों में ऐसे विनाशकारी पदार्थों का खुलेआम व्यापार होता है. दुर्भाग्यवश, हममें से कुछ लोग स्वेच्छा से इसका उपभोग कर रहे हैं और अन्य लोग उदासीनतापूर्वक दिन-रात इसकी आपूर्ति कर रहे हैं. क्या ये लोग खुद को विनाश की ओर धकेल रहे हैं?
कोई मुसलमान इस दुनिया या आखिरत से जुड़ी किसी भी गतिविधि में कितना भी व्यस्त क्यों न हो, यह उसका पहला कर्तव्य है कि वह इस बात का ध्यान रखे कि उसका शरीर स्वस्थ और सक्रिय रहे. स्वस्थ मनुष्य से ही स्वस्थ समाज की उम्मीद की जा सकती है. इसलिए इस्लाम सबसे पहले व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देता है.
हदीस में अपने शरीर के प्रति दयालु होने और देखभाल करने के निर्देशों के बावजूद, हमारे कुछ मुसलमान इसकी परवाह करने से कोसों दूर हैं, वे केवल अस्थायी आनंद और मनोरंजन के लिए विभिन्न दवाओं का सेवन करके जीवन को विनाश के चंगुल में धकेल रहे हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार हैः इस्लामी शरीयत में पूर्ण हराम (निषिद्ध). ऐसा प्रतीत होता है कि वे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं और अपनी दुनिया और आखिरत दोनों को बर्बाद कर रहे हैं. वे समाज और भावी पीढ़ियों को भी नष्ट कर रहे हैं.
हालांकि, इस्लाम इस संबंध में काफी सख्त है. पवित्र कुरान और हदीस के दिशानिर्देशों के अलावा, इस्लामी संस्थानों ने बार-बार इस संबंध में अपनी सख्त स्थिति व्यक्त की है. इस संबंध में विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद का फतवा उल्लेखनीय है. दारुल उलूम देवबंद द्वारा अपनी वेबसाइट पर अपराध और नशीली दवाओं पर जारी किए गए कई फतवे प्रकाशित हैंः
1. फतवा नंबर 1176
चाहे किसी को शराब की एक बूंद का नशा हो या न हो, प्रचलित ‘शराब’ की एक बूंद पीना हराम (वर्जित) है.
2. फतवा नंबर 1367
शराब और उसके साथ मिलने वाली दवाओं का सेवन करना पूरी तरह से हराम (वर्जित) है, जिसके सेवन के बाद व्यक्ति अपनी सामान्य स्थिति में नहीं रहता है और कई आंतरिक परिवर्तनों का अनुभव करता है. इनमें ड्रग्स, मारिजुआना, अफीम, भांग और इसी तरह की अन्य चीजें शामिल हैं.
3. फतवा नंबर 1020
इस्लामिक शरीयत के मुताबिक दिल, दिमाग और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों का सेवन पूरी तरह से वर्जित है. (दारुल इफ्ता, दारुल उलूम देवबंद)
अब सवाल यह है कि इस्लाम की पाबंदियों के बावजूद कुछ मुसलमान इनमें क्यों शामिल हैं? यह बहुत चिंता का विषय है. समाधान खोजने के लिए, हमें अपने बीच निरक्षरता को मिटाना होगा, जन्म देने के बाद मानव संसाधनों का निर्माण करना होगा, न कि राजनेताओं के शब्दजाल के अनुसार वोट बैंक बनना होगा. इनकी गंभीरता और इनके धार्मिक एवं सामाजिक प्रभावों को समझाने के लिए ग्रामीण स्तर पर जागरूकता पैदा की जानी चाहिए.
आइए हम सब मिलकर इस आंदोलन को शुरू करें. आइए अपराध और नशाखोरी को रोककर समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने का प्रयास करें.
(लेखक तेजपुर स्थित इस्लामिक स्टडी एंड रिसर्च एकेडमी असम के अध्यक्ष हैं.)