आवाज द वाॅयस नई दिल्ली/ तेल अवीव/तेहरान/वॉशिंगटन
मध्य पूर्व एक बार फिर जंग की आग में जल रहा है. इज़रायल द्वारा ईरान के नतान्ज़ स्थित परमाणु ठिकाने पर हुए हमले के जवाब में ईरान ने शुक्रवार रात कोषण रूप से पलटवार करते हुए येरुशलम और तेल अवीव पर दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दीं. ये हमला उस समय हुआ जब इज़रायल का सैन्य नेतृत्व पूरे इलाके में अपने सबसे बड़े हमलों को अंजाम दे रहा था.
इस ऐतिहासिक टकराव ने न सिर्फ पूरी दुनिया को चौंका दिया, पश्चिम एशिया को एक और व्यापक युद्ध की दहलीज पर खड़ा कर दिया है.ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी IRNA के अनुसार, यह हमला उस समय हुआ जब इज़रायली सेना ने नतान्ज़ की भूमिगत परमाणु साइट को निशाना बनाया, जिसमें ईरान के कई शीर्ष सैन्य अधिकारी मारे गए.
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने कहा, “इस युद्ध की शुरुआत इज़रायल ने की है, इसका अंत हम तय करेंगे. बदला बेहद दर्दनाक होगा.”ईरान के संयुक्त राष्ट्र दूत आमिर सईद इरवानी ने बताया कि इज़रायली हमले में कम से कम 78 लोग मारे गए, जिनमें वरिष्ठ सैन्य कमांडर और छह शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक शामिल थे.
इसके अलावा 320 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें अधिकांश नागरिक हैं.तेहरान में अभी भी विस्फोटों की आवाज़ें सुनाई दे रही हैं. इज़रायल डिफेंस फोर्सेज़ (IDF) ने दावा किया कि उसने ईरान के हमदान और तबरीज़ एयरबेस को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया, जो मिसाइल और ड्रोन हमलों का केंद्र थे.
इज़रायली सैन्य प्रवक्ता के अनुसार, ईरान द्वारा दागे गए 100 से कम मिसाइलों में से अधिकांश को मार गिराया गया, जबकि कुछ मिसाइलें तेल अवीव और रमत गन के रिहायशी इलाकों में गिरीं.
तेल अवीव में एक अपार्टमेंट बिल्डिंग और रमत गन में एक रिहायशी इमारत को भारी नुकसान पहुंचा. दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए जबकि एक महिला की मौत हुई, जो इस संघर्ष में इज़रायल की पहली आधिकारिक नागरिक हताहत है.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिनके नेतृत्व में ईरान-अमेरिका परमाणु समझौता 2018 में टूट गया था, ने इंटरव्यू में कहा, “मैंने ईरान को तबाही और अपमान से बचाने की पूरी कोशिश की. अभी भी देर नहीं हुई है. अगर ईरान चाहे तो एक नया समझौता संभव है.”
हालांकि ईरान ने हालिया अमेरिकी प्रस्ताव को ठुकरा दिया. अब स्थिति यह है कि ट्रंप की मध्यस्थता भी व्यर्थ होती नजर आ रही है.इज़रायली सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, हमले से पहले मोसाद के कमांडो ईरान में गुप्त रूप से काम कर रहे थे.
उन्होंने ईरान के रणनीतिक मिसाइल तंत्र को बाधित करने के लिए कई अज्ञात अभियानों को अंजाम दिया. इसके अलावा, इज़रायल ने तेहरान के पास ड्रोन बेस स्थापित किया था, जहां से ईरान की वायु सुरक्षा प्रणालियों को निष्क्रिय किया गया.
जैसे ही टकराव की खबरें सामने आईं, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू गईं. हालांकि अब तक तेल उत्पादन या भंडारण केंद्रों को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन ओपेक ने साफ कर दिया है कि फिलहाल आपूर्ति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
Burası Tel Aviv
— Tevfik (@tevfik_hams) June 13, 2025
Enkaz altında kalanlar var..
- Dua edin ki hepsi gebersin.. pic.twitter.com/2aqH7iKzEh
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह संघर्ष यदि जल्द नहीं रुका, तो यह पूरे मध्य पूर्व को अपनी चपेट में ले सकता है. अमेरिका, सऊदी अरब, तुर्किये, इराक, जॉर्डन जैसे देशों की भूमिका अब निर्णायक होगी.
ईरान ने चेतावनी दी है कि यदि किसी देश ने इज़रायल की सैन्य मदद की, तो वह देश भी उसके मिसाइल हमलों का निशाना बनेगा. यह चेतावनी अमेरिकी सैन्य सहयोग के संदर्भ में दी गई मानी जा रही है.
तेहरान से रेज़ा नाम के एक दुकानदार ने बताया, “हमने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा दिन देखना पड़ेगा. लोग या तो देश छोड़ने की सोच रहे हैं या हथियार उठाने को तैयार हैं.” वहीं क़ुम में रहने वाले अली नामक एक बसीज मिलिशिया सदस्य ने कहा, “अगर ज़रूरत पड़ी तो हम मर मिटेंगे, लेकिन अपने परमाणु अधिकारों को नहीं छोड़ेंगे.”
इज़रायली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “यह लड़ाई जितने दिन भी चले, हम तब तक लड़ेंगे जब तक ईरान का परमाणु खतरा समाप्त नहीं हो जाता. आज का हमला हमारी पीढ़ी की ऐतिहासिक जिम्मेदारी है.”
अब यह देखना बाकी है कि क्या वैश्विक कूटनीति इस भयानक युद्ध को रोक पाएगी या मध्य पूर्व की यह चिंगारी दुनिया को किसी बड़े युद्ध में झोंक देगी.