दर्शक हमारे धर्म हैं और हम सभी धर्मों के हैं: अमजद अली खान - शुभलक्ष्मी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 21-11-2021
अमजद अली खान और शुभलक्ष्मी
अमजद अली खान और शुभलक्ष्मी

 

दौलत रहमान/ गुवाहाटी

इस दंपत्ति में एक हैं अमजद अली खान जो अपने सरोद के जरिए जादू जगाते हैं और उनकी पत्नी अपने भरतनाट्यम पाठों के माध्यम से युवा और वृद्धों को समान रूप से मंत्रमुग्ध कर देती हैं. यह कमाल की जोड़ी है विश्व प्रसिद्ध सरोदवादक उताद अमजद अली खान और शुभलक्ष्मी बरुआ खान की.

आवाज-द वॉयस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, दो अलग-अलग धर्मों के प्रसिद्ध जोड़े ने अपनी शादी, रिश्ते, धर्म, संगीत और जीवन के कई अन्य दिलचस्प पहलुओं के बारे में खुलकर बात की.

असम की रहने वाली शुभलक्ष्मी बरुआ के साथ शादी के बारे में पूछे जाने पर उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि वह हमेशा मानते हैं कि एक पुरुष और महिला के बीच संबंध सर्वशक्तिमान द्वारा तय किए जाते हैं.

अमजद अली खान कहते हैं, "सर्वशक्तिमान ईश्वर तय करता है कि कौन किससे शादी करेगा. जब मैंने पहली बार उसे कोलकाता में परफॉर्म करते देखा, तो मेरी अंतर्दृष्टि ने कहा कि उसे दुनिया में केवल मेरे लिए भगवान ने भेजा है. हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें सभी वरिष्ठ लोगों का आशीर्वाद मिला. मेरे ससुर परशुराम बोरूआ, शुभलक्ष्मी के सभी रिश्तेदारों, भाइयों और बहनों ने मुझे ढेर सारा प्यार और शुभकामनाएं दीं. हम दोनों मानवतावाद में विश्वास करते हैं. हमारा संवाद कला के माध्यम से होता है."

एक समारोह में अमिताभ और जया बच्चन के साथ अमजद अली खान व शुभलक्ष्मी


शुभलक्ष्मी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत में अगर यह कोई अन्य सामान्य परिवार होता तो बेशक अंतर-धार्मिक विवाह से जुड़ी अनिश्चितताओं के बारे में सवाल उठाए जाते.

वह कहती हैं, "लेकिन मुझे अपने माता-पिता से इतना प्यार मिला कि उनके लिए इस प्रस्ताव को ना कहना मुश्किल था. इसके अलावा, खान साहब से मिलने के बाद, मेरा परिवार उनके स्वभाव, मानवीय गुणों, कला और कई अन्य प्यारे गुणों से पूरी तरह प्रभावित था. बेशक, शुरू में कुछ चिंताएँ थीं जिनका सामना किसी भी माता-पिता को करना पड़ता है. जहां तक ​​धर्म के प्रति मेरा दृष्टिकोण है, हम मानवतावाद में विश्वास करते हैं. जब आप एक कलाकार होते हैं, तो आप एकजुटता के एक अलग स्तर पर जाते हैं. जाति, पंथ और धर्म के मुद्दे हमारे जीवन में बाधा नहीं डालते हैं.”


खान परिवार किस धर्म का पालन करता है? खान के अनुसार, उनके घर की चारदीवारी के भीतर केवल मानवतावाद मौजूद है. उन्होंने कहा कि संगीत का कोई धर्म नहीं होता और एक संगीतकार होने के नाते वह इस दुनिया के सभी धर्मों के हैं. वह कहते हैं, "मेरे दर्शक विभिन्न धर्मों के हैं."

विभिन्न धर्मों के बढ़ते कट्टरपंथ पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, खान कहते हैं, “शिक्षा के प्रसार के बावजूद, हम धर्म के लिए लड़ रहे हैं और एक दूसरे को मारने के लिए तैयार हैं. किसी भी धर्म के कट्टरपंथी दुनिया के लिए भारस्वरूप हैं. मेरे दिवंगत पिता उस्ताद हाफिज अली खान, जिन्हें 1960 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था, बचपन से ही मुझमें एक ईश्वर के विचार को भरते रहे थे.”

अपने पति के विचारों से सहमत होती हुई शुभलक्ष्मी ने कहा कि उनका अपना पूजा कक्ष है और खान साहब का उनके घर में अपना प्रार्थना कक्ष है. उन्होंने कहा कि सभी भगवान मौजूद हैं और विभिन्न धर्मों के सभी त्योहार उनके घर में मनाए जाते हैं. वह कहती हैं, “मुझे अब भी याद है कि कैसे मेरे गृहनगर असम के शिवसागर में सभी धर्मों के मेरे दोस्तों ने ईद मनाई थी.” उन्होंने कहा कि किसी भी त्योहार को मनाना मानवतावाद का उत्सव है.

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शुभलक्ष्मी ने कहा कि यह बहुत गर्व और खुशी की बात है कि उनके जन्मस्थान असम में धर्म कभी किसी रिश्ते के बीच नहीं आता. वह कहती हैं, “असम में बड़े पैमाने पर मौजूद एकमात्र रिश्ता मानवतावाद और भाईचारे का है. मुझे उम्मीद है कि परंपरा जारी रहेगी.”

भारत की ताकत की ओर ध्यान दिलाते हुए खान कहते हैं, "नमस्कार या भारतीयों द्वारा दो हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन करना अपने आप में बाकी दुनिया के लिए एक गहरा संकेत है. इस तरह का इशारा ही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विनम्रता और सर्वांगीण गुण को दर्शाता है."

दंपति के दो बेटे, अमान और अयान भी सरोद वादक हैं. भले ही अमजद अली खान भारत को दो और अद्भुत सरोद प्रतिभा देने के लिए अपनी पत्नी को सारा श्रेय देते हैं, शुभलक्ष्मी जोर देती हैं कि उन्होंने बस एक सामान्य मां की भूमिका ही निभाई है.

शुभलक्ष्मी कहती हैं, “मैंने अपने बेटों के लिए कुछ खास नहीं किया. मैंने अभी उन्हें बहुत समय दिया है. इनका जन्म और पालन-पोषण दिल्ली में हुआ है. मैंने उनका जीवन बहुत ही सरल और सामान्य रखा. मैं उनसे कहता था कि ज्यादा ऊंची उड़ान न भरें क्योंकि ऐसे में नीचे गिरना बहुत दुखदायी होता है. मैंने उन्हें मानवतावाद के धर्म का पालन करने के लिए तैयार किया.”

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साईं दरबार में शुभलक्ष्मी और अमजद अली खान

जहां खान ने भारत के युवाओं से जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शांत और सहिष्णु रहने का आग्रह करने का संदेश दिया वहीं शुभलक्ष्मी खान ने कहा कि वह हमेशा अपने जन्म स्थान और देश की सेवा के लिए हर तरह से तैयार हैं.