आवाज द वाॅयस / श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में विकास का पहिया तेजी से भाग रहा है. एक के बाद एक या तो नए प्रोजेक्ट का उद्घाटन हो रहा है या शुरुआत हो रही है. इस क्रम में गुलमर्ग के बाद अब पहलगाम में भी केबल कार लाने की तैयारी हो रही है.
गुलमर्ग में गोंडोला परियोजना की सफलता से उत्साहित केबल कार कॉर्पोरेशन ने हाल में पहलगाम में एक सर्वेक्षण के बाद सरकार की मंजूरी के लिए निदेशक मंडल की बैठक में पेश करने की खातिर एक रिपोर्ट तैयार की है.
इस रिपोर्ट में निगम ने स्पष्ट किया है कि इसे सिरे चढ़ाने के दौरान पेड़ों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. यही नहीं यह आम लोगों और पर्यटकों के लिए भी अति हितकारी साबित होगा.पहलगाम को चरवाहों की घाटी भी कहा जाता है. यह श्रीनगर से लगभग 90किलोमीटर दूर, दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में ऊंची पहाड़ियों और सदाबहार जंगलों के बीच स्थित एक मनोरम पर्यटन स्थल है.
पहलगाम वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए भी देश-दुनिया में जाना जाता है. चंदनवाड़ी, पहलगाम से 16किमी दूर है. यही यात्रा का शुरुआती बिंदु होगा. यहां हर साल जुलाई-अगस्त के महीने में पर्यटकों एवं अमरनाथ यात्रियों की भीड़ उमड़ती है.अपने धार्मिक महत्व और भूमिका के कारण ही यह आधार षिविर तक कष्मीर के 70प्रतिशत आगंतुकों को यहां तक खींच लाता है.
पर्यटकों के आगमन से कस्बे के स्थानीय लोग भी भरपूर लाभ उठाते हैं.जम्मू-कश्मीर केबल कार कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक गुलाम जीलानी जरगर के अनुसार, केबल कार स्थापित करने के लिए पहलगाम में ताजा सर्वेक्षण किया गया है.
उन्होंने कहा कि उनकी कोषिष है कि परियोजना के लिए किसी पेड़ को न काटा जाए. केबल कारें वृक्ष रेखा से बहुत ऊपर चलेंगी.जरगर, पर्यटन विकास प्राधिकरण, गुलमर्ग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भी है. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही परियोजना को मंजूरी मिल जाएगी और काम प्रारंभ हो जाएगा.
उन्होंने कहा, पहले भी सर्वेक्षण किए गए थे. तब बहुत सारे पेड़ों का नुकसान पहुंचने की बात कही गई थी. मगर इस प्रोजेक्टर को लेकर उम्मीद है कि इसे जल्द ही वन और वन्यजीव विभाग सहित संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मिल जाएगा. जरगर ने कहा कि संभवत केबल कार यात्री निवास से बैसारन तक जाएगी. उनके अनुसार,
मार्ग की हवाई लंबाई दो किमी से कम है. बैसारन गुलमर्ग में गोंडोला के पहले चरण की ऊंचाई के बराबर है. दोनों स्थानों की स्थलाकृति लगभग समान है.बैसारन की ऊंचाई लगभग गुलमर्ग गोंडोला के पहले चरण के समान है.यहां केबल कार एक व्यक्ति को लगभग 2.5किमी के सफर में 8530फीट की ऊंचाई पर कोंगडोरी तक ले जाती है.
गुलमर्ग गोंडोला पर्यटकों, स्कीयर और शीतकालीन खेलों के प्रति उत्साही लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. इसे घास का कटोरा भी कहा जाता है.पहलगाम के लोग इस पर्यटन हितधारक योजना को लेकर उत्साहित हैं.
उन्होंने कहा कि पहलगाम आने वाले पर्यटकों के लिए यह एक अलग आकर्षण का केंद्र होता है. यहां केबल कार की लंबे समय से मांग थी.आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 2022में पहलगाम में लगभग 7.89लाख पर्यटक आए, जिनमें से 2.60 लाख जम्मू-कश्मीर के स्थानीय पर्यटक थे.
गुलमर्ग गोंडोला, बारामूला जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास गहरे हिमालय में स्थित एशिया की सबसे बड़ी और सबसे ऊंची केबल कारों में से एक है. 1998में उद्घाटन के बाद से अब तक यह जम्मू और कश्मीर के लिए करोड़ांे रूपये कमा चुकी है. इसके अच्छे परिणाम को देखते हुए ही मई 2005 में इसे 13,500 फीट की ऊंचाई पर अफरवाट पर्वत तक विस्तार दिया गया.
इसके बाद यह कुल 5किमी की हवाई दूरी वाला एशिया का सबसे ऊंचे और सबसे बड़ा रोपवे में षुमार होने लगा है.वर्ष 2022 में कश्मीर के इतिहास में 26.5 लाख पर्यटकों का आगमन हुआ, जिनमें से 15.42 लाख गुलमर्ग पहुंचे. अधिकांश ने गोंडोला तक यात्रा करना पसंद किया.