आनंदपुराः मुसलमानों ने नमाज के बाद जोर-जोर से पढ़ा भारतीय संविधान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 20-05-2022
आनंदपुराः मुसलमानों ने नमाज के बाद जोर-जोर से पढ़ा भारतीय संविधान
आनंदपुराः मुसलमानों ने नमाज के बाद जोर-जोर से पढ़ा भारतीय संविधान

 

आवाज द वाॅयस / शिवमोगा

आनंदपुरा में मुसलमान जुमे की नमाज के बाद जोर से संविधान की प्रस्तावना का पाठ करते हैं. शिव मोगा के सागर तालुका के आनंदपुरा के मुस्लिम निवासियों ने अपने गांव की जामा मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद भारतीय संविधान की प्रस्तावना पढ़ी.

शुक्रवार को दोपहर 12.30 बजे प्रार्थना के आह्वान के तुरंत बाद. शुक्रवार को मौलाना मुफ्ती सफीरुद्दीन एक धार्मिक भाषण देते हैं, उसके बाद सागर के एक वकील मुहम्मद जकारिया द्वारा संविधान पर चर्चा की जाती है. शुक्रवार की प्रार्थना (शुक्रवार की प्रार्थना) के बाद, हर कोई प्रस्तावना की प्रतियों के साथ इकट्ठा होता है. वह मुहम्मद जकारिया से जुड़ जाता है, जो स्क्रिप्ट पढ़ते हैं और दूसरों को उसका अनुसरण करने के लिए कहते हैं.

आनंदपुरा की जामा मस्जिद का चार शताब्दियों से अधिक पुराना इतिहास है. यह कलादी शासकों और टीपू सुल्तान द्वारा बनाई गई थी और मैसूर शासकों द्वारा दौरा किया गया था. जकारिया ने ‘हिन्दू’ को बताया, ‘‘बहुत से लोग संविधान और नागरिकों को दिए गए अधिकारों के बारे में शायद ही जानते हों. यह संविधान को समझने और हमारे लोगों के बीच शिक्षा के महत्व को उजागर करने का एक प्रयास है’’

जकारिया और उनके दोस्तों ने इस पहल के बारे में सोचा और मस्जिद समिति के सदस्यों और मौलवी मौलाना मुफ्ती सफीरुद्दीन ने इस विचार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘‘संविधान सभी के साथ समान व्यवहार करता है. लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं है. इसलिए, हम लोगों को संविधान के महत्व को समझना चाहिए और इसे अनदेखा करने की कोशिश करने से बचना चाहिए.’’

हम जमीन का सम्मान करते हैं

सामाजिक कार्यकर्ता सादिक यधली का कहना है कि उनके धर्म ने उन्हें मातृभूमि का सम्मान करना सिखाया है. ‘‘हम दिन में पांच बार सिर झुकाकर भूमि का सम्मान करते हैं. इसी तरह, हम संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हैं और दिखाते हैं कि हम देश के कानून का सम्मान करते हैं.’’

जैसे ही इस कदम की खबर फैली, शिवमोगा जिले की कुछ अन्य मस्जिद समितियों के सदस्य आयोजकों के पास पहुंचे और उनकी प्रशंसा की. उन्होंने कहा, ‘‘बहुत सारे लोग मुझे अन्य जगहों पर भी यही अभ्यास करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. मैं इससे खुश हूं. कोई भी इस पर अमल सकता है. मेरी इच्छा है कि आने वाले दिनों में कई मस्जिदों में प्रस्तावना पढ़ी जाए. इसे अपने रुटीन का हिस्सा बनाएं.’’