क्राउडफंडिंग जमा कर जकात के पैसे से बदल रही जिंदगियां

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 22-04-2021
जकात क्राउडफंडिंग
जकात क्राउडफंडिंग

 

-लोगों को शिक्षा और रोजगार में मदद कर जकात लेने वाले को जकात देने वाला बनाना है लक्ष्य

-एक साल में 2.95 करोड़ रुपये किये इकट्ठे, 5067 लोग हुए लाभांवित

नई दिल्ली / शाहनवाज आलम

जयपुर की रहने वाली कशिश यूसूफ ने जेईई-मेंस 2020 में 99.58 परसेंटाइल हासिल किया था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से दिहाड़ी मजदूर पिता ने अपनी बेटी को पढ़ाने से आगे इंकार कर दिया. इतने पैसे नहीं थे कि किसी आईआईटी या एनआईटी में दाखिले के लिए फीस दे सके. किसी के मार्फत कशिश की कहानी इंडिया जकात डॉट कॉम तक पहुंची और महज छह दिनों में कशिश के लिए दो लाख रुपये की क्राउडफंडिंग इकट्ठा की गई और आज वह जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बीटेक कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रही है. इसी तरह मध्य प्रदेश की रीवा यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस एवं आईटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हुसना फिरदौस को एक लाख रुपये फीस दी गई है. यह कहानी महज बानगी है, जकात की रकम से लोगों की जरूरतों को पूरा करने की.

इस्लाम के पांच अरकान (स्तंभ) में से एक जकात का पैसा कौम के जरूरतमंदों तक पहुंचे और उनकी जरूरतें पूरी हो सकें. इसी सोच के साथ एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल (एएमपी) ने अप्रैल 2020 में देश का पहला जकात आधारित क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म इंडिया जकात डॉट कॉम की शुरुआत की गई थी. महज एक साल के अंतरराल में इस प्लेटफॉर्म ने 2.95 करोड़ रुपये जकात की रकम इकट्ठा कर 5067 लोगों को मदद पहुंचाई जा चुकी है. और भी लोगों की मदद पहुंचाने में एएमपी लगा हुआ है.

जकात के पैसे का खर्च स्वास्थ्य, शिक्षा, वजीफा, महिला शक्तिकरण, यमीमखानों की जरूरतें, जीवन यापन को सुचारू करने समेत अन्य कामों में किया जाता है. बता दें कि शरीयतन, हर दौलतमंद मुसलमान को 2.5 फीसदी जकात निकालना होता है.

पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर एएमपी के अध्यक्ष आमिर इदरिसी बताते हैं कि पिछले साल जब देश में कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन हुआ, तो काफी लोग कई तरह की मुसीबतों और परेशानियों में घिरे दिखाई दिए. उसी वक्त क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म इंडिया जकात शुरू करने का आइडिया आया. लोगों से उनके सदकात, जकात और खैरात लेकर गरीबों तक पहुंचाने का काम शुरू किया. कोविड के पहले फेज में देश के 90 शहरों में 5000 से अधिक परिवारों के लिए 30 लाख रुपये का चंदा इकट्ठा करके उन्हें राशन दिया गया. जिनकी पढ़ाई छूट गई थी, पढ़ाई के लिए फीस दी गई. नए काम शुरू करने के लिए तीस हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक रकम दी गई.

काम करने के तरीके पर इदरिसी बताते हैं कि पूरी टेक्निकल, मार्केटिंग, फाइनेंस समेत अन्य लोगों की वॉलंटियर आधारित टीम है. वेबसाइट को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि कोई भी जाकर क्राउड फंडिंग के लिए जरूरी रकम और कारण बताकर एक टोकन जेनरेट कर सकता है. टोकन जेनरेट होने के बाद सप्ताह दिन के अंदर उसको वेरीफाई किया जाता है. बकायदा दिए गए पता पर टीम के लोग या कोई वॉलंटियर जाता है और उसकी पुष्टि होने के बाद उसे वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव कर दिया जाता है.

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जकात का चक्र


एएमपी के सदस्य भी इसमें अपने तरफ से योगदान देते है और मार्केटिंग की टीम दूसरों को जकात, सदकात या चंदा देने के लिए प्रोत्साहित करते है. जब वह पैसा लाभार्थी तक पहुंच जाता है, उसकी फिर से रिपोर्ट ली जाती है कि पैसा कहां खर्च किया गया.

जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक, मुंबई से लेकर मणिपुर तक के जरूरतमंद अब इस प्लेटफॉर्म पर दस्तक दे रहे है. बकौल इदरिसी, अधिकांश मुसलमान रमजान के महीने में जकात देना पसंद करते है, लेकिन कौम के लोगों की जरूरत कभी भी हो सकती है. दिल्ली या मुंबई के लोगों को बिहार या बंगाल में किसी जरूरतमंद के बारे में पता नहीं होता, जबकि उनके पास कोई देने वाला नहीं है. टेक्नोलॉजी की मदद से जकात और सदकात को क्राउडफंडिंग में तब्दील कर पूरे देश के जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. जो लोग अपनी रकम चंदा देते है, उन्हें भी पूरी रिपोर्ट भेजी जाती है.

इंडिया जकात डॉट कॉम द्वारा इस साल रमजान के लिए विशेष अभियान लांच किया गया है. जिसमें कोरोना संक्रमण के कारण नौकरी खो चुके लोगों को छोटा बिजनेस करने में, पढ़ाई करवाने में, लोगों को राशन देने, युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देने पर खर्च किया जाएगा, ताकि जकात लेने वाला भविष्य में जकात देने वाला बन जाए.